न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने दो हालिया फैसलों में भारत के मानचित्र को अपने दफ्तर में उल्टा लटकाने वाली जेएनयू के प्रोफेसर और महात्मा गांधी को सबसे बडे जातिवादी और नस्लवादी साबित करने वाली अमेरिकी लेखिका का बयान कोट किया है। यह दर्शाता है कि देश की सर्वोच्च अदालत में बैठे न्यायधीश किस तरह भारत के मूल विचारों से कटे और औपनिवेशिक मानसिकता में जकड़े हैं!
देश में जब तक न्यायायिक सुधार के लिए जन-आंदोलन नहीं होगा, लोग सड़कों पर नहीं उतरेंगे, तब तक इस देश में वास्तविक लोकतंत्र नही़ं आएगा। हम पांच साल में सरकार तो बदल सकते हैं, लेकिन 250 परिवारों के कब्जे में फंसी न्यायपालिका में सुधार के लिए हमारे यानी देश की जनता को कोई अधिकार नहीं है, और यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा मजाक है!
महान न्यायविदों और विचारकों के विचारों के आधार पर चलने वाली न्यायव्यवस्था के सबसे बड़े सरंक्षक भारत के सर्वोच्च न्यायालय का इतना ह्रास (क्षरण) होना वाकई में दुखदाई है। सर्वोच्च न्यायालय की ये गत उसमें बैठे कुछ न्यायाधीशों ने ही किया है। न्यायशास्त्र पढ़कर बैठने वाले न्यायाधीशों का भी कम ह्रास नहीं हुआ है। तभी तो न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को भारत के मानचित्र को अपने दफ्तर में उल्टा लटकाने वाली जेएनयू के प्रोफेसर निवेदिता मेनन अथवा महात्मा गांधी को सबसे बडे जातिवादी और नस्लवादी साबित करने वाली भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका सुजाता गिडला का बयान उधार लेना पड़ रहा है। न्यायधीशों और न्यायालयों का ह्रास आने वाले समय के लिए बहुत ही दुखदायी साबित होने वाली है।
मुख्य बिंदु
* तभी तो सुजाता के बयान “सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना एक प्रकार की अस्पृश्यता है” को कोट कर सुनाया फैसला
* अपने जेएनयू के दफ्तर में भारत के मानचित्र को उलटा लटका कर रखने वाली प्रोफेसर निवेदिता मेनन का बयान भी कोट कर चुके हैं
* मेनन वही प्रोफेसर हैं जो कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं मानती बल्कि भारत पर उसका अवैध कब्जा मानती हैं
This Christian Missionary Sujatha Gidla has been quoted by #JusticeChandrachud in latest #SabarimalaVerdict
Before that Justice Chandrachud quoted JNU's Nivedita Menon who publicly claimed "Kashmir illegally occupied by India"
This is what #SupremeCourt has been reduced to https://t.co/czxGdYVODd
— रवि कांत (@LegalKant) September 28, 2018
गौरतलब है कि सबरीमाला मामले में फैसला सुनाने के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने जिन दो महान हस्ती के बयान कोट किए हैं उनमें से एक हैं भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका सुजाता गिडला तथा दूसरी हैं जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन। इनमें से सुजाता गिडला जहां गांधी को जातिवादी और नस्लवादी बता चुकी हैं वहीं, निवेदिता मेनन पर भारत के मानचित्र को उलटा लटका कर लोगों से भारता माता की तस्वीर खोजने की बात कहने का आरोप है। इतना ही नहीं वह कश्मीर को भारत का अटूट हिस्सा भी नहीं मानती है, बल्कि कश्मीर पर भारत का अवैध कब्जा मानती हैं। सबरीमाला मामले में फैसला सुनाने के लिए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ को ऐस आदर्श विरोधी और देश विरोधी बयान का सहारा लेना पड़ा। चंद्रचूड़ ने सुजादा गाडगिल के अछूत वाले बयान को कोट करते हुए कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना एक प्रकार की अस्पृश्यता है।
Mahatma Gandhi was casteist and racist: US-based writer @gidla_sujatha at #JLF2018https://t.co/9kwipiLkcI pic.twitter.com/MoMJ9S7hj9
— Hindustan Times (@htTweets) January 29, 2018
सबरीमाला मंदिर में महिला प्रवेश को वर्जित करना एक प्रकार की अस्पृश्यता है!
यहां यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि फैसले के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने क्या कोट किया? सवाल उठता है कि किसका कोट किया और क्यों कोट किया? जिस सुजाता गिडला का बयान कोट किया है वह जयपुर लिटरेचर फेस्ट में सरेआम गांधी को सबसे बड़े जातिवादी और नस्लवादी करार दे चुकी हैं। जिस महात्मा गांधी के न्यायिक उद्धरण सुप्रीम कोर्ट कोट करता आ रहा है उसे जातिवादी करार देने वालों का बयान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को कोट करना पड़ा। इससे हास्यास्पद और दुख की बात कोई और नहीं हो सकती। उस प्रोफेसर का बयान कोट करना पड़ता है जो स्वयं कहती है कि हमारे दफ्तर में भारत का मानचित्र उलटा लटका हुआ है। जो यह कहती हैं कि कश्मीर भारत का अटूट अंग नहीं बल्कि भारत ने उसपर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। जिसके मन में देश की सेना के प्रति कोई सम्मान नहीं हैं। क्या इससे यह साबित नहीं होता है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायधीश सामाजिक और महिला जागृति नहीं बल्कि देश में अराजकता फैलाने और देश विरोधियों को ताकत देने के काम में जुटे हुए हैं।
URL: Justice Chandrachud is impressed with a writer who called Mahatma Gandhi racist
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