हाथरस कांड को लेकर सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। 15 सदस्य टीम दिन रात एक कर इस जटिल केस की गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई है। इस बीच हाईकोर्ट ने स्थानीय प्रशासन पर गंभीर टिप्पणी करते हुए जांच से संबंधित कुछ सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं। उधर, इस कांड में बड़ी साजिश को देखते हुए फंडिंग को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की भी जांच जारी है।
हाथरस कांड की केस डायरी और संबंधित दस्तावेज मिलते ही सीबीआई जांच शुरू हो गई।सीबीआई की टीम पहली बार मंगलवार को जांच के लिए हाथरस के बुलगढ़ी गांव में पहुंची। करीब 5 घंटे तक अलग-अलग इलाकों में जाकर छानबीन की और जांच के बाद सीबीआई टीम पीड़िता के बड़े भाई को हाथरस स्थित एग्रीकल्चर डायरेक्टर के कैंप कार्यालय ले गई, जहां उससे घटना को लेकर विस्तृत पूछताछ की गई। इस दौरान सीबीआई टीम के साथ फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस अधिकारी भी वहां मौजूद रहे।
मंगलवार को करीब 11:30 बजे सीबीआई की टीम बुलगढ़ी गांव पहुंची और जांच टीम सबसे पहले उस स्थान पर गई, जहां पीड़िता के साथ कथित गैंगरेप हुआ था। मौके पर पहुंचते ही टीम ने इलाके को अपने घेरे में ले लिया और पीड़ित लड़की के परिवारवालों को बुलाया तथा उनसे क्राइम सीन से जुड़े सवाल पूछे गए। जांच टीम ने वारदात स्थल की वीडियोग्राफी भी की। सीबीआई ने करीब 3 घंटे घटनास्थल पर बिताए। इसके बाद सीबीआई की टीम उस स्थान पर पहुंची, जहां पुलिस ने पीड़िता का आधी रात में दाह संस्कार किया था।
क्राइम सीन क्रिएट करने के दौरान सीबीआई टीम के साथ पीड़िता का भाई भी मौजूद था। जांच टीम ने पीड़िता के ताऊ को मौके पर बुलाकर बातचीत की। इस बीच तबीयत बिगड़ने के कारण पीड़िता की मां को अस्पताल ले जाया गया। बाद में उन्हें भी प्राथमिक उपचार के बाद घटनास्थल पर लाया गया। सीबीआई के अधिकारी पीड़िता की मां को उस खेत में भी ले गए, जहां लड़की के साथ कथित तौर पर वारदात हुई थी ।
हाथरस कांड में सारे दिन की जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई की टीम शाम करीब 4:30 बजे पीड़ित लड़की के बड़े भाई को अपने साथ ले गई और उससे घटना के बारे में विस्तार पूर्वक पूछताछ की गई है। लड़की के परिवार वाले जहां सीबीआई जांच पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं वहीं है आरोपियों के परिवार ने खुशी जाहिर की है। बुधवार को भी सीबीआई इस केस से जुड़े साक्ष्य को एकत्रित करने का काम करेगी ।
आरोपियों के वकील अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह एक आपराधिक मामला है जिसकी सुनवाई अदालत में होगी। यूपी सरकार को गिराने की साजिश करने वाले लोग इस मामले में राजनीति न करें। जिन्हें राजनीति करनी है वह चुनाव की तैयारी करें। इस मामले के जरिये यूपी सरकार के खिलाफ काम करना बंद करें। अदालत पूरे मामले के तथ्यों को देखेगी और इसके अनुसार ही फैसला आएगा। उन्हें न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने हाथरस कांड में फंडिंग को लेकर अपनी जांच शुरू कर दी है।पीएफआई के पकड़े गए चार सदस्यों से ईडी की टीम द्वारा पूछताछ किए जाने के अलावा हाथरस में सांप्रदायिक और जातीय हिंसा फैलाने के पीछे अवैध फंड देने वाले का चेहरा बेनकाब किए जाने की कोशिश तेज कर दी गई है।
ईडी के डिप्टी डायरेक्टर विनय कुमार के नेतृत्व में 12 सदस्य टीम मथुरा पहुंचकर इस बाबत जांच में जुटी है। उधर, हाथरस मामले में हाईकोर्ट का सख्त निर्देश आया है। 11 पेज का हाईकोर्ट का निर्देश जारी किया गया है। इसके तहत पीड़ित परिवार को कड़ी सुरक्षा का आदेश देने के अलावा हाथरस के जिला अधिकारी पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाथरस कांड को लेकर पुलिस की भूमिका पर भी असंतोष जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने नाखुशी जाहिर की है, खासकर रेप नहीं होने वाले बयान पर कोर्ट बेहद खफा है और निलंबित एसपी विक्रांत वीर की पेशी के 2 नवंबर को आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने मीडिया, राजनीतिक दलों से कहा कि अनावश्यक बयानबाजी से बचें। मीडिया जिम्मेदारी भरी रिपोर्टिंग करे और सीबीआई जांच से संबंधित जानकारी को मीडिया से शेयर न किया जाए। अदालत का कहना है कि जांच की प्रगति पब्लिक डोमेन में न रखें और महिला सुरक्षा को लेकर नीति बनाए। अदालत ने लाश जलाने को लेकर भी नाराजगी जताई और कहा कि बिना परिवार की मंजूरी लाश क्यों जलाएं गए?
गौरतलब है कि उप्र में दंगा करने वालों के पोस्टर सार्वजनिक जगहों पर लगाने के योगी सरकार के निर्णय पर भी हाईकोर्ट इसी तरह से सुपर एक्टिव हुई थी, और छुट्टी होने के बावजूद रविवार को बैठ गयी थी। अपने आदेश में दंगाइयों के पोस्टर हटाने तक का निर्देश दे डाला था, जिसके बाद योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी और बाद में इस पर कानून ही बना दिया, जिसके बाद पोस्टर सार्वजनिक स्थलों पर लगे ही रहे। हाथरस केस में भी हाईकोर्ट कुछ उसी प्रकार से सुपर एक्टिव दिख रही है। अब सबकुछ सीबीआई जांच पर टिका है।
माननीय मी लॉर्डो का इस तरह का व्यवहार शंका उत्पन्न करता है। अब समय आ गया है कि सभी जजो, सरकारी वकीलों तथा उनके रिस्तेदारो की संपत्ति की जांच कराई जाए।