18 डिग्री सेल्सियस तापमान से कम वाले ऐसी घर में रहने वाली निधि राजदान जैसे पत्रकारों ने आज गरीबी, गरीबों और पत्रकारिता को मजाक बना कर रख दिया है। ये लोग मोदी सरकार की आलोचना करने में इतने अंधे और पागल हो चुके हैं कि उन्हें खुद नहीं पता कि वे क्या बोलते हैं और क्या लिखते हैं? एसी के तापमान को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी आधी अधूरी खबर पर इन लोगों ने सरकार के खिलाफ ट्विटर वार छेड़ रखा है। निधि पत्रकार राजदान ने इसी खबर के आधार पर सरकार के खिलाफ ट्वीट करते हुए लिखा है कि हम अपने घर में एसी का तापमान कितना रखें इस पर सरकार का कोई अख्तियार नहीं होना चाहिए। उसने लिखा है अगली बार सरकार हमारे खाना खाने और पानी पीने पर पाबंदी लगाएगी।
Why should the state tell us the temperature at which to set our ACs? Next you’ll tell us how much rice we can eat, how much water we can drink. Nanny state 101 https://t.co/HavpHMHlYY
— Nidhi Razdan (@Nidhi) June 24, 2018
मुख्य बिंदु
* पीडी पत्रकारों ने मोदी सरकार की आलोचना में अंधे होकर गरीबों को भी मजाक बनाना शुरू कर दिया है
* ग्लोबल वार्मिंग के लिए यही अभिजात्य वर्ग हैं सबसे ज्यादा जिम्मेदार, जो स्टूडियों में बहस करेंगे, खुद अमल नहीं करेंगे।
निधि राजदान अगर तुम खुद मूर्ख हो तो कम से कम देशवासियों को तो मूर्ख मत बनाओ! तुम मोदी सरकार की आलोचना में अंधी हो गई हो तो अपने उन गरीब हितैषियों, जिसका हमदर्द होने का हमेशा तुम दावा करती रहती हो, को कम से कम अंधा मत बनाओ। तुम्हे भले ही 18 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान वाले घर में रहने की आदत हो लेकिन उन करोड़ों गरीबों को प्रकृति के कोप के आगे मत झोंको, जो तुम्हारे जैसे लोगों के कारण बेहाल हो रहे हैं। तुम्हे विज्ञान और तकनीक की रत्ती भर समझ नहीं है। अगर समझ होती तो आज अपने ही वैचारिक बच्चे की हत्या करने पर आमादा नहीं होती ।
तुम्हें पता होना चाहिए कि इतनी भीषण गर्मी में तुम्हारे 18 डिग्री सेल्सिय से भी कम तापमान वाले एसी रूम रहने का खामियाजा उन गरीबों को कितना भुगतना पड़ता है जिसका तुम हमदर्द होने का नाटक करती रहती हो। तुम लोग प्रो पिपुल के नाम पर नकली एंटी एस्टैब्लिशमेट पत्रकार का तमगा लिए फिरती हो। लेकिन तुम्हारा यह ट्वीट साबित करता है कि तुम न तो प्रो पिपुल हो न ही एंटी एस्टैब्लिमेंट ही हो, तुम लोग हमेशा ही एक खास परिवार के चाटुकार रहे हो।
अव्वल तो सरकार ने ऐसा कोई आदेश दिया ही नहीं जिस ओर तुम्हारा इशारा है। लेकिन आधी सच्ची खबर से ही गरीबों के प्रति हमदर्द होने का नकली चेहरा तुम्हारे ही गरीबों के सामने उजागर हो गया है। अगर सरकार ने इस तरफ थोड़ा भी ध्यान दिया है तो उसे आवासीय एसी और औद्योगिक एसी, जहां गरीब मजदूर काम करते हैं, के तापमान में अंतर रखना ही चाहिए।
एसी कंपनियों को टेंपरेचर 24 डिग्री सेल्सियस करने की सरकार की सलाह पर सबसे ज्यादा बेचैन वो ‘पीडी पत्रकार’ हैं जो एसी स्टूडियो में बैठकर गेहूं, धान, गरीबी, किसानी, दलित, बेरोजगारी की समस्या पर ज्ञान पेलते हैं! सरकार इन मुखौटों को बड़े करीने से नोच रही है! भाई वाह!
AC कंपनियों को AC का टेपरेचर सेट करने की सरकार की सलाह पर सबसे ज्यादा बेचैन वो पत्रकार हैं जो AC Studio में बैठकर गेहूं, धान, गरीबी, किसानी, दलित, बेरोजगारी की समस्या पर ज्ञान पेलते हैं! सरकार इन मुखौटों को बड़े करीने से नोंच रही है! भाई वाह! pic.twitter.com/8TGua26MGD
— Sandeep Deo (@sdeo76) June 24, 2018
URL: lutyens Journalists living in emperature of 18 degree Celsius are sympathetic to poor
Keywords: AC Temperature, AC, Modi government, lutyens Journalists, modi hater gang, nidhi rajdan, मोदी सरकार, एसी टेंप्रेचर, लुटियन पत्रकार, निधि राजदान,