1)#कहानीकम्युनिस्टोंकी मांग अंग्रेजी में बढ़ रही है! अंग्रेजी पत्रिका भी अब इसका रिव्यू छाप रही हैं। अंग्रेजी पत्रिका DayAfter के पत्रकार असित मनोहर की समीक्षा देखकर लग रहा है कि उन्होंने बेहद बारीकी से इस पुस्तक को पढ़ा है और हर तथ्य को इतिहास की रौशनी में देखा है। आप भी नीचे की लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं कि इसकी कितनी बारीक समीक्षा की गयी है।
2) परसों एक कार्यक्रम में ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकरजी मिले। कहा, संदीप आप कम्युनिस्ट वाली पुस्तक को प्लीज जल्दी अंग्रेजी में लाओ।
3) सुना है, रिपब्लिक और टाइम्स नाउ के चैट शो में भाग लेने वाले विशेषज्ञ रतन शारदा ने ऑर्गेनाइजर के लिए इसकी समीक्षा अंग्रेजी में की है। अभी मेरे पास इसकी कॉपी नहीं आयी है। आते ही आपसे शेयर करूंगा। ऑर्गेनाइजर के किसी पाठक के पास हो तो प्लीज वो मुझे भेज दें।
4) नीलसन-जागरण की हिंदी नॉन-फिक्शन श्रेणी में बेस्ट सेलर बनी यह हिंदी की अकेली राजनीति इतिहास और समाजशास्त्र की पुस्तक है। युवाओं ने देश के सच्चे इतिहास को जानने में रुचि ली, यही इसकी सार्थकता है। नेहरू व कम्युनिस्टों के प्रति अब तक बनायी गयी हर भ्रांति को तोड़ने में यह पुस्तक सफल हो रही है।
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5) इधर जिन लोगों ने प्रथम खंड को पढ़ लिया है, उनके फोन, मैसेज, मेल लगातार आ रहे हैं कि इसका द्वितीय खंड कब आ रहा है? कल तो प्रभात प्रकाशन के एमडी पीयूषजी ने भी कहा कि संदीपजी द्वितीय खंड जल्दी लिखिए न, बड़ी उत्सुकता है। यदि प्रकाशन इंडस्ट्रीज किसी बुक में उत्सुक हो तो समझिए, वह बाजार की मांग को अभिव्यक्त कर रहे हैं!
6) मेरी मजबूरी यह है कि मैं प्रथम खंड के बाद ‘राज-योगी: गोरखनाथ से आदित्यनाथ तक’ के लेखन में लग गया। योगी आदित्यनाथ के बहाने पूरे नाथपंथ, गोरखनाथ, गोरक्षपीठ की परंपरा और अयोध्या आंदोलन के इतिहास से नयी पीढ़ी को अवगत कराने का यही मौका था। आदि गुरू शंकर और गोरख न होते तो शायद बौद्ध धर्म का वज्रयान और इस्लाम हम पर हावी हो चुका होता। हम कैसे बचे, यह जानना भी आज की पीढ़ी के लिए जरूरी है!
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7) अंत में, कम्युनिस्ट के द्वितीय खंड के लिए कम से कम एक साल का शोध चाहिए। मैं लिखूंगा, लेकिन मुझे थोड़ा वक्त दीजिए। शास्त्री जी की हत्या से लेकर, इंदू सरकार की हर काली करतूत, माओवाद-नक्सलवाद,जेएनयू और इतिहास परिषद जैसे संस्थानों की स्थापना के पीछे का सच, नकली इतिहास लेखन का खेल और सोवियत संघ के ढहने तक इसका विस्तार है। इसका फलक और भी बड़ा है, प्लीज दबाव मत बनाइए, बस मुझे वक्त दीजिए! #KahaniCommunistonKi
https://www.dayafterindia.com/2017/08/29/folder-communist-expose/
Sir, apki book “kahani communisto ki” ka hindi edition nahi mil raha hai. Amazon,flipcart sabhi out of stock dikha rahe hai…pls uplabbd kraye…