रिमझिम रिमझिम
बूंदों की डोर
सावन की आंगन में
नाचे है मोड़
पनघट पे कल कल
करती है भोर
ऐसा है तेरा मां
प्यार अनमोल
मैं तेरी आंचल हूं
मैं तेरा साया हूं
तू रब से जो मांगे दुआ
वो तेरा काया हूं
उठती लहर
किनारों की ओर
चंदा को देखे
जैसे चकोर
कोयल की कू कू
पपीहे का शोर
ऐसा है तेरा मां
प्यार अनमोल
तेरी खुशी हूं मैं
तेरी तमन्ना हूं मैं
सारे जग से न्यारा
तेरा मुन्ना हूं मैं
सूरज की रेशम सी
किरणों की डोर
फूलों पे जैसे
पुरवइया का जोर
आंसू से भींगी
पलकों का कोर
ऐसा है तेरा मां
प्यार अनमोल।
रिमझिम रिमझिम
पंकज कुमार सिन्हा।