कांग्रेस के टुकड़े पर पलने वाले वामी-कांगी पत्रकार हो या कोई वेबसाइट, अपने आका के इशारे पर प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम कर बर्बाद करने के लिए अब सिर्फ फेक न्यूज ही नहीं फैलाते बल्कि षड्यंत्र रचने जैसी नीतचा पर उतर आए हैं । इनके षड्यंत्र का सबसे हालिया शिकार एस्सेल ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा बने हैं। देश की सबसे बड़ी लायर वेबसाइट में शुमार द वायर ने सुभाष चंद्रा की कंपनियों के खिलाफ फेक न्यूज छापकर न केवल उसे बदनाम किया बल्कि उसकी इस करतूत की वजह से सुभाष चंद्रा की कंपनियों के शेयर गिर जाने के कारण महज एक दिन में 14 हजार करोड़ की चपत लगी है। द वायर ने एस्सेल ग्रुप पर नोटबंदी के बाद नित्यांक इंफ्रापावर में तीन हजार करोड़ रुपये जमा कराने की खबर छापी है। द वायर ने अपनी खबर में इस मामले की गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) द्वारा एस्सेल ग्रुप की जांच करने की अफवाह भी फैलाई है। द वायर के इस खबर को एनडीटीवी और उसके रवीश कुमार ने हवा देने में कोई कोर कसर नहीं छोडी़। इसी खबर के बाद चंद्रा की कंपनियों के शेयर एक दिन में ही औंधे मुंह गिर गया जिससे उन्हें 14 हजार करोड़ रुपये डूब गए। जबकि ये सारी खबरे तथ्य से परे हैं। क्योंकि एस्सेल ग्रुप पहले ही ऐलान कर चुका है कि नित्यांक इंफ्रापवर से कोई लेना-देना नहीं हुआ है।
हालांकि जिस समय कांगी-वामी पत्रकार अपने आका के इशारे पर यह षड्यंत्र रच रहे थे उस समय सुभाष चंद्रा लंदन में अपनी कंपनियों के व्यावसायिक सौदा में व्यस्त थे। द वायर के फेक न्यूज का जब तक वे जवाब दे पाते तब तक नुकसान हो चुका था। इस नुकसान के लिए उन्होंने बगैर नाम लिए नकारात्मक समूह को दोषी ठहराया है। अब आपको उस नकारात्मक समूह की आपसी साठगांठ के बारे में सिलसिलेबार तरीके से बता रहे हैं।
कांग्रेस और जी ग्रुप के मालिक सुभाषचंद्रा की पुरानी अदाबत से हर कोई परिचित है। लेकिन कांग्रेस की उनके प्रति धारना और रवैया से शायद ही कोई अवगत हो। ये वही कांग्रेह है जो जीन्यूज के पत्रकारों पर अपने मुख्यालय में प्रवेश पर घोषित रुप से तो कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन अपने सारे प्रवक्ताओं को जी मीडिया के पत्रकारों को बाइट या इंटरव्यू देने या फिर बात करने से मना कर रखा है। यानि अघोषित रूप से बैन कर रखा है। यह वही कांग्रेस है जो देश द्रोह के आरोपी कन्हैया कुमार और शाहिला राशिद जैसों को अपनी बैठक में भाषण देने के लिए बुलाती रहती है, लेकिन पत्रकारों को बैन कर रखा है।
सुभाष चंद्रा ने लंदन से वापस आने के बाद पत्र जारी कर जिस नकारात्मक समूह की ओर इशारा किया है उसकी दूसरी कड़ी एनडीटीवी और उसके सबसे बड़े दलाल पत्रकार रवीश कुमार से जुड़ता है। एनडीटीवी वह न्यूज चैनल है जो द वायर के झूठ को प्रचारित करने के लिए अपना मंच उपलब्ध कराता रहा है। साथ ही रवीश कुमार जो द वायर के फेक न्यूज में और अधिक नमक मिर्च लगाकर अपने ब्लॉग की शोभा बढ़ाता रहा है। द वायर के इस फेक न्यूज को प्रसारित करने का मोर्चा रवीश कुमार ने संभाला। उसने तो द वायर के फेक न्यूज के सहारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुभाष चंद्रा के संबंध पर ही हमला करना शुरू कर दिया। दोनों के संबंध के आधार पर देश के आर्थिक हालात पर ही सवाल खड़ा कर दिया। अपने ब्लॉक में वह अपनी धूर्तता का जितना परिचय दे सकता था उसमें कोई कमी नहीं की। एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत की आर्थिक स्थिति को बेहतर मान रही हैं, वहीं दूसरी तरफ अर्थशास्त्र का ‘अ’ नहीं जानने वाला रवीश कुामर (यह स्वीकारोक्ति उसी की है) देश की आर्थिक हालत को बदतर बता रहा है।
एनडीटीवी, रवीश कुमार और द वायर का आपसी साठगांठ हर फेक न्यूज के साथ सामने आता रहा है। वह चाहे मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए कोई भी फेक न्यूज रहा हो। इससे साफ हो गया है कि द वायर कांग्रेस के इशारे पर उसी का एजेंडा चला रही है। इनके बीच आपसी साठगांठ को देखते हुए सुभाष चंद्रा के ‘नकारात्मक समूह’ सहज पहचाना जा सकता है।
सुभाष चंद्रा ने अपने सार्वजनिक पत्र में एक षड्यंत्र की बात भी कही है। उन्होंने लिखा है कि उस नकारात्मक समूह को यह भनक लग गई थी कि वे अपनी सबसे लाभ वाली कंपनी जी इंटरटेनमेंट का सौदा करने जा रहे हैं। दरअसल चंद्रा अपने शेयरधारकों को पैसे वापस करने के लिए अपनी जी इंटरटेनमेंट कंपनी का आधा शेयर बेचना चाहते थे। इसके लिए उनकी बात आखिरी चरण में पहुंच गई थी। जैसे ही इसकी भनक उन नकारात्मक समूह को लगी उसने इस सौदे को तोड़ने के लिए इस प्रकार के फेक न्यूज फैलान का षड्यंत्र रचा। और बहुत हद तक वह कामयाब भी रहा।
लेकिन यह कामयाबी ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाली। क्योंकि चंद्रा ने अपने शेयरधारकों को आश्वस्त किया है कि वे किसी का पैसा डूबने नहीं देंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से साफ कर दिया है कि वायर में प्रकाशित खबरें बिल्कुल झूठी और तथ्यरहित हैं। क्योंकि उनकी कोई भी कंपनी एसएफआईओ की जांच के दायरे में नहीं है। इसके साथ ही उनकी किसी भी कंपनी का नित्यांक इंफ्रापावर से कोई संबंध न पहले कभी था न ही आज है। जहां तक नित्यांक इंफ्रापावर में नोदटबंदी के बाद तीन हजार करोड़ रुपये जमा कराने की बात है तो वह विल्कुल निराधार है। ये सब नकरात्मक समूह का प्रपंच है जो बहुत जल्द सबके सामने आ जाएगा। इसी के साथ उन्होंने अपने हरेक निवेशकों से फेक न्यूज और अराजकता फैलाने वालों के बहकावे में नहीं आने और शांत रहने की अपील की है।
URL : leftist journalist played conspiracy to end the zee tv media !
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आखिर फेक न्यूज फैलाकर ये कानून की पकड़ से बाहर कैसे रहते है ?क्या कोई कानून फेक न्यूज की जबाबदेही तय नहीं करता?