हाथ में प्लेकार्ड लब पर झूठ का कारोबार करने वाले सारे फ़िल्मी सितारे किधर गुम हो गए। उनके प्लेकार्ड गायब हैं और वे खुद भी नदारद हैं। कहाँ हैं वे नामचीन सितारे जो कठुआ प्रकरण का सत्य सामने आते ही छूमंतर हो चुके हैं। मुंबई के कार्टर रोड पर हंगामा करने वाले कलाकार सामने आकर खेद प्रकट क्यों नहीं कर रहे। उनके इस बेकार के तमाशे से देश की छवि को जो धक्का पहुंचा है, उसकी भरपाई कौन करेगा। कल्कि कोचलिन और ट्विंकल खन्ना ऐसे प्लेकार्ड लेकर क्यों नहीं सड़क पर उतरते, जिन पर लिखा हो ‘कठुआ में रेप नहीं हुआ, अपनी गलती के लिए हम शर्मिंदा हैं’।
‘प्लेकार्ड पॉलिटिक्स’ कितनी खतरनाक है, ये उन लोगों को भी मालूम नहीं होगा जिन्होंने फ़िल्मी सितारों के इस नाटक का खुलकर समर्थन किया है। भारत की भोली जनता नही जानती कि किसी भी देश का कलाकार वर्ग यदि किसी मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरे तो पूरी दुनिया में ये बात जंगल में आग की तरह फैलती है। कठुआ मामले में की ये सनसनी यूएन तक जा पहुंची। एक झूठी खबर को इन सितारों ने ऐसा मुद्दा बना दिया कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भारत को नीचा देखना पड़ा। यकीन मानिये, ये भौड़ा विरोध कोई उस बच्ची के लिए नहीं था बल्कि भारत की छवि को गंदा करने के लिए था। जिन कलाकारों ने उस दिन कठुआ के मामले में झूठा प्रचार किया था, आज उनका सच भी जान लीजिये।
प्लेकार्ड लेकर फोटो सेशन करवाने वाली फ्लॉप अभिनेत्री सोनम कपूर इंडस्ट्री के सर्वाधिक पियक्क्ड़ कलाकारों में गिनी जाती है। आए दिन शराब पीने के बाद दोस्तों के साथ मस्ती करती हुई फोटोग्राफ सोशल मीडिया में वायरल होते रहते हैं। ‘डेलीहंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बॉलीवुड के ‘दस हैवी ड्रिंकर्स’ की सूची प्रकाशित की थी। इस ऑल टाइम बेवड़ा लिस्ट में सोनम कपूर का भी उल्लेख किया गया है। लिखा गया है कि सोनम कपूर आए दिन ऐसी पार्टियों में हिस्सा लेती हैं और लड़खड़ाने की हद तक पीती हैं।

प्लेकार्ड लेकर फोटो सेशन करवाने वाली बागी तेवरों वाली स्वरा भास्कर कठुआ में हुए काल्पनिक बलात्कार का विरोध करती हैं और कुछ दिन पहले फिल्म पद्मावत के समर्थन में विवादास्पद बयान देते हुए खुद को ‘योनि’ तक सीमित बताती हैं। ऐसे बयान देने वाले कलाकार किस मुंह से तख्ती लेकर खड़े हो जाते हैं। इनका जमीर क्या मर गया है। स्वरा भास्कर का जेनयू प्रेम किसी से छुपा नहीं है। जेनयू से ही ग्रेजुएट स्वरा ने कन्हैया कुमार के गिरफ्तार होने के बाद इसके और खालिद के समर्थन में ‘ओपन लेटर’ जारी कर दिया था। देशद्रोहियों और सेना को बलात्कारी बताने वालों के लिए सहानुभूति दिखाने वाले लोग आसिफा के सच्चे हमदर्द कैसे हो सकते हैं।
आखिर ऐसा कब तक चलेगा कि हर कोई ऐरागैरा कलाकार सड़क पर तख्तियां लेकर उतर जाएगा, जबकि उसकी निजी जिंदगी में नैतिकता नाम की चीज न हो। कठुआ के मामले में सच सामने आ गया है लेकिन जिम्मेदार फिल्म उद्योग की तरफ से अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। बॉलीवुड के प्रतिनिधि माने जाने वाले जावेद अख्तर और महेश भट्ट चुप क्यों बैठे हैं। ऐसा ही माफ़ी मांगने का मार्च क्यों नहीं निकलवाते। आज भारत माता चीख-चीखकर कह रही है कि तुमको मेरा मान मर्दन करने का अधिकार किसने दे दिया है। आखिर तुम हो कौन, एक कलाकार से अधिक तुम्हारी हस्ती नहीं है और देश को बदनाम करने निकले हो।
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