कहा जाता है कि झूठ के पैर नहीं होते इसलिए वे टिक नहीं पाते और सच को साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती। तभी तो जब से देश में मोदी की सरकार अस्तित्व में आई है हमारे देश के तथाकथित उदारवादियों ने देश में अभियान के बाढ़ ला दिए। याद नहीं कि जितने अभियान पिछले चार सालों में चलाएं है उनकी चौथाई भाग भी पिछली सरकारों के दौरान चलाए हों। लगता है पिछली सरकारों का कर्ज इन लोगों ने वर्तमान सरकार के खिलाफ अभियान चलाकर ही चुकाया है।
मुख्य बिंदु
देश को बदनाम करने की साजिश के तहत चलाए सारे अभियान
देश में सांप्रदायिक हिंसा और अराजकता फैलाना है मुख्य उद्देश्य
चर्च केस से लेकर जज लोया मामले तक अभी तक करीब 12 अभियान वर्तमान सरकार के खिलाफ चलाया जा चुका है लेकिन अभी तक एक भी नहीं हुआ है। इन्होंने अपने सारे अभियान देश के खिलाफ से लेकर हिंदुओं को अपमान करने के लिए चलाए। लेकिन एक भी सफल नहीं हुआ। साफ है कि ये सारे अभियान झूठ पर आधारित थे।
केजरीवाल ने मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ आरोप लगाना शुरू किया। उन्होंने आरोप तो साबित नहीं कर पाए उलटे सभी से माफी मांगनी पड़ी। केजरीवाल का झूठ हार गया। इसके बादल देश के तथाकथित उदारवादियों ने असहिष्णुता का मामला उठाया। हालांकि इस मामले में तात्कालिक बिहार चुनाव में फायदा मिला लेकिन दूरगामी परिणाम उनके खिलाफ ही गया। आज नीतीश कुमार एनडीए के साथ है और लालू यादव जेल की हवा खा रहे हैं।
अब कहां गई उनकी असहिष्णता?
इसके बाद लोगों ने अवार्ड वापसी का अभियान अपनाया। ध्यान रहे कि सभी ने बेजान शील्ड और कप ही लौटाए, उसके साथ मिली राशि किसी ने नहीं लौटाई। अवार्ड लौटाने वालों को भी शायद ही पता हो कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। कुछ आवारा लड़कों देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में आजादी का राग आलापा। उसके अभियान को भी हवा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। लेकिन वह अभियान भी औंधे मुंह गिरा। इस अभियान के तहत उदारवादियों ने तो हद ही कर दी। सरकार की आलोचना के बहाने देश के खिलाफ देशद्रोहियों तक का साथ देना गवारा कर लिया।
इसी प्रकार चाहे वेमुला का मामला हो, या जुनैद खान की हत्या का मामला, प्रायोजित भारत बंद का मामला हो या फिर होली के मौके पर वीर्य भरे बैलून फेंकने का मामला हर मामला झूठा था और हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्लेकार्ड एक्टिविज्म का मामला हो या फिर राहुल गांधी का लगातार हो रहा पुनर्रचना। इनका हर अभियान फेल हो रहा है क्योंकि इनके सारे अभियान झूठ पर चलाए जाते हैं।
उदारवादियों का रिपोर्ट कार्ड
* चर्च केस- फेल
* केजरीवाल का अभियान – फेक
* असहिष्णता अभियान- फेक
* पुरस्कार वापसी अभियान- फेक
* आजादी गैंग अभियान- फेक
* वेमुला मामला केस- फेक
* जुनैद हत्या का मामला- फेक
* प्रायोजित भारत बंद- फेक
* वीर्य भरा बैलून मामला- फेक
* प्लेकार्ड कार्यक्रम – फेक
* राहुल गांधी का लगातार पुनर्रचना- फेल
Photo Courtesy: Global Investigative Journalism Network
URL: List of Fake news which was peddled by Lutyen Media & Congress
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