कहावत है कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की गर्दन नहीं काटना चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार ने तो यहाँ सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की गर्दन ही काट ली है। प्रोड्यूसर्स गिल्ड और सेंट्रल सर्किट सिनेमा एसोसिएशन ने फैसला किया है कि जब तक मध्यप्रदेश सरकार मनोरंजन कर समाप्त नहीं कर देती, तब तक प्रदेश के सिनेमाघर बंद ही रहेंगे। एक महीना होने आया है लेकिन प्रदेश के सिनेमाघरों पर ताले पड़े हुए हैं। मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सिनेमाघरों के कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस बार की दीपावली मध्यप्रदेश के मनोरंजन उद्योग के लिए मनहूसियत लेकर आ रही है।
एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद देशभर में मनोरंजन कर समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद मध्यप्रदेश के सिनेमाघर संचालकों और फिल्म वितरकों ने राहत की साँस ली थी। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में सबसे अधिक मनोरंजन कर वसूला जाता रहा है। शिवराज सरकार को मनोरंजन कर समाप्त होने से हर वर्ष की करोडो की कमाई छीन जाने का डर सताने लगा। सरकार ने मनमानी करते हुए नगर पालिका एक्ट में संशोधन कर दिया। इसके बाद पुनः मनोरंजन कर वसूला जाने लगा। मनोरंजन कर की दर एक सी नहीं रखी गई। भोपाल में 10 प्रतिशत, जबलपुर में 15 प्रतिशत और इन्दौर में 5 प्रतिशत दर रखी गई। इस असमान दर के कारण असंतोष बढ़ा।
इस निर्णय से नाराज फिल्म वितरकों और सिनेमा आनर्स एसोसिएशन ने पिछले माह की शुरुआत में ही एकाएक सिनेमाघर बंद करने का निर्णय ले लिया। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश से अब तक सौ करोड़ से भी अधिक का नुकसान हो चुका है। दर्शकों को फ़िल्में देखने को नहीं मिल रही। मध्यप्रदेश क्या देश के किसी भी प्रदेश में आज तक इतने लम्बे समय के लिए थियेटर बंद नहीं रहे हैं। अब ख़बरे हैं कि फिल्मों का प्रदर्शन 31 दिसंबर तक टाल दिया गया है। निश्चित ही दीपावली पर आने वाली बड़ी फ़िल्में अब दर्शक नहीं देख सकेंगे।
मध्यप्रदेश सरकार ने जब मनोरंजन कर के लिए एक्ट में संशोधन किया तो मुंबई में बैठे प्रोड्यूसर्स गिल्ड और सेंट्रल सर्किट सिनेमा एसोसिएशन को इस बात की चिंता हो गई कि मध्यप्रदेश को देखकर अन्य राज्य भी अपने यहाँ संशोधन कर टैक्स न लेने लग जाए। जाहिर है कि फिल्म उद्योग नुकसान सह कर भी मध्यप्रदेश को फ़िल्में देना नहीं चाहता। मध्यप्रदेश में प्रति शो 200 रुपया टैक्स लिया जाता है। ये टैक्स कहीं और नहीं लिया जाता। ध्यान रहे कि ये टैक्स मनोरंजन कर के अतिरिक्त लिया जा रहा है।
अचार संहिता लागू हो जाने के कारण इस मामले पर निर्णय टाल दिया गया है। स्पष्ट है कि चुनाव के बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी। साल के करोड़ों रूपये के टैक्स का लालच नहीं छोड़ा गया तो प्रदेश के सिनेमाघरों में अनिश्चित समय के लिए ताले लगे रह सकते हैं। फिल्म उद्योग इस मामले में झुकने के लिए कतई तैयार नहीं है। और उसे सरकार के आगे झुकना भी नहीं चाहिए। शिवराज सरकार की नीति ठीक नहीं कही जा सकती। समय रहते इस पर उचित निर्णय लेना होगा नहीं तो प्रदेश के सिनेमाघरों की टिकट खिड़कियां अगले छह माह में भी खुल जाए, कहना मुश्किल है।
URL: Madhya Pradesh Cinema strike- 100 crore loss to theatre in one month
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