महानीच-शासक था अकबर , अकल्पनीय था गिरा हुआ ;
इसको महान बताने वाला , इससे भी नीचे गिरा हुआ ।
ये इतिहास को गलत लिखाते , स्कूलों में उसे पढ़ाते ;
ये सारे हैं राष्ट्र के द्रोही , भविष्य राष्ट्र का यही मिटाते ।
ये सब के सब हैं राष्ट्र के दुश्मन , बहुत बड़े अपराधी हैं ;
इन पर चले मुकदमा फौरन , बचे न कोई अपराधी है ।
अकबर का दिल जितना काला , गांधी-नेहरू भी वैसे थे ;
हिंदू – धर्म को क्षतिग्रस्त करने , तीनों एक ही जैसे थे ।
उदय हुआ सौभाग्य राष्ट्र का , राणा प्रताप जो हमें मिला ;
राणा ने हिंदू- धर्म बचाया , अकबर को सबसे बड़ा गिला ।
अकबर जो काम न कर पाया , गांधी- नेहरू ने वहीकिया ;
झूठा-इतिहास नहीं था पहले, पर इन दोनों ने लिखा दिया ।
झूठा- इतिहास है जहर- हलाहल , राष्ट्र -धर्म को मार रहा ;
इसी को पढ़कर नेता -अफसर, देश का बेड़ा गर्क कर रहा ।
इसी वजह से वामी ,कामी , जिम्मी ,सेक्युलर बढ़े हुये हैं ;
भारत के नब्बे- प्रतिशत नेता, ऐसी ही शिक्षा पढ़े हुये हैं ।
ऐसे नेता सब दिशा – भ्रमित हैं , ये ही मंदिर तुड़वाते हैं ;
इनकी पूरी बुद्धि भ्रष्ट है , पापी – गलियारा बनवाते हैं ।
सबके विश्वास की फर्जी बातें, विश्वास राष्ट्र का तोड़ रहे हैं ;
बेगुनाह- हिंदू मरते हैं , पर कातिल को छुट्टा छोड़ रहे हैं ।
हिंदू ने बहुमत दिलवाया , सोचा था न्याय का शासन होगा ;
पर गांधी -नेहरू का ये जो चेला , कुछ भी अच्छा न होगा ।
हिंदू – धर्म पर जितना खतरा अब है , पहले कभी नहीं था ;
तुष्टीकरण बढ़ाया जितना , इतना पहले कभी नहीं था ।
इसमें किसी की क्या मजबूरी? या शायद उसकी कमजोरी ;
ब्लैकमेल जेहादी करते , जहां भी पाते कुछ कमजोरी ।
हम सबको राष्ट्र बचाना है , नेता कमजोर हटाना है ;
परम – साहसी , चरित्रवान , यूपी -आसाम से लाना है ।
इस उद्देश्य से सारे -हिंदू , तन- मन- धन से जुट जाओ ;
योगी – हेमंत सा पीएम पाकर , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
पर ये इतना सरल नहीं है, हर – हिंदू को लगना होगा ;
संविधान – सम्मत जो रास्ते , हर रास्ते पर चलना होगा ।
अब रुकने का समय नहीं है , हमको धर्म बचाना है ;
गजवायेहिंद को विफल बनाने , फौरन योगी को लाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”