यह मुद्दा भी इस्लामिक जिहाद की तरह ज्वलंत और चिंताजनक है। सबको पता होना चाहिए। भारत में सबसे बड़ा उद्योगपति कौन है? अधिकतर लोगों को पता नहीं होगा। कारपोरेट मिशनरी नामक संस्था पर किसी का भी ध्यान नहीं है। क्या आपको पता है भारत में सबसे बड़ा कॉरपोरेटर कौन है?
टाटा?
बिरला?
अम्बानी?
अडानी?
जी नहीं इनमें से कोई भी नहीं।
3,00,000 (तीन लाख) करोड़ रुपए की सम्पत्ति का मालिक “Syro Malabar Church” सायरो मालाबार चर्च केरल। भारत देश का सबसे बड़ा उद्योगपति है इसका 11,000 से ज्यादा संस्थानों पर नियंत्रण है। और इसकी बहुत सारी सहायक और ऑर्गेनाइजेशन है। यू समझ लीजिए कि यह एक ऐसा व्यवसायिक संस्थान है जो संपत्ति के मामले में भारत के सभी उद्योगपतियों का मुकाबला करने में अकेला ही सक्षम है। अगर आपको विश्वास नहीं होता तो आंकड़े पढ़िए।
इसके अधीन है:-
(1) 9,000 प्रीस्ट।
(2) 37,000 नन।
(3) 50 लाख से ज्यादा चर्च सदस्य।
(4) 34 Dioseces (बिशप, ईसाई मजहब के वरिष्ठ धर्मगुरु)
(5) 3763 चर्च।
(6) 71 पादरी शिक्षा संस्थान।
(7) 4860 शिक्षा संस्थान।
(8) 2614 हॉस्पिटल और क्लीनिक।
(9) 77 ईसाई शिक्षण संस्थान।
कुल मिलाकर इसके 11,000 छोटे बड़े संस्थान संचालित हैं। इनके ऊपर सबसे शक्तिशाली संस्था है “CMA” Christian medical association ( क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन)। CMA के अंतर्गत ही देशभर में फैले हुए 1514 वह बड़े संस्थान आते हैं जिनके तमाम स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय , हॉस्पिटल और अनाथालय हैं।
CMA के 50 व्यापारिक संस्थान विश्व की स्टॉक मार्केट में रजिस्टर्ड है। अगर आप इनका सालाना टर्नओवर देखेंगे तो कोई भी विश्व की बड़ी कंपनी इनके आसपास भी नहीं फटकती। पूरे भारत देश में इस चर्च की पहुंच 50 हजार गांवों तक हो चुकी है। और विदेशों में भी इसके बहुत सारे सहयोगी संस्थान हैं। इस चर्च की सारी कार्यकारिणी के लोग मलेशिया के हैं और पूरी मैनेजमेंट टीम भी मलेशिया की ही है।
सायरो मालाबार चर्च दुनिया के कैथोलिक ईसायत का सबसे शक्तिशाली विंग है और इसकी यह शक्ति इसकी संपत्ति की वजह से है। यह इनकम टैक्स नहीं देता क्योंकि यह अल्पसंख्यक संस्थान है। सरकार इसकी संपत्ति का ब्यौरा भी नहीं देख सकती इसलिए इसका आज तक कभी भी ऑडिट भी नहीं हुआ है।
इसी वजह से इसकी वास्तविक चल-अचल संपत्ति का आज तक देश के किसी भी विद्वान, बुद्धिमान, होशियार, जागरूक, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ कहलवाने वाले नेताओं को भी पता नहीं था। लेकिन अब यह देश के गृहमंत्री मोटा भाई की नजरों में आ चुका है। अल्पसंख्यकों के नाम से धर्मांतरण का यह मकड़जाल भारत में खुलेआम चल रहा है। यहां पर आश्चर्य है कि हमारे देश का संविधान और नेता भी इसके सामने असहाय हैं। इसके पास जो जमीन है उसका कोई भी व्यस्थित लेखा- जोखा हमारी सरकार के पास नहीं है।
अगर इनके खिलाफ कोई कोर्ट में जाता है तो यह एक साथ हजारों लाखों लोग खड़े हो जाते हैं जैसे कि रक्तबीज। इसकी सारी संपत्ति का 50% हिस्सा तो इसके कॉन्वेंट शिक्षण संस्थानों के पास है। हिंदू संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे सभी स्कूलों पर टैक्स लगता है। और RTE जैसे कानून लागू हैं। कॉन्वेंट स्कूलों पर ना कोई टैक्स लागू है ना ही कोई कानून।
यह वहीं शिक्षण संस्थान है जहां अधिकतर हिंदू बच्चे मंहगी फीस देकर पढ़ने जाया करते हैं। शिक्षा संस्थानों में बच्चों को भारतीय सभ्यता संस्कृति के मूल्यों से दूर किया जाता है। हम लोग कब समझेंगे कि हमारा ही पैसा एक दिन हमारी ही पीढ़ियों को निगल जाएगा। हमारा ही पैसा हमारे ही लोगों को धर्मांतरित करने में इस्तेमाल हो रहा है। हमारे ही पैसे से हमारे ही सभ्यता संस्कृति के रक्षक साधुओं की हत्या हो रही है। हमारा ही पैसा नक्सलवाद और देश विरोधी कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है।
साभार: WhatsApp. इस लेख में दिए तथ्य की पुष्टि हम नहीं करते।