फेक न्यूज मेकर गैंग अपने आकाओं का हित साधने के लिए देश से लेकर हर उस लोकतांत्रिक स्वायत्त संस्थान के अघिकारियों के खिलाफ फेक न्यूज गढ़ने और फैलानें में जुट जाते हैं। इसका जीता जागता सबूत है आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक से लेकर वर्तमान न्यायाधीश एके सिकरी के खिलाफ फेक न्यूज फैलाना। सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने अपने ट्वीट तथा आलेख से इस मामले में पत्रकार से पक्षकार बनी बरखा दत्त तथा शेखर गूप्ता को फेक न्यूज मेकर साबित कर दिया है। मालूम हो कि इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक आलेख में आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने को लेकर मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए पूर्व न्यायधीश एके पटनायक का वह बयान का हवाला दिया गया है जो उन्हों कभी दिया ही नहीं। इंडियन ए्क्सप्रेस में प्रकाशित आलेख में जस्टिस पटनायक के बयान के हवाले से लिखा गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला है।
Alok Verma's removal and the shabby role of Indian media.
Read my article in @TheWeekLive :https://t.co/e8PmyD7X3n
— Markandey Katju (@mkatju) January 12, 2019
बरखा दत्त और शेखर गुप्ता ने फैलाई इंडियन एक्सप्रेस की फेकन्यूज
सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायधीश तथा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने अपने ट्वीट में लिखा है कि इंडियन एक्सप्रेस में जस्टिस पटनायक के बयान पर आधारित आलेख पूरी तरह से फेक न्यूज है। उन्होंने यह दावा आनन-फानन में नहीं किया है बल्कि इस मामले में पूरे तथ्य के आधार पर यह दाबा किया है कि इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आलेख झूठ के बीना पर लिखा गया है। इसके साथ ही उन्होंने बरखा दत्त और शेखर गुप्ता को फेक न्यूज मेकर के साथ ही फेकन्यूज स्प्रेडर साबित कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आलेख को झूठा साबित करने के लिए उन्होंने द वीक में एक लेख भी लिखा है।
Indian Express article based on Justice Patnaik’s comments is ‘fake news’ – claims Justice Katju after talking to him personally. Must read his piece here 👇 https://t.co/UQdGY7wiYa
— Manak Gupta (@manakgupta) January 12, 2019
निर्लज्जों को सच से ज्यादा आपने आकाओं से डर लगता है। जस्टिस काटजू के इतने तथ्य सामने रखने के बाद भी कांग्रेस के पक्षकार बरखा दत्त ने जस्टिस काटजू पर शंका जाहिर करने से बाज नहीं आई। लेकिन उन्होंने बरखा दत्त और शेखर गुप्ता को अपने तथ्य से करारा जवाब दिया।
Justice Patnaik told me that no journalist sought an appointment with him to discuss the matter & only one journalist from Indian Express had telephoned him, and they spoke for less than a min. Did u make any effort to contact Patnaik J ? Did journalistic ethics not require that? https://t.co/rPEtzu6DjL
— Markandey Katju (@mkatju) January 12, 2019
उन्होंने लिखा है कि आलेख लिखने से पहले किसी पत्रकार ने जस्टिस पटनायक से बात तक करना उचित नहीं समझा। यह बात स्वयं जस्टिस पटनायक ने जस्टिस काटजू को बताया। काटजू ने सवाल उठाते हुए लिखा है कि क्या हमारी पत्रकारिता की नैतिकता का ये तकाजा नहीं है कि जिसका बयान उद्धृत कर रहे हैं उससे एक बार बात कर लें?
जस्टिस पटनायक ने ऐसा कोई बयान दिया ही नहीं
:Barkha, I spoke to Patnaik J & he denied u spoke 2him. Shud u not have enquired from him whether @IndianExpress report is correct?
— Markandey Katju (@mkatju) January 12, 2019
ये पेटीकोट पत्रकार न तो पत्रकारिता के तकाजा को मानते हैं न ही नैतिकता को, क्योंकि उन्होंने अपनी नैतिकता कब की बेच दी है। तभी तो न तो इन्हें सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा का खयाल होता है न ही सुप्रीम कोर्ट के ईमानदार जजों का। बस ये लोग तो उसी समय तक किसी को ईमानदार मानते हैं जब तक उनके आकांओं का हित होता रहे और वह तुष्ट होता रहे। जिस जस्टिस एके पटनायक के बयान के आधार पर देश, से लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार तक को बदनाम करने की मंशा से इंडियन एक्सप्रेस में आलेख प्रकाशित किया गया है वह बयान उन्होंने दिया ही नहीं। यह बात उन्होंने स्वयं पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू को बताई है। मालूम हो कि आलोक वर्मा के मामले में जब सीवीसी जांच कर रही थी तो सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पटनायक को उस जांच की निरीक्षण करने को कहा था। जस्टिस पटनयाक का कहना है कि इस जांच के दौरान उनका दायित्व प्राकृति न्याय सिद्धांत के आधार पर सुनिश्चित करना भर था। ऐसा कहीं नहीं कहा कि उन्होंने साक्ष्य को देखा है और उसका विश्लेषण किया है। ऐसे में कोई साक्ष्य नहीं होने की बात कैसे कही जा सकती है?
जस्टिस सिकरी की बेदाग छवि को दागदार करने में जुटा फेक न्यूज गैंग
Fake news masters of so-called 4th estate are manufacturing news to discredit the SC judge who was part of the 3 member committee on CBI director Justice Katju exposed them after talking to both Sikri and Patnaik. Katju calls the Print and IE news fakehttps://t.co/U1rbicZ7Sn
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) January 13, 2019
आलोक वर्मा को उनके पद से हटाया क्या गया कांग्रेस के इशारे पर काम करने वाले फेक न्यूज गैंग और उसके सरगनाओं को इतना नागवार गजुरा कि पहले के सारे ऐहसान तक उतार फेंके। कांगियों और वामियों की यह ऐतिहासिस आदत है कि उसका जब तक भला होता रहेगा तभी तक आप उसके हितैषी होंगे। उसके अहं पर चोट होते ही वह फुंकार उठता है। क्योंकि आलोक वर्मा के खिलाफ अपना मत देने वाले जस्टिस सिकरी पर हमला करना शुरू कर दिया है। उनपर इस फैसले के कारण सीसैट का सदस्य बनाए जाने की फेक न्यूज चलाकर उन्हें बदनाम किया जा रहा है। मालूम हो कि एक शहरी नक्सली के पति सिद्धार्थ वरदराजन ने अपनी वेबसाइट द प्रिंट में जस्टिस सिकरी के खिलाफ झूठा अभियान चला रखा है। जस्टिस सिकरी के खिलाप द प्रिंट में प्रकाशित स्टोरी को भी मार्कंडेय काटजू ने फेक न्यूज बताया है।
: Y avoid contacting Sikri J to ask his version, which is y I call u fake news. His email id is aksikrij@gmail.com&phone 23016022
— Markandey Katju (@mkatju) January 12, 2019
उन्होंने फेक न्यूज पर बरखा दत्त को जवाब देते हुए सिकरी का नंबर और ईमेल भी अपने ट्वीट में लिख दिया है ताकि किसी फेक न्यूज फैलाने वालों में दम हो तो उनसे बात कर उनका पत्र जान ले। इतना ही नहीं जस्टिस काटजू ने जस्टिस सिकरी को एक ईमानदार तथा निष्ठावान जज बताते हुए देश के पेटीकोट पत्रकारों को आईना दिखाया है। उन्हों ने कहा है कि हमारे देश के मीडिया में कुछ घिनौने पत्रकार शामिल हैं जो अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए उन्हें बदनाम कर उनका बेदाग छवि को दागदार करने के प्रयास में लगे हैं।
कर्नाटक प्रकरण भूल गए है ये पेटीकोट पत्रकार
फेक न्यूज गैंग के पत्रकार पिछले अच्छे कार्य तक को याद नहीं रखते, क्योंकि उन्हों हर वार अपने ही फेवर में फैसला चाहिए। उनके खिलाफ फैसला गया नहीं कि अमुक जज बईमान की श्रेणी में पहुंचे जाते हैं।
Act 1:
When Gogoi J sits in the presser: Govt won't elevate him as #CJI
When #CJI Gogoi decides #Rafale: He had dinner with #Modi
Act 2:
When AK Sikri J decides #Karnataka voting in favour of #Congress: #Democracy wins
When Sikri decides against #AlokVerma: Govt's man !!!!
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) January 13, 2019
इनकी करनी को आप स्वयं भी देख सकते हैं। जब वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के अपने अन्य तीन सहयोगियों के साथ प्रेस कांन्फ्रेंस किया था तब सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने राफेल पर फैसला दे दिया उनकी दोस्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इतनी गहरी हो गई कि वे उनके साथ खाना तक खाने लगे। इतना ही नहीं जब जस्टिस सिकरी ने भाजपा के मुख्यमंत्री को कर्नाटक के विधानसभा में फिर से विश्वास मत हांसिल करने का आदेश दिया था तब काफी ईमानदार थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने आलोक वर्मा के खिलाफ आदेश दिया वे मोदी सरकार के आदमी हो गए। एक ही आदमी और दो फैसले के मामले पर इनलोगों का स्टैंड अलग अलग होते हैं।
जस्टिस सिकरी ने कांगी-वामियों के दबाव में वापस लिया नाम
जिस जस्टिस सिकरी पर फेकन्यूज गैंग वालों ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटारियट आर्बिट्रेसन ट्रिब्यूनल (सीसैट) के सदस्य बनने का आरोप लगाया है उसका कोई आधार नहीं है।
#Justice AK Sikri has withdrawn his consent to be appointed in the #London-based Commonwealth Secretariat Arbitral Tribunal.
His consent was taken by Govt in Dec 1st week.#AlokVerma verdict came by #CJI bench on Jan 8.
Sikri J sat in the Selection Panel meeting on Jan 10.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) January 13, 2019
क्योंकि सिकरी से लंदन में इस संस्था के सदस्य बनाए जाने की सहमति दिसंबर के पहले सप्ताह में ले ली गई थी, जबकि आलोक वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की बेंच का फैसला आठ जनवरी को आया है। दूसरी बात यह कि जस्टिस सिकरी को तो यह पता भी नहीं था कि उस चयन समिति में वह जाने वाले हैं। क्योंकि चयन समिति में सिकरी को भेजने का निर्णय पूरी तरह से मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का था। उन्हें तो अंतिम समय में बताया गया कि उन्हें उस समिति में जाना है। उन्हें तो 10 जनवरी को पता लगा कि उस चयन समिति की होने वाली बैठक में उन्हें हिस्सा लेना है। वैसे में इस संदर्भ में यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उनकी सहमति लेने के बाद किया था। इससे मोदी सरकार का कोई लेना-देना नहीं होता है। लेकिन फेक न्यूज फैलाने वाले गैंगे के सदस्यों को तो बस हुक्म है कि इस मामले में देश को और देश के लोकतात्रंकि संस्थाओं को बदनाम करना है ताकि सरकार की बदनामी हो और सत्ता उनके हाथ में आ जाए। प्रशांत भूषण जैसे वकील भी उसी सूची में शामिल है। तभी तो वह दूसरों को अपने जैसा देश विरोधी और भ्रष्ट समझता है।
Justice Sikri, whose vote decided Alok Verma’s fate, & who retires in 50 days, gets Modi govt & CJI's nod for plum postinghttps://t.co/8m5SxGKy8l
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 13, 2019
झूठी खबर और निराधार आरोप लगते देख कर ही जस्टिस सिकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटारियट आरबिट्रेशन ट्रिब्यूनल का सदस्य बनने से इनकार कर दिया है। उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया है। असल में कांग्रेस अद्यक्ष राहुल गांधी और उनके पालतू पत्रकार कभी नहीं चाहते हैं कि कोई ईमानदार व्यक्ति देश से लेकर विदेश तक की किसी संस्था में रहे। क्योंकि इन लोगों को ईमानदार लोगों से ही चिढ़ है। क्योंकि कोई ईमानदार व्यक्ति राहुल गांधी जैसे अज्ञानी व्यक्ति की चाकरी तो करेगा नहीं। इसलिए फेनन्यूज गैंग अपने सदस्यों के माध्यम से ईमानदार व्यक्ति की ईमानदारी को ही बदनाम कर देता है, ताकि उसका उद्देश्य सफल हो पाए।
URL : Justice Katju proved Barkha Dutt and Shekhar Gupta to be fakedews maker!
Keyword : fake news maker, justice markandey katju, supreme court, justice AK Sikri, बरका दत्ता, शेखर गुप्ता