नवम्बर 2019, महामारी के वाइरस का जन्म… चीन में तबाही मचाने के बाद पूरे विश्व में तबाही और बदहाली के आलम को हम सबने देखा, परन्तु आँखों देखी इस खबर की सच्चाई बहुत घिनौनी थी। वास्तव में महामारी के वाइरस का ट्रायल कई वर्षों से चल रहा था, परन्तु यह उतना घातक नहीं सिद्ध हो पा रहा था जितना इसके डेवलेपर्स चाह रहे थे। इस बार सफलता मिली, क्योंकि इसके जिम्मेवार व्यक्तियों ने वाइरस को घातक बनाने के साथ-साथ समूचे विश्व का सोशल मीडिया, मीडिया, राजतंत्र एवं स्वास्थ्य से जुडे हर तंत्र को अपने कब्जे में कर लिया। इसके अलावा उनकी आर्थिक शक्ति के सामने पूरी मानव जाति बौनी पड़ गई। जो भी इसके खिलाफ़ आवाज उठाता उसे चुप करा दिया जाता।
महामारी का वाइरस धरती के वातावरण में समाहित हो चुका है, उसे भविष्य में और अधिक शक्तिशाली तथा खतरनाक बनाने के बीज हर मनुष्य में बोये जा चुके हैं। टीकाकरण करवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के अंदर वाइरस का विरोध करने वाला एन्टीजन मौजूद है जो वाइरस को अधिक शक्तिशाली बनने के लिये उत्प्रेरित करता है, इससे नये और एक दूसरे के मुकाबले अधिक शक्तिशाली तथा खतरनाक वाइरस के प्रजनन की प्रक्रिया को अब कंट्रोल नहीं किया जा सकता। जब तक मनुष्य धरती पर जीवित है, इस महामारी को समाप्त नहीं किया जा सकता।
इस महामारी को कंट्रोल करने का एकमात्र उपाय समूचे देश और विश्व में हर्ड-इम्यूनिटी डेवलप करने से ही हो सकता है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति की इम्यूनिटी को मजबूत करना होगा। इम्यूनिटी को निरंतर मजबूत बनाये रखने के लिए निम्न सरल और कारगर उपाय हैं –
- प्रतिदिन शुद्ध, पौष्टिक और ताजे आहार का सेवन
- नियमित व्यायाम
- 6-8 घंटे की नींद
- थकान लगने पर आराम
- कम से कम 30 मिनट, सूर्य की किरणें पड़ने दें।
इन उपायों को दिनचर्या में समाहित करने के लिये सिर्फ सोच बदलने की आवश्यकता है। बिना किसी अतिरिक्त धन का व्यय किये, आपकी इम्यूनिटी मजबूत बनी रह सकती है, जिससे अन्य बीमारियों में भी सुरक्षा मिलती है। परन्तु यदि कोई –
- बहुत समय से दवाइयां खा रहा है।
- स्टेराइड ले रहा है।
- इम्यूनो सप्रेसेंट ले रहा है।
- हाल ही में सर्जरी हुई है।
- कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी हुई है या चल रही है।
- नियमित रुप से डायलिसिस हो रहा है।
- बच्चों या वृद्धों के लिये।
- अधिक तनिवपूर्ण जीवन जी रहे हों
तो इनकी इम्यूनिटी के लिए अतिरिक्त जानकारी हेतु आप हमें नि:संकोच संपर्क कर सकते हैं।
पिछले कई दशकों से काम करने के तरीकों में बहुत अधिक बदलाव हुआ है, जिससे नई पीढ़ी की जीवन शैली ही बदल गई है। विदेशी कंपनियों में काम करने के कारण काम का समय बदल गया है, जिससे पूरी दिनचर्या बदल गई है और इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। असमय सोना-जागना, खाना-पीना, रहन-सहन, मनोरंजन, नई पीढ़ी को धीरे-धीरे अस्वस्थ बनाता जा रहा है। अस्वस्थ शरीर का अभिप्राय है कमजोर इम्यूनिटी यानि कि बीमार शरीर। नवयुवकों और नवयुवतियों में कम उम्र में ब्ल्डप्रेशर, डायबिटीज़, हार्ट सम्बन्धी समस्यायें, थायराइड, पी सी ओ एस, पी सी ओ डी, जोड़ों की समस्यायें, डेबिलिटी इत्यादि बहुत आम बात है। जीवन के स्वर्णिम वर्ष, कैरियर कम्पटीशन और पैसों की हवस में व्यतीत करने के बाद गृहस्थ जीवन की शुरुआत करने पर जीवन रसहीन महसूस होने लगता और निराशाजनक परिस्थितियों में डिप्रेशन और एन्गजायटी जैसी समस्यायें आम हो गई हैं। इसलिए महामारी के मौजूदा हालात में नौजवानों और बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
विगत तीन सालों से लोगों को गुमराह करके अंधाधुंध टीकाकरण किया गया। सुरक्षा के सभी पहलुओं को ताक पर रखकर, साइन्टिफिकली प्रूवेन होने का नकाब ओढ़कर पूरी मानवजाति को धोखा दिया गया। इस टीके के किसी भी प्रकार के शार्ट या लॉंग टर्म साइड इफेक्ट का परीक्षण नहीं किया गया। इस टीकाकरण अभियान से विश्व भर में करोड़ो मौतें हुईं, परन्तु लाशों के साथ-साथ लोगों की आवाजों को भी दफना दिया गया। मानव इतिहास में ऐसी घृणात्मक चाल कभी नहीं चली गई जहाँ जीवन सुरक्षा का आश्वासन देकर लोगों को मौत बाँटी गई हो। महामारी की नई लहर में लोगों को यह बताने की प्रक्रिया शुरू हो गई है कि पहले वाले टीके कारगर नहीं हैं। जिसका तात्पर्य यह है कि पुनः नये सिरे से टीकाकरण शुरू किया जायेगा। यह बात कोई साइन्टिस्ट नहीं कह रहा बल्कि टीका बनाने वाली कंपनियों के सी ई ओ और एजेंट कह रहें हैं। इनके इस प्रोपोगैंडा के मद्देनजर सरकारें इमरजेंसी एप्रूवल जारी किये जा रहीं हैं। टीकाकरण के 3 साल बीतने के बावजूद भी किसी भी सरकार ने टीका के सुरक्षित होने का प्रमाण टीका बनाने वाली कंपनियों से नहीं माँगा। क्या आपको यह एहसास नहीं हो रहा कि महामारी की आड़ में असहाय और अनजान लोगों को मौत बाँटी जा रही है। इस महामारी में टीकाकरण किसी भी प्रकार से इसलिए कारगर नहीं होगा, क्योंकि वाइरस लगातार अपना वेरिएंट बदल रहा है।
टीका इम्यूनिटी को कमजोर बनाता है?
महामारी के तीन वर्षों में सभी के दिमाग में यह भर दिया गया है कि टीका लगवाने से इम्यूनिटी बढ़ती है, परन्तु यह सही नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि टीका लगवाने के बाद इम्यूनिटी कमजोर पड़ जाती है और लगभग 15 से 20 दिन लग जाते हैं इम्यूनिटी को पहले की स्थिति में पहुंचने के लिए। अतः टीकाकरण के बाद लगभग एक महीने लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिये। सही जानकारी के अभाव में ना जाने कितने लोगों की मौत टीकाकरण के एक महीने के अन्दर लापरवाही से हो गई। यह बात भी समझना ज़रूरी है कि टीका लगवाने से इम्यूनिटी को वाइरस विशेष के लिए उपयुक्त एन्टीबाडी बनाने की जानकारी भर मिलती है, परन्तु समय पर पर्याप्त एन्टीबाडी बन सके इसके लिए मजबूत इम्यूनिटी के साथ शरीर में आवश्यक तत्व उपलब्ध होना जरूरी है जो किसी भी टीके से प्राप्त नहीं होता। इसे कुछ इस प्रकार समझने की जरुरत है कि आपके पास अनुभवी कारीगर है परन्तु वह कमजोर है और उसके पास सही मैटीरियल नहीं है, तो क्या वह आपका काम सही ढंग से कर पायेगा ? अतः यदि महामारी से सुरक्षित होना हो तो टीका लगवाने के बावजूद आपको अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाये रखने के लिए ऊपर बताई गयी बातों को अपनाना होगा और शरीर को सही पोषण देना होगा।
कुछ अन्य बातें जो सभी को यह टीका के बारे में जाननी चाहिए –
- एक टीका सिर्फ एक ही वाइरस वैरिएंट के लिये कारगर होगा। नये वैरिएंट में उसके लिए बनाया गया टीका ही काम करेगा।
- यदि आपको इन्फेक्शन हो चुका है तो उन्हें उस वाइरस विशेष के टीके की आवश्यकता नहीं है।
- टीका या इन्फेक्शन के बाद खून में एन्टीबाडी तभी तक दिखाई देगा जब तक शरीर में इन्फेक्शन है। वाइरस समाप्त होने के कुछ ही दिनों में एन्टीबाडी विलुप्त हो जाते हैं।
- मौजूदा वाइरस का वैरिएंट निरन्तर बदल रहा है, अतः इसका उपाय टीकाकरण नहीं हो सकता।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि अभी तक जितने भी टीकाकरण किये गये और कारगर सिद्ध हुये उनका वैरिएंट हजारों सालों में बदलता है। यदि टीकाकरण तेजी से बदलते हुए वैरिएंट पर कारगर होता तो एच आई वी जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्यायें, जिनसे लाखों लोग मर रहें हैं उनका भी टीका बन चुका होता।
यह समझ नहीं आता कि यदि इस समस्या का हल इम्यूनिटी मजबूत करने से हो सकता है तो टीकाकरण करके लोगों की इम्यूनिटी को क्यों कमजोर किया जा रहा है? इंसान बनाने वाले ने इम्यूनिटी शरीर की सुरक्षा के लिए बनाई जो सदैव मानव की रक्षा करती आई, परन्तु कब, क्यों, कैसे और किसने इम्यूनिटी के प्रति हमारे अंदर ऐसा अविश्वास पैदा कर दिया कि आज उसे छोड़कर हम ऐसे टीके पर भरोसा कर रहें हैं, जिसके सुरक्षित होने की जांच ही नहीं हुई। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस टीके की खोज उन्हीं दवा बनाने वाली कंपनियों ने की है, जिन्होंने वायरस डेवलपमेंट का काम चीन की वुहान में स्थित लैब को दिया था। किसी भी टीके का परीक्षण किसी भी सरकारी संस्थान द्वारा नहीं किया गया। अजीब विडम्बना है कि हमारे भक्षक ही रक्षक होने दावा कर रहें हैं और इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि पढ़ा-लिखा वर्ग भी इस अत्याचार के प्रति आवाज नहीं उठा रहा।
अभी तक जो भी हुआ है वह शार्ट टर्म साइड इफेक्ट कहा जा सकता है, लांग टर्म साइड इफेक्ट का तो अभी किसी को अंदाजा भी नहीं है। परन्तु शार्ट टर्म साइड इफेक्ट देखते हुए मानव भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है।
आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिये स्वयं जिम्मेदार हैं। अतः महामारी से सुरक्षित रहने के लिए अच्छी तरह सोच विचार कर निर्णय लें और भेंड़चाल में ना फंसे।
कमांडर नरेश कुमार मिश्रा
फाउंडर आफ ज़ायरोपैथी
फोन – +91-888-222-1817, +91-991-000-9031
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