कश्मीर में पत्थरबाजी कर रहे एक वर्ग से बिलकुल विपरीत पुणे में शिक्षा प्राप्त कर रहे कश्मीरी छात्रों की सोच एकदम भिन्न है, जिनकी सोच बिलकुल एक आम हिंदुस्तानी जैसी है जो भारत से प्यार भी करता है और कश्मीर को भारत का हिस्सा भी मानता है. उनका मानना है सभी कश्मीरी, भारत से आज़ादी मांग रहे होते तो कश्मीर की कुछ और तस्वीर होती. 2014 में हुए भारी मतदान ने यह साबित कर दिया कि है कश्मीर भारत से अलग नहीं होना चाहता. अगर कश्मीर को भारत से अलग होना होता तो जवाहर सुरंग कब की बंद हो जाती? ज्ञात हो कि जवाहर सुरंग जम्मू व कश्मीर को जोड़ने वाली टनल है.
2003 से पुणे की एक स्वयंसेवी संगठन ने कश्मीर से छह बच्चों को पुणे लाकर शिक्षा दिलाने से इस अभियान प्रारम्भ का किया जो आज 250 तक पहुँच गया है . इन छात्रों ने अपने जीवन में अपना कुछ न कुछ खोया है.इनमें कोई आतंकवादियों के हमले के शिकार परिवार से तो कोई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के हाथों से मरे हुए का संबंधी लेकिन इनका भारत के प्रति नजरिया कुछ और है वे भारत को अपना राष्ट्र मानते हैं और यह भी मानते हैं कि कश्मीर में अमन और शान्ति जरूर आयेगी.
सुन रहे हो न! ‘कश्मीर मांगे आज़ादी’ के नारे लगाने वाले, कश्मीर को लेकर विधवा विलाप करने वाले सेक्युलर गैंग और बिकाऊ मीडिया! कहाँ हो!टीवी स्क्रीन काली करके बैठे हो या कानों में तेल डाल रखा है. कुछ सुना तुमने, कश्मीर मांग रहा है आज़ादी लेकिन भारत से नहीं बल्कि तुम जैसे झूठ के पुलिंदों से जिन्होंने कश्मीर के नाम पर पूरी दुनिया में झूठ और सिर्फ झूठ फैलाया और साजिश के तहत भारत को अंतराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करने की कहानी गढ़ी.
कश्मीर में पैलेट गन पर सुबह से शाम भोम्पू की तरह शोर मचाने वाले पैनल चर्चा के दौरान कश्मीर पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले न्यूज़ चैनलों को पुणे में पढ़ रहे छात्रों की आवाज नहीं सुनाई दे रही है. इस तरह की खबरें दिखाने पर क्यों पेट दर्द होता है ? कश्मीर के पत्थरबाजों के अलावा भी युवाओं का दूसरा चेहरा भी है जिसे तुम्हारा चैनल दिखाना नहीं चाहता. इससे तुम्हारे झूठ का भांडा जो फूट जाएगा.