महेश भट्ट की जिस नई फिल्म को लेकर हंगामा बरपा हुआ है, वह उनकी ब्लॉकबस्टर सड़क की सीक्वल कही जा रही है। महेश भट्ट ने एक ऐसी फिल्म का सीक्वल बनाया है, जिसमे दो हॉलीवुड फिल्मों की कहानी चुराकर डाली गई थी। सिर्फ कहानी ही नहीं, महेश भट्ट ने उन फिल्मों के अच्छे सीन तक कॉपी कर डाले थे। उस फिल्म को महेश भट्ट के कॅरियर का माइलस्टोन कहा जाता है। वैसे भट्ट के विशेष फिल्म्स के लगभग सारे माइलस्टोन में हॉलीवुड का ही सीमेंट जड़ा गया है। विदेशी फिल्मों को सीन समेत चुराकर महेश भट्ट ने अपना मुकाम बनाया है।
जैसे ही भट्ट बैनर की नई फिल्म सड़क :2 का प्रोमो यूट्यूब पर रिलीज हुआ, दर्शकों ने उसे डिस्लाइक करना शुरू कर दिया। नेपोटिज़्म और सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण के बाद देशभर के लोगों में फिल्म उद्योग के प्रति आक्रोश देखा जा रहा है। आक्रोश जताने वालों में एक नाम सरहद के उस पार पाकिस्तानी संगीतकार का भी है।
शाजीन सलीम ने आरोप लगाया है कि महेश भट्ट ने अपनी नई फिल्म का गाना उनकी एक हिट धुन से चुरा लिया है। शाजीन ने ट्विटर पर लिखा भी है कि इस चोरी का क्या किया जाए। ये तो भट्ट साहब की अदा है कि उनकी फिल्म हॉलीवुड की हिट फिल्म की कॉपी होती है और उनके गीत पाकिस्तानी गायकों से चुराए हुए होते हैं।
डैडी, सारांश, काश जैसी फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो महेश भट्ट की अधिकांश फ़िल्में किसी न किसी हॉलीवुड या कोरियाई फिल्म की कॉपी है। जैसे आशिकी भी उनके युवा जीवन की एक प्रेम कहानी से प्रेरित थी, वैसे ही डैडी, सारांश, काश, अर्थ भी महेश भट्ट की आत्मकथाओं के विभिन्न रूप थे, यानि उनकी स्क्रिप्ट ओरिजिनल थी।
आप देख सकते हैं कि उनकी मौलिक स्क्रिप्ट वाली फ़िल्में ही अधिक पसंद की जाती है। जब महेश भट्ट का उदय हुआ तो उन्हें समानांतर फिल्मों का निर्देशक कहा जाता था। फिर अधिक पैसा कमाने की ललक में उन्होंने वही किया, जिसके कारण हिन्दी फिल्म उद्योग गर्त में जा रहा है। उनकी फिल्म सड़क बहुत बड़ी हिट हुई। इसमें उन्होंने तीन हॉलीवुड फिल्मों Taxi Driver, Lethal Weapon and Cyborg का घोल है। कहानी टैक्सी ड्राइवर से उठाई और एक्शन सीन लीथल वेपन और साइबोर्ग से उड़ा लिए गए थे।
अब उसी चोरी की फिल्म से उन्होंने ये सड़क:2 निकाली है। क्या पता फिल्म प्रदर्शित होने के बाद पता चले कि इस द्वितीय किश्त को भी चोरी की विधि से बनाया गया है। महेश भट्ट को इंडस्ट्री का सबसे परफेक्ट कॉपीकैट कहा जाता है। इनके विशेष फिल्म्स के बैनर में सबसे ज्यादा चोरी की फ़िल्में बनाई गई है।
फिल्म इंडस्ट्री में ये रोग इतना बढ़ गया कि आज उस स्क्रिप्ट राइटर की ही पूछ है, जो किसी हिट विदेशी फिल्म का भारतीयकरण कर सकता हो। वस्तुतः हिन्दी फिल्म उद्योग के पास मौलिक कहानियों का अभाव हो चुका है। इनकी गाड़ी दक्षिण भारतीय फिल्मों के रीमेक और हिट अंग्रेजी फिल्मों के भरोसे पर चल रही है।
दक्षिण भारतीय फिल्मों के रीमेक अधिकार खरीदना इनके लिए बहुत आसान काम होता है। एक बार रीमेक के अधिकार मिले तो ये हूबहू उसके जैसी फिल्म हिन्दी में बना डालते हैं। ‘वांटेड’ का स्क्रीनप्ले इतना जबरदस्त था कि उसे हिन्दी समेत कई भाषाओं में बनाया गया था।
महेश भट्ट को दक्षिण भारतीय फिल्मों की स्क्रिप्ट भाती नहीं है, क्योंकि उनमे से सनातन की गंध जो आती है। उन फिल्मों की स्क्रिप्ट में बड़े गिरजाघर और दरगाह दिखाने की गुंजाइश नहीं होती। उनमे उन्मुक्त देह संबंध दिखाने की कोई सिचुएशन नहीं होती। ये सब उन्हें पश्चिम की फिल्मों में भरपूर मिलता है।
इसलिए भट्ट साहब की फिल्मों की कहानी हॉलीवुड से चुराई जाती है। चोरी की कहानियों की ये लत और भी कई निर्माता-निर्देशकों को लगी हुई है। मौलिक कहानियों को बॉलीवुड से दूर करने में भट्ट परिवार का महती योगदान है।
एक बानगी
हम हैं राही प्यार के : House Boat
सड़क : Taxi driver
दुश्मन : Eye For An Eye.
जिस्म : Body heat
दिल है के मानता नहीं : It Happened One Night (1934)
ज़हर : Out of Time
मर्डर : Unfaithful
राज़ : What Lies Beneath
डुप्लीकेट : The Whole Town’s Talking
मर्डर 2 : Chaser
कसूर : 106. Jagged Edge (1985)
जूनून : . An American Werewolf in London, Cat People (1942)
आवारापन : A Bittersweet Life
जुर्म : Someone To Watch Over Me.
मर्डर 3 : La Cara Oculta
क्रिमिनल : The Fugitive