उत्तराखंड की तरह हिमाचल में भी मुस्लिम कट्टरपंथी अपने पैर जमा रहे है, जानकारी के मुताबिक राज्य में मस्जिदों की संख्या पांच सौ से ज्यादा हो चुकी है जबकि सरकार के पास इनका सरकारी आंकड़ा 393 का ही है।.
हिमाचल प्रदेश में भू कानून की वजह से बाहरी लोगो का जमीन खरीदना मुश्किल है इस वजह से यहां की मुस्लिम आबादी अन्य राज्यों की तुलना में सरकारी आंकड़ों में बढ़ती दिखलाई नहीं दे रही, लेकिन हकीकत कुछ और ही है, सड़को किनारे , फॉरेस्ट, पीडब्ल्यूडी और रेलवे की जमीनों पर मुस्लिम लोगो का अतिक्रमण कर बसने का खेल पिछले पंद्रह सालों में खेला जा रहा है, कहीं अवैध मजारे बना कर वहां पर जमीयत मुस्लिम कट्टरपंथी अपने पैर जमा रहे है तो कहीं स्थानीय मुस्लिम लोग जमीन खरीद कर मस्जिदों के अवैध निर्माण में लगे हुए है।…
कोविड काल से पहले हिमाचल सरकार ने अपने सरकारी आंकड़ों में राज्य में 393 मस्जिद और 35 मदरसे होने की बात कही थी, उस वक्त तब्लीगी जमात द्वारा कोविड वायरस फैलाए जाने का शोर उठा था।
पिछले साल ही में हिंदू जागरण मंच ने हिमाचल प्रदेश में एक सर्वे करवाया और उसमे चौकाने वाले तथ्य सामने आए है कि हिमालय राज्य में इस समय 520 मस्जीदे बन गई है, इनमे सबसे ज्यादा सिरमौर ज़िले में है जिनकी संख्या 130 बताई जा रही है, खास बात ये कि चंडीगढ़ हरियाणा और उत्तराखंड से लगे मैदानी जिलों के आद्योगिक क्षेत्र के जिलों में मुस्लिम धार्मिक स्थलोंकी संख्या और आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है। नालागढ़, बद्दी इलाके में 60 मस्जिदें हो चुकी है।
कुल्लू जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे थे जहां कभी एक भी मस्जिद नही थी वहां भी मस्जिदें बन गई है और यहां जिले में दस मस्जिदे हो चुकी है। सरकार के अनुसार शिमला जिले में तीस मस्जिदें है जबकि हिजाम का दावा है कि यहां 48 मस्जिदें है और छ मदरसे भी है।पंजाब से लगे ऊना जिले में हिंदू जागरण मंच ने 52 मस्जिदें और एक मदरसे होने की सर्वे रिपोर्ट दर्ज की है। पंजाब और कश्मीर से लगे चंबा जिले में मस्जिदों की संख्या 87 और 9 मदरसे होने का दावा किया गया है।
हमीरपुर में 15,कांगड़ा में 40,सोलन में 13,0बिलासपुर में 34, मंडी में31 मस्जिदें बन चुकी है। हिज़ाम के अनुसार अभी किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में कोई भी मस्जिद नही होने की बात कही गई है ऐसा नहीं है ऐसा नहीं है कि यहां मुस्लिम आबादी नही है, यहां मुस्लिम अपने अपने घरों में ही अपनी नमाज पढ़ते है। इस तरह से हिमाचल में कुल 520 मस्जिदें है और इनमे 444 मौलवी है शेष मस्जिदों में मुस्लिम धर्म प्रचारक व्यवस्था संभालते है, हिंदू जागरण मंच का कहना है कि इनमे मंडी जिले को छोड़ कर ज्यादातर मौलवी गैर हिमांचली है और ये मदरसों में जाकर कट्टरपंथ को बढ़ावा देते रहे है इनके कट्टरपंथी धार्मिक विचार और प्रचार को स्थानीय हिंदू लोग भी ध्वनि प्रसारण यंत्रों के माध्यम से सुनते है।
हिजाम का सर्वे को गौर से देखें तो हिमाचल की तस्वीर अब पहले जैसी नहीं रही, सेब के बगीचों में मुस्लिम मजदूर, औद्योगिक क्षेत्र में मुस्लिम लेबर, कबाड़, मिस्त्री, मोबाइल रिपेयर आदि क्षेत्रों में बाहरी राज्यो के मुस्लिम खास तौर पर पश्चिम यूपी के मुस्लिम वहां जाकर बस रहे है।ऐसी खबरे भी है कि बरेलवी मुस्लिमो ने यहां मजार जिहाद और लव जिहाद के अभियान शुरू करदिए है, बीजेपी की सरकार जाने के बाद से मुस्लिम धार्मिक स्थलों के निर्माण में एकाएक तेजी आई है
हिमाचल देवियों की भूमि माना जाता है जिस तरह से यहां मुस्लिम आबादी धीरे धीरे पांव पसार रही है उसे देख यही लगता है कि किसी सोची समझी साजिश के तहत यहां ऐसा हो रहा है, देबबंदी यहां मस्जिदों का विस्तार कर रहे है और बरेलवी यहां सरकारी जमीनों पर कब्जे कर अवैध मजारों को बनाने में लगे हुए है।
पाञ्चजन्य से अपनी बातचीत में हिंदू जागरण मंच के महामंत्री कमल गौतम बताते है कि हमने जो सर्वे करवाया है वो सौ प्रतिशत सही है,हमने पिछली बीजेपी सरकार के संज्ञान में भी ये बात लाई है और वर्तमान में कांग्रेस सरकार से भी ये आग्रह किया है कि बिना अनुमति बनी अवैध मस्जिदें गिराई जानी चाहिए जिन मस्जिदों को बिना अनुमति आलिशान रूप दिए जाने की तैयारी चल रही है। जबकि ये सुप्रीम कोर्ट का निर्देश 2009 से आया हुआ है कि कोई भी नया धार्मिक स्थल बिना जिला प्रशासन की अनुमति के नही बन सकता है।
सरकार इस पर भी रोक लगाए, आम तौर पर हमारा संगठन इसका विरोध करता है तो हम पर कारवाई होती है, कुछ दिन रोक लगती है फिर मस्जिद कमेटी को कोर्ट से स्थगन आदेश लाने का समय मिल जाता है। श्री गौतम कहते है कि कांग्रेस शासन काल में सबसे ज्यादा मुस्लिमो ने अपने यहां कट्टरपंथ फैलाया, लेकिन अब इनपर नियंत्रण पाए जाने के लिए सरकार को मजबूत इरादे से काम करना होगा,अन्यथा इस देवी स्वरूप राज्य का रूप विकृत हो जाएगा।
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