विपुल रेगे। रामास्वामी कृष्णमूर्ति अठारहवीं शताब्दी के अंत में पैदा हुए थे। ‘कल्कि’ नाम से ख्यात रामास्वामी ने अपने जीवन काल में कालजयी रचनाकर्म किया। इस महान तमिल लेखक ने जो किताबें लिखी, वे स्वर्णिम भारत की वास्तविक कालयात्रा करवाती हैं। पोंनियिन सेलवन उनके रचनाकर्म में सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला उपन्यास है। वास्तविक तथ्यों को खुद में समेटे पांच संस्करण का ये उपन्यास अपने आप में प्रामाणिक ऐतिहासिक तथ्य है। इस उपन्यास पर मणि रत्नम फिल्म बनाए तो चर्चा तो होनी ही है।
पोंनियिन सेलवन को तमिल भाषा में लिखा गया सबसे बड़ा उपन्यास माना जाता है। इसके शीर्षक का अर्थ होता है ‘पोन्नी का पुत्र।’ जब मणि रत्नम ने इस उपन्यास पर फिल्म बनाने की घोषणा हुई तो संपूर्ण तमिलनाडु में इस घोषणा का स्वागत हुआ। वास्तव में पोंनियिन सेलवन अपने प्रकाशन के समय का बेस्ट सेलर उपन्यास रहा है। पचास के दशक में इसे लगातार साढ़े तीन साल तक प्रकाशित किया गया था।
किताब और लेखक की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने इस उपन्यास को राष्ट्रीयकृत कर दिया था। पोंनियिन सेलवन दसवीं शताब्दी के चोल साम्राज्य और तत्कालीन भारतीय परिस्थितियों को सजीव ढंग से प्रस्तुत करता है। तमिल चोल शासकों का राज 9वीं से 13वीं शताब्दी तक रहा था। मणि रत्नम की फिल्म के दो भाग इसी शीर्षक के साथ रिलीज होंगे। फिल्म का बजट 500 करोड़ है और प्रोमो देखते हुए भव्यता की कहीं से भी कमी नहीं दिखती।
स्पेशल मणि टच फिल्म के हर विभाग में दिखाई पड़ रहा है। पोंनियिन सेलवन के नायक अरुलमोझीवर्मन हैं। इन्हे इतिहास के विद्यार्थी अधिकांश प्रथम राजाराज चोल के रुप में जानते हैं। इस किरदार को जयम रवि परदे पर निभाते दिखाई देंगे। तमिल फिल्म उद्योग में जयम रवि बहुत लोकप्रिय अभिनेता हैं। नंदिनी का पात्र ऐश्वर्या राय बच्चन निभा रही हैं। सुपर स्टार विक्रम आदित्य कारीकालन के किरदार में दिखाई देंगे। इस फिल्म को लेकर हिन्दी पट्टी के दर्शक बड़े उत्साहित हैं।
पोंनियिन सेलवन महान चोल साम्राज्य को ऐश्वर्यशाली ढंग से प्रस्तुत करेगी, ऐसी आशा हिन्दी पट्टी के दर्शक भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसे लेकर सकारात्मक वाइब्स मिल रही है। प्रोमो को मिले समर्थन से मणि रत्नम का उत्साह भी निश्चित ही बढ़ा होगा। एक बार रामास्वामी कृष्णमूर्ति ने कहा था कि सदानीरा कावेरी नदी वह स्प्रिंग बोर्ड है, जिस पर से छलांग मारकर वे इतिहास की अतल गहराइयों में पहुँच सके।
कावेरी नदी के किनारे बीते उनके बचपन ने उपन्यास गढ़ने में उन्हें अलौकिकता प्रदान की। उपन्यास के एक खंड में पता चलता है कि ‘कल्कि’ अपने नायक को कावेरी का पुत्र क्यों कहते हैं। अरुलमोझीवर्मन जब छोटे थे तो राजसी नाव से सैर करते समय कदम्ब के फूल पकड़ने के चक्कर में फिसल कर नदी में डूबने लगे। उसी समय नदी में एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई और उसने अरुलमोझीवर्मन का हाथ पकड़ लिया।
उन्हें पिता के हाथ सुपुर्द कर वह स्त्री नदी में ही विलीन हो गई। राज परिवार को विश्वास हो गया कि वह स्त्री स्वयं कावेरी थी और उनके पुत्र की जीवन रक्षा करने आई थी। इसके बाद महारानी ने एक पूजा आयोजित की। फिर घटना के दिन प्रतिवर्ष ये पूजा होने लगी। पूजा में अरुलमोझीवर्मन को कावेरी का पुत्र मान लिया गया। इस उपन्यास का शीर्षक इसलिए ही पोंनियिन सेलवन रखा गया था। मणि रत्नम ने फिल्म में बहुत से महिला पात्र रखे हैं। दर्शकों को फिल्म में उस दौर का नारी सशक्तिकरण भी देखने को मिलने वाला है।