संदीप देव। हमारे पड़ोसी खुराना जी की मृत्यु से मन काफी टूटा-टूटा सा लग रहा है। आज सुबह उनके हृदयाघात की सूचना मिली। उनके साथ खेलने वाले लोग उन्हें अस्पताल ले गये। वो बातें कर रहे थे। मेरी धर्मपत्नी ने श्रीमती खुराना को फोन किया तो उन्होंने बताया कि तबियत अभी ठीक है।
मैंने अपने ड्राइवर राकेश को अस्पताल भेज दिया कि उनको दवा आदि लाने या अन्य किसी मदद में वह उन्हें सहयोग करे। हमारा आज मंगलवार का उपवास था।
मेरी धर्मपत्नी ने कहा कि खुराना दंपति के लिए खाना बना लेते हैं, फिर खाना लेकर अस्पताल चलेंगे। ड्राईवर को फोन किया कि कुछ देर में आकर गाड़ी से हमें ले चलो कि उसने भर्राई आवाज में कहा, ‘सर खुराना जी नहीं रहे!’ मस्तिष्क एकदम से सुन्न पड़ गया!
श्रीमती खुराना को इसकी सूचना नहीं दी गई थी। उन्हें घर भेज दिया गया और ड्राईवर के फोन पर ही हमारे सोसायटी के गुप्ता जी ने हमसे कहा, “घर पर श्रीमती खुराना को आप लोगों को संभालना होगा। उन्हें अभी तक सच्चाई नहीं बताई गई है!” उसके बाद जो हुआ, वह ह्दय को विदीर्ण करने वाला था।
खुराना जी मृत्यु के बाद भी शांत और मुस्कुरा रहे थे। मुझे याद आने लगा हमेशा का उनका वह टोकना, ‘आप कहां रहते हो? दिखते नहीं?’ सोसायटी के हर कार्यक्रम में चलने के लिए पहले तैयार होकर मेरे घर की घंटी बजाना। वो अपनी बालकोनी में और मैं अपनी बालकोनी में और शाम को खड़े-खड़े काफी देर तक बातें करना। सुबह जब दूधवाले से दूध लेने के लिए हमारा दरवाजा खुलता
तो सामाने से खुराना जी की आवाज गूंजती, ‘नमस्कार जी!’ यह सारी बातें याद आ रही है!
सोसायटी में मेरा और उनका फ्लैट आमने-सामने है। हम दोनों के मकान की रजिस्ट्री एक ही दिन 26 April 2021 को हुई थी।
26 April उनके वैवाहिक वर्षगांठ की तिथि थी। खुराना दंपति सेवानिवृत्त के बाद शांति से यहां रहने आए थे। आज श्रीमती खुराना एकदम से अकेली पड़ गई हैं। दो बेटियां हैं, जिनकी अपनी गृहस्थी है। बड़ा ही प्यारा परिवार है।
खुराना जी एकदम फिट थे। बैडमिंटन/ टेबल टेनिस खेलते थे। सोसायटी के हर कार्यक्रम में बढ़कर हिस्सा लेते थे। उनकी कमी बड़ी खलेगी।
हम दोनों का फ्लैट आमने-सामने है। अब दरवाजा खोलने पर कौन टोकेगा? हर शाम बालकोनी में कौन बात करेगा? मन बड़ा कचोट रहा है। जब मेरा और मेरी धर्मपत्नी श्वेता का यह हाल है तो श्रीमती खुराना और उनके पूरे परिवार का क्या हाल होगा?
श्रीमती खुराना एक बुजुर्ग की तरह हमारे परिवार का ध्यान रखती थीं। आज उनकी रोने की आवाज हदय को छलनी कर रही हैं। भगवान विष्णु उनको दुख सहने की शक्ति दे! खुरानाजी आप बहुत याद आ रहे हैं। 😥
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् 🙏