संजीव रतन मिश्रा वाराणसी। यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर विकास नहीं विध्वंस हुआ, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून को जरूरी बताया
गाजियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ने सोमवार को वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन पुजन किया। मंदिर के बाहर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अस्तित्व पर सवाल उठाए। उन्होंने कहाँ कि यहां विकास के नाम पर विनाश हुआ है। कॉरिडोर के नाम पर मंदिरो का विध्वंस हुआ है। धर्म का विनाश कर होने वाला विकास हमें मंजूर नहीं है। कोई भी विकास धर्म की कीमत पर नहीं हो सकता है।
विकास के नाम पर यहां के कई सौ साल प्राचीन और पौराणिक काशी खण्डोंक्त मंदिरों, विग्रहों और मूर्तियों को हटा दिया गया। उन मंदिरों, विग्रहों और मूर्तियों की जगह लोग चप्पल उतार रहे हैं। हमारी निर्माण तकनीक आधुनिक और उन्नत होने के कारण दुनिया से लोहा ले रही है। हम यहां सैकड़ों साल प्राचीन मंदिरों को और अच्छे से व्यवस्थित कर बचा सकते थे।
डासना के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म का विनाश कर किए जा रहे काशी के इस तथाकथित विकास के खिलाफ काशी के जीवित नागरिकों को आवाज उठानी चाहिए। मेरा क्या है? मैं तो यहां से चला जाऊंगा। काशी के लोग शिवद्रोही ना बने काशी पुराधिपती बाबा विश्वनाथ द्वारा स्थापित नगरी काशी में धर्म की रक्षा के लिए मुखर होना चाहिए। जैसा यहां हो रहा है, वैसा कहीं नहीं होता है। हमने विश्वनाथ मंदिर परिसर में जहां चप्पल उतारी, मुझे बताया गया कि वहां कभी मंदिर था। यह सुनते ही मैं डर गया और मन ही मन ईश्वर से माफी मांगी।
जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना अच्छा कदम महंत ने कहा कि मैं जहां रहता हूं वहां एक धर्म विशेष के लोगों ने जीना दूभर कर दिया है। गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर जिले में हम लोगों का जीना दूभर हो गया है। रोजाना हमारी बेटियां उठ रही हैं और बेटों के कत्ल हो रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी सुन नहीं रहे हैं। ऐसे ही चलता रहा तो हम बच नहीं पाएंगे। हम काशी के धर्माचार्यों से गुहार लगाने आए हैं कि वो आगे आकर हमारी रक्षा करें और मदद करें। इस बीच महंत ने जनसंख्या नियंत्रण कानून का स्वागत करते हुए कहा कि यह सरकार की अच्छी और बड़ी पहल है।