आईएसडी नेटवर्क। बुधवार को मुंबई में कंगना रनौत के कार्यालय के ध्वस्त होने के साथ ही लोकतंत्र भी ध्वस्त हो गया। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पर उद्धव सरकार की बदले की कार्रवाई अब वीभत्स रूप लेती जा रही है। जब मुंबई के वांद्रे पश्चिम के पाली हिल रोड स्थित कंगना का कार्यालय मणिकर्णिका फिल्म्स पर जेसीबी का बुलडोजर चला तो ऐसा लगा कि मुंबई में अब लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था का राज़ ही नहीं रहा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनौत का ऑफिस गिराए जाने पर रोक लगा दी है। कंगना की ओर से बुधवार को ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने इससे पहले अपने एक आदेश में स्पष्ट कह दिया था कि 30 सितंबर तक कोई भी बिल्डिंग नहीं गिराई जाएगी।
कंगना रनौत के ऑफिस को तोड़ने पहुंची बीएमसी की टीम के साथ बहुत सारा पुलिस बल तैनात किया गया था। ये कार्रवाई उस समय हो रही थी, जब कंगना चंडीगढ़ से मुंबई आने वाली फ्लाइट में सवार हुई थी।
वांद्रे स्थित कंगना के मणिकर्णिका कार्यालय पर जब बीएमसी पहुंची तो कंगना के स्टाफ ने उन्हें पुरे कागज दिखाए और हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी दिखाई। इसके बावजूद पुलिस और बीएमसी ने तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरु कर दी।
कंगना के वकील के आने के बाद ही ये बीएमसी की टीम वापस लौटने के लिए मजबूर हो गई। उधर कंगना ने इस तोड़फोड़ को लेकर ट्वीट कर लिखा मणिकर्णिका फिल्म्ज में पहली फिल्म अयोध्या की घोषणा हुई, यह मेरे लिए एक इमारत नहीं राम मंदिर ही है, आज वहां बाबर आया है, आज इतिहास फिर खुद को दोहराएगा राम मंदिर फिर टूटेगा मगर याद रख बाबर यह मंदिर फिर बनेगा यह मंदिर फिर बनेगा।
मीडिया ने जब इस गैरक़ानूनी कार्रवाई का जवाब माँगा तो पुलिस ने बदसलूकी करनी शुरू कर दी। मीडिया ने जब बीएमसी कर्मचारियों को घेर लिया तो पुलिस ने मीडियाकर्मियों को धक्का देकर हटाया। इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई पर बीएमसी अधिकारियों ने एक शब्द नहीं कहा। प्रतीत हो रहा था कि मुंबई पुलिस की तरह बीएमसी भी उद्धव सरकार के भारी दबाव में है।
मणिकर्णिका फिल्म्स का छज्जा, रेलिंग और मुख्य द्वार तोड़ दिया गया, इसका फ्रंट साइड पूरी तरह तबाह कर दिया गया। यदि वहां मीडिया उपस्थित नहीं होता और कंगना के वकील नहीं पहुँचते, ऑफिस पूरा ध्वस्त कर दिया जाता। जब मीडिया ने तोड़फोड़ के दृश्य दिखाने की कोशिश की तो पुलिस ने बल प्रयोग कर मीडियाकर्मियों को वहां से हटाना शुरू कर दिया।