आईएसडी नेटवर्क। भारतवर्ष की एकमात्र सुर कोकिला लता मंगेशकर की जीवन यात्रा रविवार की सुबह थम गई। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रविवार सुबह 8:15 बजे लता दीदी ने अंतिम सांस ली। रविवार की सुबह उनके अंगों ने कार्य करना बंद कर दिया था। उनके निधन की सूचना मिलते ही देशभर में पीड़ा का वातावरण बन गया। भारत सरकार ने लता जी के निधन पर शोक प्रकट करते हुए दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
92 वर्षीय लता मंगेशकर को बीती 8 जनवरी को कोरोना होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया था। कोरोना के बाद उन्हें निमोनिया भी हो गया था। एक माह तक संघर्ष करने के बाद रविवार को अंततः उन्होंने विदा ले ली। लता जी के गंभीर होने का समाचार आने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तुरंत गोवा में प्रचार कार्य रोक मुंबई पहुंचे थे।
गडकरी ने ही लता जी के निधन की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक प्रकट करते हुए ट्वीटर पर लिखा है ‘लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के परिवर्तनों को देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी।’
नितिन गडकरी ने ट्वीट में लिखा, ‘देश की शान और संगीत जगत की सिरमौर स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन बहुत ही दुखद है। पुण्यात्मा को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जाना देश के लिएअपूरणीय क्षति है। वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणा थीं।’ उनके जाने का समाचार मिलते ही फिल्म उद्योग के कई ख्यात व्यक्तियों ने दुःख प्रकट किया है, साथ ही विभिन्न राजनेताओं ने भी श्रद्धांजलि प्रकट की है।
लता मंगेशकर का जन्म मध्यप्रदेश के इन्दौर नगर में 28 सितंबर 1929 को हुआ था। लता जी के बारे में कहा जाता है कि बचपन से लेकर अब तक उनकी आवाज़ में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। उनका ईश्वर प्रदत्त स्वर आजीवन अपरिवर्तनीय रहा। ;लता दीदी ने मात्र 11 वर्ष की आयु में गायन आरंभ कर दिया था। उन्होंने अपना पहला गीत सन 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाया था।
लता जी को सबसे बड़ी सफलता फिल्म ‘महल’ के गीतों से मिली थी। इसके बाद उनका कॅरियर दिन पर दिन ऊंचाई पर जाता चला गया। सन 1969 में ही उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित कर दिया गया था। लता जी ने बीस से अधिक भाषाओं में तीस हज़ार से अधिक गीत गए। सबसे अधिक गीत गाने का कीर्तिमान भी उनके ही नाम पर है। वे अकेली ऐसी गायिका रही हैं, जिनके जीवित रहते हुए उनके नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा हुई थी।
उन्हें पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। रविवार की शाम लता जी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुंबई के शिवाजी पार्क में शाम 6: 30 पर उनकी अंतिम क्रियाएं संपन्न की जाएगी। लता जी के पार्थिव शरीर को दोपहर 12 बजे उनके आवास पर लाया जाएगा। यहाँ उनका शव लोगों के दर्शनार्थ रखा जाएगा और शाम को अंतिम संस्कार होगा। दो दिन के राष्ट्रीय शोक के साथ ही राष्ट्रीय ध्वज भी झुके रहेंगे। उनकी अंतिम यात्रा सेना के वाहन पर ले जाई जाएगी।