प्रधानमंत्री महोदय जी नमस्कार,
आतंकवाद खासकर इस्लामिक आतंकवाद घरेलू या बाहरी, दोनों तरह को घटनाओं पर रोक लगाने का एक बड़ा आसान सा उपाय है। और वह उपाय है कि किसी भी आतंकवादी के मृत शरीर को अग्नि के सुपुर्द कर देना यानी जलाया जाना। महोदय, मतांध इस्लामिक आतंकवादी लोगों को खासकर गैर मुस्लिम लोगों को सवाब यानी पुण्य की उम्मीद में मारते हैं। मतांध इस्लामी आतंकी बहुत विश्वास से यह मानते हैं कि गैरमुस्लिम लोगों को मारकर वह जन्नत के अधिकारी होंगे। और जन्नत में जाकर 72 हूरों के साथ भोगविलास या स्पष्ट लिखूं तो संभोग करेंगे।
असली पेंच यहीं से शुरू होता है। जन्नत में शरीर का वही हिस्सा जाएगा , जो बकायदा नमाज़ ए जनाजा पढ़कर मज़हबी रूप से दफनाया जायेगा। यदि शरीर का कोई हिस्सा नष्ट हो गया है तो वह जन्नत में उपलब्ध नहीं होगा। तो महोदय, यदि आतंकी के शरीर को जलाकर राख कर दिया जाएगा तो वह जन्नत में किसी काम का नहीं रह जाएगा, और इन आतंकियों का अंतहीन – असीमित जन्नत भोगने का प्लान अधूरा रह जाएगा। और इस एक डर से आतंकी घटनाओं में भारी गिरावट आएगी। आप आजमाकर दिखवा लीजिए।
परंतु यह लाभ तभी प्राप्त होंगे जब भारत सरकार बाकायदा इस बात की घोषणा करेगी कि भारत में पकड़े गए किसी भी आतंकी के मृत शरीर को केवल एक ही हश्र मिलता है और वह है आग में जलाकर राख कर दिया जाना।
इस बात को नीति बनाकर जोरों – शोरों से प्रचारित प्रसारित करने पर ही लाभ मिलेगा। हो सकता है ये बातें पढ़ने में बहुत दकियानूसी लग रही हों पर ये एकदम सत्य हैं। आइसिस के बहुतेरे आतंकवादी अपने गुप्तांग को लोहे के कवर से सुरक्षित करके रखते हैं ताकि अगर शरीर नष्ट हो भी जाए तो भी संभोग के लिए जन्नत में गुप्तांग उपलब्ध हो सके।
ये बातें कितनी भी मूर्खतापूर्ण क्यों ना लगें पर एक तबके के द्वारा अक्षरशः सत्य मानी जाती हैं। आइसिस वाली बात आप ऑनलाइन – ऑफलाइन सर्च कर सकते हैं। और इस अग्नि से भस्म करने वाले तरीके को अपनाने में कोई नियम भी आड़े नहीं आयेगा, क्योंकि आतंक का कोई मज़हब तो होता नहीं है तो फिर शव को जलाने में हर्ज़ ही क्या है। कोई भी धर्माधिकारी ससम्मान आतंकी के शव को अंतिम क्रिया किए जाने की पैरवी खुलकर नहीं कर सकता।
मानवता के हित में इस उपाय को अपनाकर देखा जाए कृपया। यदि लाभ मिला गया तो एक बहुत बड़ी समस्या से निजात मिल जायेगी। किसी तरह का नुकसान होने की कोई संभावना इस उपाय में नहीं है। थोड़ी बहुत लोकल चीख चिल्लाहट होगी, तो वह हर नए काम पर होती है।
पंकज त्यागी।
जय हिंद, वंदेमातरम।