भारत के इस भ्रष्ट – तंत्र में , सत्ता की आपाधापी है ;
वोटों के सौदागर नेता , मंदिर – विध्वंसक पापी हैं ।
राजनीति का रूप बदलकर , बना दिया है भ्रष्टनीति ;
लूट मची ऐसी वोटों की , सबसे ऊपर लूटनीति ।
लूटनीति की राजनीति में , पूरा देश लुट रहा है ;
पूरी दुनिया आंख दिखाती , कतर-कुवैत तक भौंक रहा है ।
नेता चाहे चुनाव जीतना , राष्ट्र की .जीत है ठेंगे पर ;
राष्ट्र से कुछ न लेना-देना , वो तो गुंडों को ठेके पर ।
पूरा-पूरा गुंडाराज है , कानून तो बस है हवा – हवाई ;
गिरोहबंद गुंडों की चलती , केवल भलों की आफत आई ।
वोटों के लालच में नेता , तुष्टीकरण बढ़ाता है ;
अपनी जीत सुनिश्चित करने , तृप्तिकरण भी लाता है ।
इतनी घातक-नीति चल रही , देश को फिर बंटवा देगी ;
अल्पसंख्यकवाद के चलते , हिंदू को मरवा देगी ।
हिंदू कानून का पालन करता , कानून के आश्रित रहता है ;
कानून को किया नेता ने नपुंसक , इसी से हिंदू मरता है ।
मरता क्या न करता हिंदू , अब तो अपनी जान बचाओ ;
ऐसे नेता तो मरवा देंगे , अब “नोटा” से इन्हें हटाओ ।
ऐसा चक्रव्यूह नेता का , उसे तोड़ने अर्जुन लाओ ;
एक ही ऐसा महारथी है , जम्मू से “अंकुर ” लाओ ।
अंकुर शर्मा की इकजुट-जम्मू , इकजुट-भारत इसे बनाओ ;
हर चुनाव में इसे जिताकर , हिंदू ! अच्छी सरकार बनाओ ।
जब तक अच्छी सरकार न होगी , हिंदू-जीवन नहीं बचेगा ;
अब्बासी-हिंदू-नेता के चलते , भारत तक अब नहीं बचेगा ।
अंतिम आशा “इकजुट-भारत”, इसको हाथों-हाथ उठाओ ;
गांव-गांव में शहर-शहर में , इसकी शाखायें फैलाओ ।
“इकजुट-भारत” की शाखायें , पूरे देश को आश्रय देंगी ;
धर्म – सनातन , कानून का शासन , दोनों को प्रश्रय देंगी ।
कानून का शासन लागू होगा , कोई गुंडा नहीं बचेगा ;
देश लूटने वाला नेता , भारत की जेलों में सड़ेगा ।
भ्रष्टाचार का पूर्ण खात्मा , “मृत्युदंड” की सजा मिलेगी ;
जिम्मी,जेहादी,वामी,सेक्युलर , इन सबकी किस्मत फूटेगी ।
देशभक्त ही रह पायेगा , हर घुसपैठिया वापस होगा ;
भारत में रहने वालों को , राष्ट्रभक्त बनना ही होगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”