1) इस ‘केजरी-रिश्वत’ से हाईकोर्ट के अंदर का सच सामने आ गया कि केंद्र ऑक्सीजन लिए बैठा रहा और केजरीवाल सरकार ने उसे लाने के लिए टैंकर नहीं भेजा। इस विज्ञापन से अनजाने ही, लेकिन केजरीवाल इसे खुलकर स्वीकार कर रहा है।
2) तीन महीने में 150 करोड़ मीडिया को रिश्वत देने में खर्च किया गया, लेकिन ऑक्सीजन टैंकर पर एक पाई केजरीवाल ने नहीं खर्च किया।
3) क्या जनता के पास क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर होता है, जो विज्ञापन जारी किया गया? यानी आज भी जनता को बचाने की जगह ‘केजरी-रिश्वत’ जारी कर केजरीवाल के पाखंड का खेल बदस्तूर जारी है!
4) मीडिया अभी भी लाशों का धंधा कर धन बटोरने में लगी है। थोड़ी भी शर्म होती तो मीडिया मालिक/संपादक केजरीवाल से कहते, जब तक आप दिल्ली वालों को बचाने का इंतजाम नहीं करते हम आपका विज्ञापन न छापेंगे और न दिखाएंगे?