अर्चना कुमारी। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में पत्रकार पर हमला किया गया । इस मामले की भारतीय दूतावास ने निंदा की है और हमले खालिस्तानी समर्थक द्वारा किए गए। पहले भारतीय पत्रकार को मौखिक रूप से धमकाया गया, फिर शारीरिक रूप से हमला किया गया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दूतावास ने कहा, हम एक वरिष्ठ पत्रकार पर इस तरह के गंभीर और अनुचित हमले की निंदा करते हैं।
वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तानियों ने पत्रकार ललित के झा पर शारीरिक और मौखिक रूप से हमला किया। बताया जाता है कि भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे खालिस्तानियों ने पत्रकार के साथ अभ्रद भाषा का इस्तेमाल किया।
इस बारे में दूतावास ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, हमने आज वाशिंगटन डीसी में कथित ‘खालिस्तान विरोध’ को कवर करने के दौरान प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ भारतीय पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार, धमकी और शारीरिक हमले के परेशान करने वाले दृश्य देखे हैं और आगे लिखा गया है, हम समझते हैं कि पत्रकार को पहले मौखिक रूप से धमकाया गया, फिर शारीरिक रूप से हमला किया गया और इसलिए उसे अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और भलाई के लिए कानून एजेंसियों को सूचित किया है। हम एक वरिष्ठ पत्रकार पर इस तरह के गंभीर और अनुचित हमले की निंदा करते हैं ,इस तरह की गतिविधियां केवल तथाकथित खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों’ और उनके समर्थकों की हिंसक और असामाजिक प्रवृत्ति को रेखांकित करती हैं,
जो नियमित रूप से हिंसक और बर्बरता में लिप्त रहते हैं. हम मामले में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को धन्यवाद देते है। सूत्रों का कहना है किललित झा शनिवार दोपहर को भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तानी समर्थकों के विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे। इसी दौरान उन पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया था। हमले के दौरान पत्रकार ललित झा ने पूरी बहादुरी से खालिस्तान समर्थकों का सामना किया और करारा जवाब दिया था। बताया जाता है कि ललित कुमार झा ने रविवार को यूएस सीक्रेट सर्विस को अपनी रक्षा करने और अपना काम करने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि खालिस्तानी समर्थकों ने उनके बाएं कान पर दो डंडे मारे। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर खालिस्तानी समर्थकों का एक वीडियो भी शेयर किया है। झा ने ट्वीट किया, मेरी सुरक्षा के लिए 2 दिन मेरा काम करने में मदद करने के लिए धन्यवाद, नहीं तो मैं अस्पताल से यह लिख रहा होता। उन्होंने आगे बताया कि मुझे इतना खतरा महसूस हुआ कि मैंने 911 पर कॉल किया।
फिर मैंने सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों को देखा और उन्हें घटना के बारे में जानकारी दी। हालांकि, पत्रकार ने उनके साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया। ललित झा का कहना था कि प्रदर्शनकारियों में सभी उम्र के पगड़ीधारी पुरुष शामिल थे और सारे हिंदी तथा अंग्रेजी में बात कर रहे थे