यदि आपको सर्दी,खांसी तथा बुखार की शिकायत है और आपको इस बात का संदेह है कि यह करोना हो सकता है तो इसकी जांच कराने से पहले यह अवश्य परख लीजिए की कोई आपको करोना टेस्ट के नाम पर बेवकूफ तो नहीं बना रहा है। दरअसल राजधानी की दक्षिण जिला पुलिस ने करोना के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले तीन लोग गिरफ्तार किए हैं। इनमें एक एमबीबीएस डाक्टर शामिल है। पुलिस का दावा है कि कोविड टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने वाला यह गैंग है। इस गिरोह का सरगना एक एमबीबीएस डॉक्टर था।
पुलिस ने आशंका जताई है कि इस तरह की गिरोह पूरे भारत में सक्रिय हो सकते हैं। इस वजह से आम लोगों को सावधान रहना चाहिए। पुलिस ने दावा किया यह गैंग जिसका कोरोना टेस्ट का सैंपल लेता, उसे टैस्टिंग के लिए लैब में भेजने के बजाए नष्ट कर देता और बाद में केवल लक्ष्ण के आधार पर आनन-फानन में मनचाही रिपोर्ट बनाकर प्रति मरीज 2400 रुपए वसूल करता था।
इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब टेस्ट कराने वाले का नाम रिपोर्ट में गलत लिखा गया। उसने सम्बंधित लैब से सही नाम की रिपोर्ट की मांग की तो पता चला उसका टेस्ट से सम्बंधित कोई सैंपल ही नहीं आया। बाद में जांच के दौरान इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर का कहना है कि मुख्य आरोपी ने रुस से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। आरोपियों की पहचान मालवीय नगर निवासी डॉक्टर कुश पराशर (34), सहयोगी अमित सिंह और सोनू के तौर पर हुई है। पुलिस को जांच में पता चला है ये लोग विभिन्न लैब की 75 से ज्यादा कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बना चुके थे। अभी इस केस में कुछ ओर गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।
इस बारे में पुलिस को एक नामी लैब ने फर्जी कोविड टेस्ट रिपोर्ट तैयार किए जाने की शिकायत दी थी। इस बाबत हौजखास थाने में धोखाधड़ी सम्बंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में पता चला है कि 30 अगस्त को नर्सिंग स्टाफ मुहैया कराने का बिजनेस करने वाले एक शख्स ने डॉक्टर कुश पराशर से दो स्टाफ को रखने से पहले उनका कोविड टेस्ट कराया। इस डॉक्टर ने उनकी फर्जी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट तैयार कर वाट्सएप पर भेज दिया। रिपोर्ट में नाम गलत था। इस वजह से पीड़ित ने सम्बंधित डॉयगनोस्टिक सेंटर से संपर्क कर नाम सुधार के साथ नयी रिपोर्ट की मांग की।
डॉयगनोस्टिक सेंटर का कहना था कि उस मरीज के नाम का कोई रिकॉर्ड ही उनके यहां मौजूद नहीं था। ऐसे में मामले की शिकायत पुलिस से की गई।पुलिस की जांच फर्जीवाड़ा रैकेट के सरगना डॉक्टर कुश पराशर के ऊपर आकर ठहर गई। डॉक्टर को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की गई, जिसके बाद इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया।
जांच में पता चला है कि आरोपी डॉक्टर ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले का फायदा उठाने के लिए यह सब किया। उसने टेस्ट के नाम पर लूट करने की साजिश रची और इसके लिए किसी करोना संदिग्ध का कभी डॉक्टर खुद सैंपल लेता तो कभी उसका सहयोगी पीपीई किट पहनकर टेस्ट सैंपल लेता। बाद में इसे सैंपल लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा नहीं जाता था। उसे नष्ट कर खुद कोरोना की फर्जी रिपोर्ट तैयार की जाती थी।
कम्पयूटर पर पीडएफ फॉरमेट में यह रिपोर्ट किसी भी नामी लैब के नाम पर बना दी जाती थी। टेस्ट कराने वाले के लक्ष्ण जानकार अपने मन से रिपोर्ट काे नेगेटिव या पॉजिटिव कर दिया जाता था। टेस्ट रिपोर्ट वाट्सएप पर भेजी जाती थी, जिस वजह से यह पता लगाना मुश्किल होता था कि वह असली है या नकली।
जांच में पाया गया कि आरोपी डॉक्टर कुश पराशर एमडी फिजीशियन हैं। चौंकाने वाली बात ये है इस पूरे नेटवर्क को खुद एक एमबीबीएस डॉक्टर ऑपरेट कर रहा था और इस काम में दो सहयोगी मदद प्रदान करते थे। पुलिस का कहना है कि डॉक्टर के रैकेट में कई अन्य आरोपी शामिल हैं जिनकी भूमिका के बारे में पता किया जा रहा है। बाद में उन लोगों की भी गिरफ्तारी की जाएगी।
दिल्ली पुलिस ने देशभर के लोगों को सावधान करते हुए अपील की है कि वह टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर तथा लैब के बारे में जरूर पता कर ले, नहीं तो उनको ठगी का शिकार होना पड़ सकता है। जिस तरह से देशभर में करोना के मरीजो की संख्या निरंतर बढ़ रही है, ऐसे में कुछ लोगों ने इस वैश्विक महामारी के नाम पर लूट का धंधा शुरू कर दिया है, जिससे बचने की जरूरत है ताकि उनकी मेहनत की कमाई पर कोई डाका न डाल सके।