केजीएफ की निर्मल – गंगा , संदीप देव ले आये हैं ;
शस्त्र – शास्त्र की विधिवत् -शिक्षा , हिंदू-धर्म बचाये हैं ।
समुचित भूमि की आवश्यकता है, शीघ्रातिशीघ्र पूरी होगी ;
हर हिंदू सहयोग कर रहा , हर आवश्यकता पूरी होगी ।
बहुत शीघ्र प्रारम्भ हो रहा , सौभाग्य राष्ट्र का जागा है ;
शस्त्र – शास्त्र से दीक्षित हिंदू , धर्म का दुश्मन भागा है ।
धर्म – सनातन अमृत – सागर , सबको संतृप्त ये करता है ;
सच्ची – शिक्षा इसकी पाकर , मानव जीवन तरता है ।
मानव को जीना सिखलाना , धर्म – सनातन करता है ;
जो भी इससे दूर हुआ है , कष्ट ही भोगा करता है ।
राष्ट्र के नेता महामूर्ख हैं , चरित्रहीन बहुतायत हैं ;
धर्म – सनातन को न जाने , पर करते पंचायत हैं ।
जितनी हानि इन्होने की है , हमलावर भी न कर पाये ;
सारे नेता एक बराबर , कोई आये या फिर जाये ।
यूपी या आसाम छोड़कर , सारे ही भरमाये हैं ;
धर्म का कोई ज्ञान नहीं है , पर ज्ञानी कहलाये हैं ।
केजीएफ सब ठीक करेगा , नेता भी धर्म को जानेंगे ;
धर्म – सनातन जब जानेंगे , राष्ट्र को तब अपना मानेंगे ।
हिंदू – राष्ट्र का सपना पूरा , जल्दी ही ये सच होगा ;
बहुत बड़ी ये बात नहीं है , सम्पूर्ण-विश्व हिंदू होगा ।
पहले भी सारे हिंदू थे , फिर से सब हो जायेंगे ;
विश्व – शांति का यही मार्ग है , वरना चैन नहीं पायेंगे ।
जीवन होगा बड़ा भयावह , रक्तपात की धूम मचेगी ;
मजहब वाले गलत मार्ग पर , उससे मंजिल नहीं मिलेगी ।
जीवन की मंजिल को जानो , सही-सही उसको पहचानो ;
पहचान तभी ही कर पाओगे , धर्म-सनातन को जब मानो ।
केवल धर्म – सनातन ऐसा , हर प्रश्नों का उत्तर है ;
जीवन का उद्देश्य सार्थक , सब कुछ करता बेहतर है ।
सदियों से दुख भोग रहे हो , अब तो इनको दूर करो ;
धर्म – सनातन ठीक से जानो , केजीएफ को प्राप्त करो ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”