अर्चना कुमारी। यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों की विफलता है जब पंजाब को खालिस्तान बनाने पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के निर्देश पर दुबई से पंजाब आए अमृतपाल सिंह को समय रहते नहीं रोका गया। उसने भिंडरावाले के तर्ज पर पंजाब को एक बार फिर अलगाववाद की तरफ ले गया और खालिस्तान समर्थक लोगों को एकजुट करते हुए फिर से पंजाब में आतंक की सुगबुगाहट कर दी। सुरक्षा एजेंसियों को उसके एक-एक मूवमेंट के बारे में पूर्व से पता थी लेकिन इसके बावजूद उस पर नकेल नहीं कसा जा सका।
उसने अपने अनुयायियों के साथ जब पंजाब के थाने पर हमला किया तब भी केंद्र और राज्य सरकार की नींद नहीं खुली। दावा किया गया कि केंद्र के कहने पर पंजाब सरकार ने अब जबकि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पकड़ने की योजना बनाई तब वह पुलिस की आंख में धूल झोंक कर फरार हो गया। पिछले दो दिनों में उसके अनुयायियों को पकड़कर राज्य पुलिस अपना पीठ थपथपा रही है लेकिन अमृतपाल सिंह कहां छिपा है इसका कुछ भी अता पता नहीं चल पाया है।
सूत्रों का कहना है कि आनन-फानन में उसे पंजाब पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर दिया है लेकिन उसके समर्थक कहते हैं कि वह पुलिस के हिरासत में है। बताया यह भी जाता है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को धता बताते हुए अलगाववादी खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह देश छोड़कर नेपाल के रास्ते कनाडा भागने की फिराक में है। वैसे पंजाब सरकार का कहना है कि अमृतपाल सिंह के करीबियों पर शिकंजा कसने के बाद उसे भी धर दबोचा जाएगा। लेकिन अमृतपाल सिंह को गिरफ्त में लेना इतना आसान नहीं समझा जा रहा है क्योंकि पंजाब में उसने बहुत कम दिनों में गहरी पैठ बना ली है।
आपको पता ही है कि अमृतपाल सिंह “वारिस पंजाब दे” का प्रमुख है और बताया जाता है कि यह अभिनेता और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा शुरू किया गया एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसका काम अमृतपाल सिंह संभाल रहा था जबकि दीप सिद्धू की पिछले साल फरवरी में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वारिस पंजाब दे” के प्रमुख अमृतपाल सिंह अब तक पकड़ा नहीं जा सका हालांकि इस अभियान के तहत कई लोग अवश्य पकड़े गए लेकिन पूरे पंजाब में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अमृतसर, फाजिल्का, मोगा और मुक्तसर समेत पंजाब के कई जिलों में धारा 144 लगाई गई है। दावा किया गया है कि अमृतपाल सिंह के 78 करीबियों को गिरफ्तार किया गया है और बताया जाता है कि सात जिलों की पुलिस ने उस स्थान को घेर रखा है, जहां अमृतपाल के छुपे होने की संभावना है। इससे पहले जालंधर के शाहकोट के गांव महेतपुर के पास अमृतपाल सिंह और उनके साथियों की पुलिस ने घेराबंदी की थी। बताया जाता है कि पुलिस को अमृतपाल सिंह के शाहकोट आने की पहले से सूचना थी।
दावा किया गया है कि इसीलिए पहले से ही मोगा पुलिस ने मोगा और शाहकोट के सारे रोड बंद करके बड़ा नाका लगा दिया था लेकिन इसके बावजूद अमृतपाल सिंह पकड़ा नहीं गया।अमृतपाल के पकड़े जाने के बाद हिंसा भड़कने की आशंका प्रकट की गई थी जबकि इंटरनेट सेवा को भी राज्य में ठप कर दिया गया। लेकिन अमृतपाल सिंह को पकड़े जाने में अब तक सफलता नहीं मिली है। दावा किया गया है कि अजनाला घटना के कुछ दिन बाद ही 2 मार्च को पंजाब के सीएम भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात हुई थी।
इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट की बातचीत हुई। बैठक के बाद भगवंत मान ने बताया था कि पंजाब की कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे।सूत्रों के अनुसार, मीटिंग में भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री को अजनाला कांड की जानकारी दी थी और राज्य की स्थिति से रूबरू कराया था। इसके बाद 6 मार्च को पंजाब में केंद्र की ओर से 18 सीआरपीएफ-आरएएफ की टुकड़िया तैनात की गई थी।कुछ दिन पहले खुफिया एजेंसियों के हवाले से इनपुट आया था कि अमृतपाल सिंह पर पाक की खुफिया एजेंसी द्वारा हमले की योजना बनाकर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है, जिसके बाद अमृतपाल सिंह पर एक्शन लेना जरूरी समझा जा रहा था।
लेकिन केंद्र में वही सरकार बैठी है जो शाहीन बाग में नागरिक संशोधन कानून विधेयक के विरोध में बैठे मुस्लिम लोगों को हटा नहीं पाई थी जिसके बाद दिल्ली में भीषण दंगे हुए थे और उसमें 53 लोग मारे गए थे। इसी तरह किसान आंदोलन के नाम पर करीब 1 साल तक कथित किसानों ने दिल्ली को घेर कर रखा था लेकिन सरकार ने उनसे समय रहते बातचीत नहीं की और जब किसान बिल को रद्द कर दिया तब किसानों ने दिल्ली से अपना डेरा हटाया था ।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से अमृतपाल सिंह अलग देश खालिस्तान की मांग करके लगातार प्रशासन को चुनौती दे रहा था। वह लगातार भीड़ को उकसाने वाले बयान देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा था। उसके लुक और भाषणों को देखते हुए उसकी तुलना जरनैल सिंह भिंडरावाला से हो रही थी, जिसने 80 के दशक में सिखों के लिए अलग देश की मांग उठाकर कोहराम मचाया था। अमृतपाल सिंह के समर्थकों की तरफ से पंजाब में जगह-जगह लगातार भड़काऊ पोस्टर लगाए जा रहे थे।
लेकिन इसके बावजूद उस पर नकेल कसा नहीं जा रहा था और यह केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों की विफलता है । पंजाब में फिर से खालिस्तान को बुलंद करने वाले अमृतपाल सिंह 1993 में पैदा हुआ और 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साल 2012 में काम के सिलसिले में दुबई चला गया। दुबई में वह ट्रांसपोर्ट बिजनेस का काम करने लगा। पिछले साल फरवरी में दीप सिद्धू की मौत के बाद ‘वारिस पंजाब दे’ को संभालने के लिए अमृतपाल वापस पंजाब लौट आया। 29 सितंबर 2022 को मोगा जिले के रोडे गांव में अमृतपाल को ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख घोषित किया गया।