ख्यात गायक किशोर कुमार के नाम पर मध्यप्रदेश में एक पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है। 1997 में ‘किशोर कुमार सम्मान’ देना शुरू किया गया था। अब तक अठारह फ़िल्मी हस्तियों को इस पुरस्कार से नवाज़ा गया है। आपको ये जानकर हैरान होना चाहिए कि ये पुरस्कार पाने वालों में नसीरुद्दीन शाह, बी आर चोपड़ा, गोविन्द निहलानी, जावेद अख्तर, श्याम बेनेगल, शत्रुघ्न सिन्हा, मनोज कुमार और समीर भी शामिल हैं। है ना हैरानी वाली बात। जिनका संगीत से कुछ लेना-देना नहीं है, उन्हें किशोर कुमार सम्मान पुरस्कार दिया गया। ये कितना मूर्खतापूर्ण नियम है कि एक महान गायक के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार में ‘गायक’ की कोई जगह नहीं है।
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के मानदंड के अनुसार ये सम्मान यह सम्मान उत्कृष्टता, दीर्घ साधाना, श्रेष्ठ उपलब्धि के मानदण्डों के आधार पर देय है। सम्मान के लिये चुने जाने के समय निर्देशक, कलाकार, पटकथाकार तथा गीतलेखक का सृजन-सक्रिय होना अनिवार्य है। यदि यही मापदंड रखने थे तो किशोर कुमार के नाम पर सम्मान पुरस्कार देने के बजाय किसी अभिनेता, गीत लेखक के नाम पर पुरस्कार दिया जाता। अब दिलीप कुमार और सई परांजपे को ये सम्मान देने में क्या तुक है। सच बात तो ये है कि तत्कालीन सरकारें किशोर कुमार के नाम पर स्थापित इस सम्मान के साथ ऐसा ही मज़ाक करती रही हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने सन 1984 में लता मंगेशकर के नाम पर ‘लता अलंकरण’ पुरस्कार शुरू किया था। ये पुरस्कार सुगम संगीत के क्षेत्र में देश की किसी भी भाषा के गायक अथवा संगीत रचनाकार को उसके सम्पूर्ण कृतित्व पर दिया जाता है। शुक्र है कि राज्य सरकार ने लता जी के नाम पर पुरस्कार बनाने में नियम देखभाल कर बनाए। इसलिए ही अब तक ये पुरस्कार गरिमामयी बना हुआ है। किशोर कुमार के नाम पर किसी निर्देशक या अभिनेता को पुरस्कार क्यों दिया जाए। आप कैसे सोच सकते हैं कि नसीरुद्दीन शाह या सई परांजपे किशोर कुमार के नाम पर सम्मान ग्रहण करे और ये बात जग-जाहिर है कि किशोर कुमार से उनका कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। गीत-संगीत को लेकर भी नहीं।
मौजूदा कमलनाथ सरकार ने इससे भी आगे जाते हुए नया निर्णय लेकर सबको चौंका दिया है। अब प्रदेश के उन युवा कलाकारों को भी ये पुरस्कार दिया जाएगा, जो फिल्म संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं। एकबारगी ये निर्णय बहुत क्रांतिकारी लग सकता है लेकिन है नहीं। क्या कमलनाथ सरकार को नहीं लगता कि किशोर कुमार जैसी वैश्विक हस्ती को उन्होंने एक प्रदेश तक सीमित करके रख दिया है। मध्यप्रदेश में आज की तारीख में ऐसा कौनसा गायक कलाकार है जो ये सम्मान पाने का अधिकारी हो सकता है। इस निर्णय के बाद जो चुनाव होंगे, वे इस सम्मान के स्तर को और नीचे गिराएंगे। कमलनाथ सरकार ने उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमी को ऐसे कलाकारों को सम्मानित करने के लिए नियुक्त कर दिया है।
अकादमी शास्त्रीय संगीत, दुर्लभ ध्रुपद गायन शैली के शिक्षण और प्रसार पर काम करती है और यहाँ आपको फ़िल्मी गीत गाने वाला गायक चुनना है, वह भी मध्यप्रदेश से। किशोर कुमार के ‘मयार’ का ऐसा गायक प्रदेश में कहाँ मिलेगा और वह भी ऐसी अकादमी उसका चयन करेगी, जो शास्त्रीय संगीत के लिए काम करती है। निःसंदेह कमलनाथ सरकार की इस नई तरकीब ने किशोर कुमार के सम्मान को कहीं का नहीं रखा। लता अलंकरण की तरह ये पुरस्कार भी राष्ट्रीय ही होना चाहिए। इसे प्रादेशिक बनाने की हिमाकत करना किशोर कुमार के विराट व्यक्तित्व के साथ भद्दे मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं है।