मल्लापुरम में एक गर्भवती हथिनी की नृशंस हत्या के बाद वह घटना याद आ गई, जब भारत और पाकिस्तान के दो मित्र चैटिंग से बात कर रहे थे और जब भारतीय ने अपने पाकिस्तानी मित्र को बताया कि हमारे यहाँ पक्षियों को दाना-पानी देने की परंपरा है, तो वह चौंक सा गया। पाकिस्तानी मित्र ने बताया कि हमारे यहाँ तो केवल पक्षियों का शिकार करने की परंपरा है। उसे आश्चर्य हुआ कि भारतीय इतने दयालु होते हैं। आप सोच रहे होंगे, मल्लापुरम की घटना का इस चैटिंग से क्या संबंध हो सकता है। मल्लापुरम की नृशंस हत्या का पाकिस्तान से संस्कारों का संबंध है। वे संस्कार जो बचपन से अंतर्मन में डाल दिए जाते हैं।
इसी साल एक खबर ने सबका ध्यान आकर्षित कर लिया। भारत के केरल का मल्लापुरम जनसंख्या के मामले में विश्व के तेज़ी से बढ़ते शहरों को पछाड़कर पहले नंबर पर आ गया। जानते हैं ये भयानक वृद्धि सन 2015 से 2020 के बीच ही हो गई। यहाँ पर जनसँख्या में 44 प्रतिशत की विध्वंसक बढ़ोतरी देखी गई। यहाँ मुस्लिम आबादी 70 प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी है और हिन्दू आबादी महज 27 प्रतिशत रह गई है। ईसाईयों की जनसँख्या यहाँ केवल 1.98 प्रतिशत रह गई है। आप देख सकते हैं कि मल्लापुरम में जनसांख्यिकीय संतुलन पूरी तरह गड़बड़ा गया है। क्या ये भयावह स्थिति नहीं है कि लगभग 42 लाख जनसँख्या वाला एक शहर तेज़ी से उन शहरों में शामिल हो गया, जहाँ जनसँख्या द्रुत गति से बढ़ती जा रही है।
भाजपा नेता मेनका गाँधी ने जब मल्लापुरम की घटना पर प्रतिक्रिया दी तो उनके खिलाफ केरल से लगभग छह मामले दर्ज करवाए गए हैं। उन्होंने कहा था ‘केरल का मल्लापुरम ऐसे घटनाओं के लिए ही कुख्यात है और ये देश का सबसे हिंसक राज्य भी है। यहां सड़कों पर जहर फेंक दिया जाता है, जिससे 300 से 400 परिदें और कुत्ते एक साथ मर जाएं।‘ यदि मेनका गांधी मल्लापुरम के बहुसंख्यक समाज की उसकी क्रूर मानसिकता के लिए आलोचना करती हैं तो क्या उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया जाना चाहिए? मल्लापुरम के शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वहां सभी समुदाय मिलजुल कर रहते हैं। ऐसे भी 27 प्रतिशत हिन्दुओं के लिए ‘मिल-जुल कर रहने’ के अलावा और क्या रास्ता बचता है।
पिछले चार सालों में यहाँ चालीस से अधिक हाथी मारे गए हैं और अधिकांश की मृत्यु स्वाभाविक परिस्थितियों में नहीं हुई है। गर्भवती हथिनी की ह्त्या ने सारे देश का ध्यान मल्लापुरम की ओर खींच लिया है। कांग्रेस इस मामले में हमलावर हो गई क्योंकि मल्लापुरम राहुल गाँधी के संसदीय क्षेत्र में आता है। यही कारण रहा कि एनडीटीवी ने खबर में भूल सुधार करते हुए बताने का प्रयास किया कि हथिनी की हत्या मल्लापुरम में नहीं हुई। इस मामले की पूरी लीपापोती की जा रही है ताकि देश के एक समुदाय को फिर से न घेरा जा सके। ताकि उनसे ये न पूछा जा सके कि निरीह जीवों की हत्या में उनको कौनसा स्वर्गिक आनंद मिलता है। महज चौबीस घंटे में मामले को पलटकर मेनका गांधी पर निशाना साध लिया गया है ताकि देश को गुमराह किया जा सके।
कुछ माह पहले एक खबर ने दुनिया का ध्यान अपनी और खींच लिया। पाकिस्तान सरकार ने कतर के शाही परिवार को एक ऐसी चिड़िया के शिकार की अनुमति दे दी, जो विलुप्त होती जा रही है। ‘होउबारा बस्टार्ड‘ के बारे में अफवाह है कि इसका मांस खाने से यौन क्षमता बढ़ जाती है। इमरान खान सरकार ने पैसा लेकर अपने ही देश का पारिस्थितिकी तंत्र बिगाड़ने का काम किया था। पाकिस्तान की परंपरा में ये कभी रहा ही नहीं कि जीवों पर दया की जाए, उनके साथ मिलकर रहा जाए। यहीं परंपरा मल्लापुरम में पोषित हो रही है, जहाँ दो लोगों ने मज़े के लिए एक गर्भवती हथिनी को क्रूरता से मार दिया। मल्लापुरम विश्व का सबसे तेज़ जनसंख्या विस्फोट वाला शहर बन गया है और निरीह पशुओं की संख्या तेज़ी से कम होती जा रही है। डेमोग्राफिक असंतुलन और हथिनी की क्रूर हत्या में अंतर्संबंध आप आसानी से जोड़ सकते हैं।