कैराना का उपचुनाव चल रहा है। ‘आजतक’ न्यूज चैनल पत्रकारिता छोड़ कर दलित-मुसलिम के नाम पर विपक्षी एजेंडे को बढ़ाने में जुटा हुआ है ताकि चुनाव को प्रभावित कर सके! ‘आजतक’ न्यूज वेब पर एक खबर चल रही है, जिसका शीर्षक है- “कैरानाः दलित-मुसलिम इलाकों में EVM फेल, उपचुनाव रद्द करने की उठी मांग।”
इस खबर को आजतक के रिपोर्टर कुमार अभिषेक और आशुतोष मिश्रा ने लिखा है, जबकि इसे डेस्क पर कुबूल अहमद ने एडिट किया है! अब इसे कुबूल अहमद का संपादकीय कौशल कहिए या फिर ‘आजतक’ का कांग्रेस प्रेम, पूरी पत्रकारिता का जैसे रेप कर दिया गया है!
पूरी खबर पढ़ने पर आपको पता चलेगा कि दलित-मुसलिम इलाकों में EVM फेल-शीर्षक से यह खबर आजतक ने कैराना लोकसभा से संयुक्त विपक्ष की लोकदल पार्टी से उम्मीदवार तबस्सुम हसन के आरोप के आधार पर लिखी है! तबस्सुम हसन द्वारा चुनाव आयोग में की गई शिकायत में कैराना लोकसभा के तहत आने वाले गंगोह, नकुड़ और शामली विधानसभा क्षेत्र में बूथ स्थलों पर EVM के गड़बड़ी होने की शिकायत की गई है। ये क्षेत्र मुस्लिम और दलित बहुल माने जाते हैं। तबस्सुम हसन के अलावा आजतक ने अखिलेश यादव, रामगोपाल यादव और सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के बयानों को आधार बनाया है, जो वह बना सकता है, लेकिन उन बयानों के आधार पर जनता और खासकर मतदान चलते वक्त मतदाता को प्रभावित करने की चेष्टा नहीं कर सकता, जैसा कि उसने फर्जी शीर्षक लगाकर किया है!
पत्रकारिता में जब भी किसी के बयान को शीर्षक बनाया जाता है तो वस्तुनिष्ठता यह कहती है कि उसके बयान को “इन्वर्टेड कॉमा” में डाला जाए ताकि पाठकों में भ्रम की स्थिति पैदा न हो! लेकिन लगता है कि ‘आजतक’ ने एक खास एजेंडे के तहत भ्रम पैदा करने के लिए ही यह खबर लिखी है।
इस खबर के शीर्षक को पढ़कर लगता है कि ‘आजतक’ ने खोज-खबर के बाद कैराना के दलित-मुसलिम इलाकों में खराब ईवीएम को लेकर रिपोर्टिंग की है, लेकिन जब आप खबर के अंदर जाते हैं तो पाते हैं कि यह तो लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन, अखिलेश यादव और उनकी पूरी समाजवादी पार्टी का एजेंडा है, जिसे ‘आजतक’ आगे बढ़ा रहा है! पूरी खबर आरोप और शिकायत पर है, लेकिन शीर्षक ‘आजतक’ के एक्सक्लूसिवनेस की ध्वनि पैदा करता है, जो साफ-साफ पत्रकारिता की बेईमानी को दर्शाता है!
इस शीर्षक से ‘आजतक’ मतदाताओं में यह गलत खबर प्रचारित कर रहा है कि ईवीएम केवल उन जगहों पर खराब है जहां दलित-मुसलिम वोट हैं और प्रशासन ने यह जानबूझ कर किया गया है ताकि भाजपा को बढ़त मिल सके। लेकिन ‘आजतक’ के रिपोर्टरों ने ऐसी कोई खोज नहीं की है, जो उनके शीर्षक से न्याय करता हो!
यह साफ है कि ‘आजतक’ दलित-मुसलमान के नाम पर झूठ और नफरत पैदा करने से लेकर भाजपा विरोधी पार्टियों के एजेंडे को वोटिंग के समय मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए आगे बढ़ा रहा है! पत्रकारिता यह एक घटिया उदाहरण है। इस शर्मनाक पत्रकारिता के लिए ‘आजतक’ को ‘फेक न्यूज’ का अवार्ड जरूर मिलना चाहिए!
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