ट्रैक्टर रैली के नाम पर गणतंत्र दिवस के दिन जो भी कुछ हुआ, वह केंद्र की मोदी सरकार और पुलिस की बड़ी चूक है । इसका डैमेज कंट्रोल करने के लिए बुधवार की रात दो महानुभाव सामने आए। इनमें एक थे मोदी सरकार के सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर और दूसरे पुलिस की तरफ से खुद पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ।
दोनों ने इसका ठीकरा विरोधी नेताओं पर फोड़ा लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि खुफिया एजेंसियों की चेतावनी के बावजूद इस रैली की अनुमति क्यों दी गई थी। एक नहीं सैकड़ों वीडियो तथा सीसीटीवी कैमरे के फुटेज हैं, जिसमें आरोपियों के चेहरे और उनके करतूतें कैद हुई है लेकिन पुलिस उन बड़े चेहरे को पकड़ना तो दूर पूछताछ भी नहीं कर पाई है।
सच्चाई तो यह है कि केंद्र सरकार के बिना अनुमति के ना तो प्रदर्शन की अनुमति पुलिस ने दी होगी और ना ही किसी बड़े चेहरेे वाले आरोपी को बिना गृह मंत्रालय की मंजूरी से गिरफ्तार भी कर पाएगी। जिस तरह से शाहीन बाग में एक धर्म विशेष के लोगों को नागरिक कानून के विरोध में मौखिक तौर पर सड़क पर बैठने की इजाजत दे दी गई थी, जिसके बाद देखा देखी पुरुष और महिलाएं सड़क पर उतरने लगे और सड़क जाम करने पर आमादा हो गए, जिस के रास्ते खाली कराने को लेकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा के उबाल भरे बयान के बाद पूर्वोत्तर दिल्ली में भीषण दंगे हुए थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी।
बिल्कुल ठीक उसी तरह ट्रैक्टर रैली की अनुमति देना हिंसा की पूर्व नियोजित सोची समझी साजिश थी। सूत्रों का दावा है कि केंद्र सरकार यह मान कर बैठी है कि उसने यह पोल खोल दी की कैसे किसी भी आंदोलन को गलत तरीके से खींचा जाता है और उसे शाहीन बाग जैसी घृणित आंदोलन की शक्ल दी जाती है।जिस तरह से तलवारें लहराई गयी, जिस तरह से ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, इन सब चीजों को जनता देख रही है लेकिन सरकार भूल रही है कि इस तरह के कृत्यों से जनता खुश नहीं होती।
खुफिया चेतावनी के बाद रैली पर नकेल कसने के बजाय इसकी अनुमति देना घातक सिद्ध हुआ और अब प्रकाश जावेडकर का कहना है कि हिंसा भड़काने की साज़िश कांग्रेस की थी। पुलिस का बचाव करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा दिल्ली पुलिस की संयम की जितनी प्रशंसा की जाय वह कम है, पुलिस ने अद्भुत संयम का परिचय दिया, शस्त्र होते हुए भी नहीं चलाया लेकिन पुलिस ने खुफिया चेतावनी के बाद भी उपद्रवियों पर नकेल क्यों नहींं कसा यह मंत्री जी अपने प्रेस वार्ता के अंत तक इसका कारण नहीं बता पाए वैसे इससे पहले दिल्ली पुलिस बुधवार को दिन मेंं चार बार अपने प्रेस वार्ता में फेरबदल करते हुए बुधवार रात करीब 8:00 बजे एसएन श्रीवास्तव मीडिया को संबोधित करने पहुंचे और उन्होंने अपनी अक्षमता प्रकट करते हुए कहा उनके कर्मियों पर डंडा, तलवार और पत्थर से हमला हुआ जबकि हमने शर्तों के आधार पर रैली की अनुमति दी थी । उनका कहना था कि उन लोगों को पता चल गया था कि रैली में हिंसा हो सकती है लेकिन इसके बावजूद रैली की मंजूरी क्यों नहीं रद्द की गई इसका कारण वह नहीं बता पाए ।
उनका कहना था कि इस हिंसा में 394 पुलिस कर्मी घायल हुए। 30 पुलिस की गाड़ी, 6 कंटेनर डैमेज हुए। 428 बैरिकेड, स्टील गेट, विंडो ग्लासेज, 30 गाड़ियां, 6 कंटेनर्स समेत सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा लेकिन उनके कर्मी कुछ नहीं कर पाए और सिर्फ गांधीगिरी दिखाते रह गए।