लोकतंत्र में अत्यावश्यक , शत-प्रतिशत कानून का शासन ;
वरना लोकतंत्र विकृत है , जहां नहीं कानून का शासन ।
भारत में विकृत लोकतंत्र है , यहां नहीं कानून का शासन ;
खुली छूट गुंडागर्दी की , नष्ट – भ्रष्ट कानून का शासन ।
पूरा भ्रष्ट – तंत्र चलता है , पूरा गुंडाराज है ;
कानून के बाहर जेहादी है , पूरा जंगलराज है ।
सरकारें डरती गुंडों से , अल्पसंख्यकवाद का राज है ;
वोट – बैंक की राजनीति है , तुष्टीकरण का नंगा नाच है ।
हर जगह अयोग्यता है हावी , योग्यता का पुरसाहाल नहीं ;
आरक्षण बढ़ता जाता है , राष्ट्र का पूछो हाल नहीं ।
राजनीति इतनी गंदी है , पूरा राष्ट्र हो गया शापित ;
आजादी सब व्यर्थ हो गयी , हर क्षण होती अपमानित ।
ऐसे लोकतंत्र से अच्छा , पहले था जो राजतंत्र ;
स्वर्ण काल भारत का तब था , अब तो केवल भ्रष्ट तंत्र ।
देश को आग में झोंकने वालो, ओ! नेताओ होश में आओ ;
समय बहुत कम आग बुझाओ,वरना स्वयं भी जल जाओ ।
इसका केवल एक सूत्र है , फौरन उसको अमल में लाओ ;
जस का तस कानून हो लागू और अच्छे कानून बनाओ ।
जो भी कानून गुलामी के हैं , सबसे पहले उन्हें मिटाओ ;
सर्वश्रेष्ठ है न्याय का शासन ,चाणक्य नीति पूरी अपनाओ ।
कृष्ण नीति है ,विदुर नीति है ,इसी तरह की नीति बहुत हैं ;
गंदी – राजनीति को त्यागो , राष्ट्रनीति अनिवार्य नीति है ।
चाहे कुछ भी हो जाये , हर हाल में राष्ट्रनीति अपनाओ ;
शापित गंदी राजनीति को , तत्क्षण अब तुम आग लगाओ ।
अपनी हार जीत को छोड़ो , राष्ट्र कभी भी हार न पाये ;
आदर्श बना दो पूरी व्यवस्था , कोई आये या फिर जाये ।
जितनी चाहो सख्ती कर लो , गुंडागर्दी रह न जाये ;
कानून का शासन हर हालत में,शाहीन बाग फिर हो न पाये
हर जहरीला नाग कुचल दो , देखो कोई बच न पाये ;
पूरा जंगलराज मिटाओ , रोड – जाम कोई हो न पाये ।
सारा भय , कमजोरी त्यागो , राजदंड मजबूत बनाओ ;
ये सब करना गर हो असंभव , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
हिंदू-राष्ट्र बनेगा भारत , सारे आतंक सिमट जायेंगे ;
हमको आंख दिखाने वाले , चूहे बिल में घुस जायेंगे ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”