प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के भीतर कल हुए पाप ने मुझे हिला कर रख दिया है। क्या ये सुपारी पत्रकार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की अस्मत लूट लेंगे और हम चैन की बंशी बजाते रहेंगे? इस बात को जानिये की पांच साल पहले तक ये जो बोलते और लिखते थे देश उसे ही गीता की तरह सच मान लेता था। चुकी सच का कोई दूसरा आइना नहीं होता था तो देश, दशकों से सुपारी पत्रकारिता को ही पत्रकारिता मानता रहा। अब सरकार को चाहिये कि मंत्री और सरकारी अधिकारी की तरह, सुपारी-वीरों पक्षकारो के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच हो।
मैं किसी पक्षकार की तरह हनुमान कूद लगाकर पत्रकारिता करने नहीं आया था कि चलो कुछ नहीं हो पाया तो यही कर लेते है। जब हनुमान कूद वाले मुझ से कहते है कि मनीष आप पत्रकारों को गाली देने में आपको मज़ा आता है तो उन्हें बताना जरूरी नहीं मानता की आपके इस पाप से पत्रकारिता की आत्मा मरती है। और मैं एक प्रयास भर करता हूँ कि आप जान सकिये कि आप क्या कर रहे है! ताकि अपने ही पेशे की आत्मा को चोटिल न कीजिये। खैर हमें अब आपको ज्ञान नहीं देना। आप करिये सुपारीगिरी ।
पत्रकारिता मेरी आत्मा में है इसलिये इन सुपारी-वीरों की हरकतों से चोटिल होता हूँ। अब जब साफ हो गया है कि इनकी निष्ठा पेशे के प्रति नहीं आका के प्रति है तो इन्हें बेनकाब किया जाना जरूरी है। सोशल मीडिया के दौर में पत्रकारिता इनकी बपौती नहीं यह मान लीजिये। लगभग दो दशक तक यहाँ डुबकी लगाने के बाद मै दावे के साथ कहता हूँ की इस पेशे में 80 प्रतिशत लोग पत्रकार हैं ही नहीं। बस हनुमान कूद लगा कर आ गए। जिन्हें न लिखने आता है न बोलने। बस उचककागिरी आता है। आका ने यही सिखाया। चुकी कोई चयन प्रक्रिया है नहीं तो भाई भतीजावाद से काबिज़ हो गये। अब 80 प्रतिशत निष्ठावान सुपारी-वीरों के दवाब में 20 प्रतिशत पत्रकार डर कर नौकरी कर रहा है बस।
मेरा साफ मनना है कि पत्रकारिता किसी को सिखाई नहीं जा सकती है वो जन्मजात होती है क्यों की पत्रकारिता आपका एक आधारभूत स्वभाव है। जो सैकड़ो की संख्या में गैर पत्रकारो में यहाँ दिखता है लेकिन पेशे के अंदर रत्तीभर नहीं दिखता। तो जारी रखिये कलम की लड़ाई और बोलने की लड़ाई यहाँ से। क्योंकि यही जनता की मीडिया। मैंने तय किया है कि अब नियमित यहाँ से कलम और ऑडियो वीडियो की पत्रकारिता के मार्फ़त फैक्ट की पत्रकारिता आपके संग करूंगा ताकि सुपारी-वीरों को बेनकाब किया जा सके।
Jay ma bharti bharat mata ki Jay