पत्रकारों की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन पत्रकारों का आतंकियों, अलगाववादियों, नक्सलियों, देश तोड़ने वाले तत्वों से सांठ-गांठ भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है!
अभी-अभी देश ने हिंदुस्तान टाइम्स के वरिष्ठ जर्नलिस्ट विनोद शर्मा को कश्मीरी अलगाववादी गिलानी के मंच पर देखा था! मंच पर बैठकर रिपोर्टिंग का बहाना तो नहीं ही चल सकता है!
जब ऐसे लोगों से सांठ-गांठ रखोगे, टेरर फंडिंग पर पलोगे तो और जब उनके हित सध जाएंगे तो वो आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं? ऐसे में अपने कर्मों की ओर देखने के, हर बात में नरेंद्र मोदी सरकार को कोसना कहां तक उचित है? गौरी की हत्या के लिए बिना सबूत हिंदुत्ववादियों पर हमला करना दर्शाता है कि तुम असली मुजरिमों को बचाने के लिए ध्यान भटकाने के एजेंडे पर हो!
गौरी लंकेश की हत्या कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक में हुई है तो फिर आप केंद्र पर तोहमत लगा कर अपनी नस्ल की कांग्रेस सरकार को बचाना क्यों चाहते हो? कहीं तुम भी उसकी हत्या में सहभागी तो नहीं हो? तुम मतलब तुम्हारे आका? टेरर-नक्सली फंडिंग वाले आकायी स्रोत तो समान ही है न?
अब देखो न भाजपा नेता के मानहानि के अभियुक्त गौरी को अदालत ने तो सजा सुना दी थी, फिर कहीं यह तो नहीं है कि वह उन लोगों का नाम खोलने की धमकी तुम्हारे आकाओं को दे रही हो, जिनके कहने पर उसने झूठी रिपोर्ट लिखी? कहीं उन्हीं ने अपने बचाव में हत्या तो नहीं कराई?
अपने आका को बचाने के लिए अपने साथी पत्रकार की हत्या को हिंदुत्ववादियों की ओर मोड़ने से स्पष्ट है कि गौरी लंकेश की हत्या में तुम भी सहभागी हो नक्सली-अलगाववादी मानसिकता वाले कामरेड पत्रकार! तुम बच नहीं सकते?