यूके कोर्ट ने देश के भगोड़ा और शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ करने के साथ ही एक और बड़ा खुलासा हुआ है। यूके कोर्ट के 74 पृष्ठ वाले फैसले के 19 वें पैराग्राफ से साफ हो गया है भारत के वामपंथी नहीं चाहते थे कि विजय माल्या का प्रत्यर्पण हो। इसके लिए प्रशांत भूषण तथा वामी-कांगी के षडयंत्रकारी गिरोह ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर भ्रष्ट और राजनीतिक विद्वेश के तहत कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए माल्या के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी।
इतना ही नहीं प्रशांत भूषण ने स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रिकन स्टडीज में कार्यरत अपने दोस्त प्रोफेसर लॉरेंस सेज के माध्यम से यूके कोर्ट को प्रभावित करने का प्रयास किया था। प्रशांत भूषण ने सीबीआई की प्रतिबद्धता तथा राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों पर प्रश्न उठाने के लिए लारेंस सेज की नियुक्ति की थी। वामपंथी कांग्रेस की बी टीम है, यह सभी जानते हैं। अब यह साबित हो गया कि यह विदेश में भी कांग्रेस के लिए बैटिंग करते हैं। प्रशांत भूषण जैसे वामपंथी की कोशिश यह थी कि विजय माल्या का प्रत्यर्पण न हो ताकि चुनाव में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस को इसका फायदा मिल सके। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, जिस तरह से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हैं, उसमें अर्बन नक्सल किस तरह से सहयोगी है, यह प्रशांत भूषण के इस एक कुकृत्य से पता चल जाता है। देश के खिलाफ काम करनेे में वामी-कांगी किस तरह से जुटे हुए हैं, यह प्रशांत भूषण द्वारा माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन की अदालत में रोकने के प्रयास से स्पष्ट हो जाता है।
प्रशांत भूषण तथा वामी-कांगी के षड्यंत्रकारी गैंग की दोगलापंथी सामने आ गई है। एक तरफ तो माल्या को देश नहीं लाने के लिए मोदी सरकार को बदनाम करने में जुटे थे, वहीं दूसरी तरफ भगोड़ा शराब व्यापारी माल्या का प्रत्यर्पण रोकने के लिए यूके कोर्ट में अड़चन डाल रहे थे। भूषण सरीखे वामी-कांगी गैंग की इस दोगलापंथी का खुलासा कोई और नहीं बल्कि यूके के जिला कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण पर दिए अपने फैसले में किया है।
यूके कोर्ट ने 74 पृष्ठ वाले अपने फैसले के 19 वें पैराग्राफ में कहा है कि प्रशांत भूषण और उसके षड्यंत्रकारी गैंग ने कोर्ट में हलफनाम देकर भगोड़ा विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की अर्जी दी थी। इतना ही नहीं इन लोगों ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भ्रष्ट अधिकारी बताते हुए माल्या के खिलाफ राजनीतिक रंजिश के तहत कार्रवाई करने के आरोप को प्रत्यर्पण रोकने का मुख्य कारण बताया था। इसके साथ ही यूके कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि राकेश अस्थाना पर लगे आरोप की जांच करने के बाद भारत के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राकेश अस्थाना पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद है।
Check out the audacity of P Bhushan gang.. On one hand they shout corrupt mallaya has not been brought back… On other hand they goto UK court &submit affidavits which will stall Mallya extradition… Such brazen double game of this Left Lib ecosystem https://t.co/7szDkHqFxD
— Gajamani | கஜாಮಣಿ | ಗಜಾમણિ (@gajamani) December 11, 2018
ओपी इंडिया में प्रकाशित खबर के हवाले से मैसूर निवासी एक इंजीनियर गजमणि ने ट्वीट कर बताया है कि प्रशांत भूषण गैंग की जुर्रत देखिए एक तरफ तो यह गैंग माल्या को देश नहीं लाने को लेकर शोर मचाता था वहीं दूसरी तरफ यूके कोर्ट में हलफनामा दायर कर उसका प्रत्यर्पण रोकने के प्रयास में था। इतना ही नहीं माल्या को प्रत्यर्पण से बचाने के लिए इस गैंग ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर हमला किया था। प्रशांत भूषण और उसके गैंग की इस करतूत को दोगलापंथी नहीं तो और क्या कहा जा सकता है?
प्रशांत भूषण के इस कारनामें से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सीबीआई में जो आंतरिक कलह मची हुई है इसमें भी इसी गैंग की साजिश है। इसी गैंग ने राकेश अस्थाना को फंसाने से लेकर मोदी सरकार के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के साथ साजिश रची थी। जबकि सच्चाई यह है कि क्रिश्चियन मिशेल से लेकर विजय माल्या तक के प्रत्यर्पण कराने में राकेश अस्थाना की काफी अहम भूमिका रही है। इसका जिक्र यूके के कोर्ट ने अपने फैसले में भी किया है।
मालूम हो कि 10 दिसंबर को यूके के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भगोड़ा व शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के भारत सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। मालूम हो कि भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध 2017 में ही किया था। इतने दिनों तक सारे पक्षों की दलील सुनने के बाद ही कोर्ट ने माल्या की दलील को बेदम पाया और अंत में भारत सरकार को माल्या के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ प्रक्रिया शुरू करने आदेश दिया।
माल्या का प्रत्यर्पण निश्चित रूप से भारत सरकार की जीत है, लेकिन इस परिणाम के लिए जिस एक व्यक्ति की सबसे अहम भूमिका छिपी हुई है वह कोई और नहीं बल्कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना हैं। अपने फैसले में यूके कोर्ट ने राकेश अस्थाना और सीबीआई के प्रयास पर जो टिप्पणी की है इसका असर निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सीबीआई बनाम सीबीआई अंतर्कलह मामले पर भी पड़ने वाला है।
गौरतलब है कि अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले के मुख्य आरोपी क्रिश्चियन मिशेल के मामले की तरह ही विजय माल्या के पत्यर्पण मामले को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ही संभाल रहे थे। सुनवाई के दौरान माल्या ने अपनी रक्षा में जो सबसे बड़ा आरोप लगाया था वह यह कि राकेश अस्थाना एक भ्रष्ट अधिकारी हैं, इसलिए उनकी कार्रवाई राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है। माल्या द्वारा अस्थाना पर इतने गंभीर आरोप लगाने के कारण यूके कोर्ट ने उसकी गहनता से जांच करायी। अगर अस्थाना के खिलाफ लगाए आरोप सही होते तो यूके कोर्ट कभी भी माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश नहीं देता। लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में अस्थाना के खिलाफ माल्या के सारे आरोप को बेबुनियाद ठहरा दिया। उन्होंने अस्थाना और सीबीआई के खिलाफ लगाए आरोप के संदर्भ में कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि अस्थाना न तो भ्रष्ट हैं न ही राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित हैं।
मालूम हो कि सीबीआई की प्रतिबद्धता और राकेश अस्थाना पर सवाल खड़े करवाने के लिए वामी-कांगी के षड्यंत्रकारी गैंग ने प्रशांस भूषण के दोस्त स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रिकन स्टडीज के प्रोफेसर लॉरेंस सेज को विशेषज्ञ राय देने के लिए हायर किया था। सेज ने सीबीआई के विशेष निदेशक के रूप में नियुक्ति से पहले राकेश अस्थाना पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप पर सवाल उठाए थे। उन्होंने विशेष निदेशक के रुप में नियुक्ति पर सीवीसी के विरोध पर भी सवाल किया था । जबकि वास्तव में यह सच नहीं था। विशेष निदेशक के रुप में अस्थाना की प्रोन्नति का विरोध सीवीसी ने नहीं बल्कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने किया था। मालूम हो कि सेज ने अस्थाना के खिलाफ ये सारे आरोप गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज द्वारा अस्थाना कि नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका के आधार पर लगाए थे। अब कुछ कहने की जरूरत नहीं है कि कॉमन कॉज गैर सरकारी संगठन किसका है और वह किस उद्देश्य से काम करता है। यह वही एनजीओ है जहां मोदी सरकार और देश विरोधी गतिविधियों के लिए प्रशांत भूषण जैसे वामी-कांगी षड्यंत्रकारी गैंग के सदस्य साजिश रचते हैं।
लेकिन कोर्ट में जब सेज से काउंटर पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि बिना छानबीन किए ही उन्होंने प्रेस में प्रकाशित आलेख और खबरों पर विश्वास कर लिया। उन्होंने यह भी माना कि अस्थाना के पक्ष में आए भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी यूके कोर्ट के सामने नहीं रखा जिसमें अस्थाना के खिलाफ लगाए गए सारे आरोप को गलत बताया गया था। उन्होंने यह भी माना कि अस्थाना को विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त करने वाली चयन समीति को भी अस्थाना पर लगाए गए आरोप को लेकर कोई सबूत नहीं मिला था।
मालूम हो कि माल्या के बचाव में उसकी टीम ने जो सबसे बड़ी दलील दी थी वह यह कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना भ्रष्ट हैं। माल्या के बचाव टीम का यह आरोप दलील कॉमन कॉज द्वारा अस्थाना की नियुक्त के खिलाफ दी गई याचिका पर आधारित था। इससे साफ हो जाता है कि कॉमन कॉज के कार्यकारी समीति में शामिल प्रशांत भूषण ही सीधे तौर पर विजय माल्या की मदद कर रहे थे। प्रशांत भूषण ने ही माल्या के बचाव टीम को उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ अस्थाना पर आरोप लगाने के लिए ये सारी दलीलें भेजी थीं। ध्यान रहे कि प्रशांत भूषण ने अस्थान के खिलाफ जो दलीलें माल्या के बचाव टीम को भेजी थी उन सारी दलीलों को भारत का सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर दिया था।
इसके बाद प्रशांत भूषण ने यूके कोर्ट में अस्थाना पर लगे आरोपों के हवाले से सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा दायर कर कहा कि अस्थाना के पद्दोन्नति के कारण माल्या का मामला बाधित हो रहा है। प्रशांत भूषण का कहना था कि माल्या की बचाव टीम अस्थाना पर लगे आरोप के हवाले से प्रत्यर्पण मामले को कमजोर करने में लगी है। लेकिन यूके कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देने के साथ ही प्रशांत भूषण और उसके वामी-कांगी गिरोह का राकेश अस्थाना पर निशाना साधने की साजिश का पर्दाफाश कर दिया है।
यूके कोर्ट के फैसले से यह भी साफ हो गया है कि लंदन कोर्ट में माल्या मामले की सुनवाई के दौरान पूरे देश के वामपंथी ब्रिगेड सीबीआई पर हमलावर था। मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए यह शोर मचाते रहे कि मोदी सरकार माल्या को बचाने के लिए सीबीआई के माध्यम से जानबूझ कर केस को कमजोर कराने में लगी है। वामपंथी प्रोपगेंडा फैलाने के लिए मशहूर वेबसाइट द वायर ने सीबीआई पर आरोप लगाते हुए लिका था कि माल्या को भारत लाने से बचाने के लिए जानबूझ कर उपयुक्त प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है। उसने तो प्रशांत भूषण के बयान को कोट करते हुए लिखा था, “प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि सीबीआई कमजोर केस प्रस्तुत कर माल्या को मदद कर रही थी।”
लेकिन यूके कोर्ट ने प्रशांत भूषण और उसके गिरोह की साजिश को अपने फैसले में पानी की तरह साफ कर दिया है। इससे स्पष्ट होता है कि देश के वामपंथी और उसके गिरोह जब भी देश में कोई चुनाव होता है उससे पहले कांग्रेस को राजनीतिक लाभ पहुंचाने और मोदी सरकार के खिलाफ हवा बनाने के लिए कोई न कोई साजिश जरूर रचती है।
प्वाइंट वाइज समझिए
माल्या के मददगार वामपंथी गिरोह का खुलासा
* भारत के वामपंथी गिरोह नहीं चाहता था कि विजय माल्या भारत आए
* प्रशांत भूषण के जरिए यूके कोर्ट को प्रभावित करने का किया गया प्रयास
* यूके कोर्ट में माल्या को बचाने के लिए प्रशांत भूषण गैंग ने की थी पूरी मदद
* प्रशांत भूषण ने माल्या की बचाव टीम को भेजता था अस्थाना के खिलाफ दलीलें
* प्रशांत भूषण यूके कोर्ट में माल्या की मदद और सुप्रीम कोर्ट में करता था विरोध
* प्रशांत भूषण और वामपंथी गिरोह देश में मोदी सरकार को बदनाम कर रहा था
* जबकि यूके कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण रुकवाने में जी-जान से जुटा था
* सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से साजिश के तहत अस्थाना पर लगा रहा था आरोप
* देश में चुनाव से पहले कांग्रेस को लाभ पहुंचाने के लिए वामपंथी करते रहे हैं साजिश
* मोदी सरकार के खिलाफ हवा बहाने के लिए ही माल्या के मामले पर मचा रहा था शोर
* यूके कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि सीबीआई विवाद में इसी गिरोह का है हाथ
URL : leftist of India didn’t want to be extradited Mallya from Britain !
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