अर्चना कुमारी दिल्ली के एक अस्पताल में आग लगने के बाद इसकी सूचना फायर और पुलिस को देने में देरी की गई थी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि पीसीआर कॉल से करीब 34 मिनट पहले अस्पताल में आग लग गई थी।
इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने आग की सूचना नही तो पुलिस को दी और न ही दमकल विभाग को दी थी। आग लगने पर वहां का स्टाफ खुद ही आग बुझाने के प्रयास करता रहा। इसी बीच शार्ट सर्किट से अस्पताल की बत्ती गुल हो गई और अचानक अंधेरा छा गया था।
हालात खराब होने के बाद 11:29 से 11:32 बजे के बीच पांच पीसीआर कॉल कर इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी गई।करीब 34 मिनट बाद अस्पताल और पब्लिक के लोगों ने कॉल कर पुलिस व दमकल को हादसे की सूचना दी थी।
सूत्रो ने बताया जांच में पता नही चल चला कि आग सामने की ओर वाले कमरे के पास लगी थी या पार्किंग एरिया में। आशंका है सामने कमरे की आग से वहां मौजूद सात बच्चे उसकी चपेट में आ गए। जबकि पीछे वाले कमरे में भर्ती पांच बच्चों को स्टाफ ने पब्लिक, पुलिस व दमकल कर्मियों की मदद से समय रहते निकालकर दूसरे अस्पताल भेज दिया गया।
मामले की जांच कर रहे पुलिस का कहना है कि यदि समय पर आग लगने की सूचना मिलती तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता। अब इस बारे में अस्पताल के स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। सूत्रो ने बताया पुलिस ने दावा किया कि आरोपी नवीन को दिल्ली से पकड़ा गया लेकिन वो जयपुर भाग गया था। ज्ञात हो पिछले ढाई सालों के दौरान दिल्ली के अलग-अलग अस्पताल में आग लगने की 77 घटनाएं हुई।
इनमें एम्स, सफदरजंग, आरएमएल जैसे अस्पताल भी शामिल हैं।सूत्रो ने बताया लगातार आग लगने की घटनाओं के बावजूद प्रशासन कोई सबक नहीं लिया।
अगर प्रशासन समय रहते बचाव के इंतजाम कर ले तो इस तरह के हादसों से बचा जा सकता है।सूत्रो ने बताया वर्ष 2022 में दिल्ली के 30 अस्पतालों में आग लगने की घटनाएं सामने आई थीं। वहीं वर्ष 2023 में इसका आंकड़ा 36 तक पहुंच गया।
वर्ष 2024 की ही बात करें तो 26 मई तक दिल्ली के 11 अस्पताल में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इस साल आग में झुलसकर मौत का आंकड़ा भी बढ़ा है। 26 मई तक आग लगने से इस साल 55 लोगों की जान चली गई। वर्ष 2023 में यह आंकड़ा महज 36 था।