राहुल सिंह राठौर ज्योतिषी। जग्गी वासुदेव को उत्तर भारतीयों ने अपने सिर आँखों पर बैठा रखा है, पर यह आर्य-द्रविड़ संघर्ष की मानसिकता से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। इनके अनुसार वेद व्यास के पिता आर्य थें और माता द्रविड़ थीं। इनका मानना है कि आर्यों का ज्योतिष ज्ञान ग्रहों, नक्षत्रों पर आधारित है, जबकि द्रविड़ियन बिना ग्रहों, नक्षत्रों के अवलोकन के व्यक्ति को देखकर भविष्यवाणी करते हैं।
इन्हें जिस विषय में ज्ञान नहीं होता है ये उस पर भी बोलने के लिए व्याकुल रहते हैं। ये जिस नाड़ी ज्योतिष की बात कर रहे हैं वो भी ग्रहों, नक्षत्रों के व्यक्ति पर पड़नेवाले प्रभाव के आधार पर ही भविष्यवाणी करता है। एस्ट्रोनॉमी को खारिज करने के बाद जो बचेगा वो सिर्फ व्यक्तिगत सिद्धि से प्राप्त चमत्कार होगा, जो मुट्ठी भर लोगों तक सीमित रह जायेगा।
देव केरलम, भृगु नंदी नाड़ी, सप्तर्षि नाड़ी, चन्द्रकला नाड़ी आदि सभी नाड़ी ग्रन्थ ग्रहों की विशेष स्थिति को ध्यान में रखकर ही फलादेश करते हैं। अब भगवान जानें कि ये जग्गी वासुदेव जी किस आसमानी नाड़ी ज्योतिष की बात कर रहे हैं। जो भी हो, पर सच्चाई यही है कि अपने अधिकार से बाहर के विषयों पर अनावश्यक ज्ञान का प्रदर्शन करके ये अपने करोड़ों फॉलोअर्स को बुरी तरह भ्रमित कर रहे हैं।
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