भारत में इंसाफ मर चुका , अमेरिका में जिंदा है ;
अब्बासी – हिंदू की कारस्तानी , पूरा भारत शर्मिंदा है ।
नेता-अफसर-व्यापारी-अपराधी , इन चारों का ये गठजोड़ ;
जितना संभव है लूटेंगे , फिर जायेंगे भारत छोड़ ।
सबके अड्डे हैं विदेश में , लूट का माल वहीं पर ज्यादा ;
सब के सब गद्दार देश के , बादशाह से लेकर प्यादा ।
जो कानूनों से डरते रहते , कानून उन्हें ही डरवाता ;
जो म्लेच्छ सदा कानून तोड़ते , कानून ही उनसे डर जाता ।
भारत का कानून है कैसा ? कैसे हैं उसके रखवाले ?
ऊपर से लेकर नीचे तक , सब के सब काले दिलवाले ।
सबसे ऊपर जो बैठे हैं , ज्यादातर हैं अब्बासी – हिंदू ;
कायर, कमजोर, नपुंसक नेता , बस केवल हैं नाम के हिंदू ।
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , भारत को कैसा बना रहा है ?
ये है एकदम चौपट – राजा , अंधेर – नगरी बना रहा है ।
सच्चाई की कोई न कीमत , झूठों का साम्राज्य है ;
हर-एक बात पर झूठ बोलता , पूरा काला – साम्राज्य है ।
कौन अधिक पीड़ित भारत में ? किसकी हरदम मौज है ?
मध्यम – वर्ग की मौत यहाॅं पर , पर चोरों की मौज है ।
गुंडे, चोर ,डकैत , म्लेच्छ सब , कमजोरों पर हावी हैं ;
इसको लगभग निश्चित मानो , महाविनाश अवश्यंभावी है ।
धर्महीन – मक्कार जो हिंदू , चरित्रहीन जो भ्रष्टाचारी ;
ये म्लेच्छों से ज्यादा घातक , धर्म के दुश्मन ये व्यभिचारी ।
अब्बासी-हिंदू भी इन्हीं को कहते,पूरे भारत में इनका कब्जा ;
मुगल और अंग्रेज से बदतर , देश कर दिया पुरजा-पुरजा ।
असली दुश्मन यही धर्म के , दीमक बनकर चाट रहे हैं ;
अंधा – बाबा दाढ़ी – बाबा , शंकराचार्यों को काट रहे हैं ।
इनकी पीठ पर हाथ है किसका,अब्बासी हिंदू भारत का नेता ;
हिंदू – धर्म मिटा देने को , अब्राहमिकों से सुपारी लेता ।
भारत में गठजोड़ है गंदा , नेता-व्यापारी-अफसर की बस्ती ;
अमेरिका में चल रही है आंधी , इन सबकी अब बुझेगी बत्ती ।
अमेरिका में पहल हो चुकी , हमको अब नहीं चूकना है ;
जन – आंदोलन खड़ा करें सब , अत्याचार न सहना है ।
लोहा तपकर गर्म हो चुका , भली-भांति अब करो पिटाई ;
मनचाहा आकार मिलेगा , बिल्कुल देर करो मत भाई ।
सारे – देशभक्त मिल जायें , गठबंधन मजबूत बनायें ;
देश को जो भी लूट रहे हैं , उन सबको अब मार भगायें ।
“जय सनातन-भारत”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”