विपुल रेगे। अक्षय कुमार की ‘कठपुतली’ शुक्रवार को ओटीटी पर प्रदर्शित हुई। ये एक मनोरंजक फिल्म है। अब कहा जा सकता है कि अक्षय कुमार अपनी चिर-परिचित शैली में वापसी कर रहे हैं। विगत दो वर्ष अक्षय के लिए बहुत बुरे सिद्ध हुए। उनकी बड़े बैनरों वाली फ़िल्में पिट गई। कठपुतली में उन्होंने गंभीरता से अपना किरदार निभाया है।
ओटीटी मंच : Disney+ Hotstar
‘कठपुतली’ सन 2018 में प्रदर्शित हुई तमिल फिल्म ‘रत्सासन’ का आधिकारिक हिन्दी रीमेक है। निर्देशक रंजीत तिवारी ने भी मामूली फेरबदल के साथ इसे हिन्दी में बना दिया है। कहा जा सकता है कि निर्देशक ने हिन्दी रुपांतरण अच्छा किया है। निर्देशक ने अपना दिमाग लगाकर मूल स्क्रीनप्ले को दूषित करने का प्रयास नहीं किया है, इसलिए फिल्म एंगेजिंग और मनोरंजक बनी है। फिल्म की कहानी रत्सासन जैसी ही है। कसौली शहर में एक सीरियल किलर घूम रहा है।
वह हर जगह अपनी निशानी छोड़ देता है। निशानी के रुप में वह एक ख़ास किस्म की सिंड्रेला डॉल का कटा सिर छोड़ देता है। अर्जन सेठी को थ्रिलर और सस्पेंस लिखने का शौक है। वह फिल्म निर्देशक बनना चाहता है लेकिन बन जाता है पुलिस इन्स्पेक्टर। अर्जन की पहली ड्यूटी उसी कसौली में लगती है, जहाँ सीरियल किलर किशोरवय की लड़कियों की निर्मम ह्त्या कर रहा है। यदि मूल फिल्म से इसकी तुलना की जाए तो वह फिल्म फिर भी बीस ही निकलेगी।
निर्देशन बहुत अच्छा है लेकिन निर्देशक मूल फिल्म को पछाड़ नहीं सके हैं। फिल्म के कई दृश्यों को देखकर लगता है कि थ्रिल और डाला जा सकता था। अक्षय कुमार ने अपने पिछले पाप धोते हुए बढ़िया अभिनय दिखाया है। रकुल प्रीत कौर ने भी अक्षय कुमार का अच्छा साथ दिया है। इस फिल्म का विलेन यानी सीरियल किलर का किरदार कमज़ोर रह गया है। उसके चेहरे पर वहशीपन दिखाई नहीं देता। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहतर है और गति भी तेज़ है।
दर्शक फिल्म के किसी हिस्से में बोरियत महसूस नहीं करता। ये फिल्म उन दर्शकों को अधिक पसंद आएगी, जिन्होंने ‘रत्सासन’ नहीं देखी है। चंद्रचूड़ सिंह ने स्वाभाविक अभिनय किया है लेकिन सगुन मेहता साधारण ही रहीं। उन्होंने अपने किरदार पर होमवर्क नहीं किया। कुल मिलाकर ‘कठपुतली’ एक औसत मनोरंजक फिल्म है। ये टाइम पास के लिए देखी जा सकती है। इससे अधिक दर्शक को उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।
अक्षय कुमार के लिए ये सहूलियत है कि यहाँ उन्हें किसी को जवाब नहीं देना है कि फिल्म हिट है या फ्लॉप। हालांकि अपनी फिल्मों को बहिष्कार से डरकर ओटीटी पर रिलीज करने से अक्षय कुमार जैसे अभिनेता की साख़ गिरने की आशंका है। ये फिल्म बच्चों के देखने योग्य नहीं है। इसे वयस्क दर्शक ही देखें।