“मनु-स्मृति” वर्तमान बनाती
भविष्य-मालिका भविष्य बताती,“मनु-स्मृति” वर्तमान बनाती ;
गंदा-शासन और प्रशासन , वर्तमान में विपत्ति ही आती ।
वर्तमान जिसका गंदा हो , भविष्य भी गंदा हो जायेगा ;
जहर की खेती करने वाला , फसल जहर की पायेगा ।
अब्बासी-हिंदू का जहर-महोत्सव,उसका फल तो भोगना होगा
हिंदू ! अब भी न चेता तो , रक्त का सागर देखना होगा ।
अब्बासी-हिंदू जहर पिलाता , अज्ञानी-हिंदू शौक से पीता ;
धर्महीन – अज्ञानी हिंदू ! सस्ते में अपनी जान गंवाता ।
गंदी – कामना में अंधा है , बेईमान नेता व अफसर ;
दोनों – हाथों से देश लूटते , नहीं छोड़ते कोई अवसर ।
गंदी-वासना पूरी करने को , हर-कीमत पर कुर्सी चाहें ;
कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ रहे, देश के दुश्मन यही तो चाहें ।
दुश्मन – देशों का एजेण्डा , अब्बासी – हिंदू पूरा करवाते ;
अब्राहमिक ग्लोबल एजेण्डा , धर्म-सनातन को मिटवाते ।
इसीलिये मंदिर तुड़वाते , गलियारा बनवाते हैं ;
अग्निवीर का सिस्टम लाकर , सेना कमजोर कराते हैं ।
हिंदू-बच्चों को गंदी-शिक्षा , झूठा-इतिहास पढ़ाते जाते ;
“मनु-स्मृति” को गाली देकर , जातिवाद बढ़ाते जाते ।
हिंदू को बुरी तरह तोड़ा है , उन पर म्लेच्छों को छोड़ा है ;
“राम-मंदिर” तक को न छोड़ा , महा-कुम्भ को तोड़ा है ।
हिंदू को देते मौत की दावत , भगदड़ में मरवाते हैं ;
अंतिम-संस्कार से वंचित करके , लाशें गायब करवाते हैं ।
धर्म-विरुद्ध की प्राण-प्रतिष्ठा, “राम-मंदिर” को भ्रष्ट कर दिया ;
भ्रष्टाचार बढ़ाया इतना , चरित्र देश का नष्ट कर दिया ।
चरित्र नहीं तो कुछ भी नहीं है , भारत में सुखचैन नहीं है ;
एक – दूजे की जेबें काटें , आपस में विश्वास नहीं है ।
पता नहीं कितना लूटेंगे ? क्या मरकर इनके साथ जायेगा ?
उस पर कोई ध्यान नहीं है , जो मरने पर भी साथ जायेगा ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , लोक और परलोक सुधारो ;
“मनु-स्मृति” का करो अनुसरण , वर्तमान तुम अपना सुधारो ।
वर्तमान जब सुधर जायेगा , भविष्य भी स्वर्णिम हो जायेगा ;
जब अच्छी – सरकार बनेगी , ऐसा तब ही हो पायेगा ।
अभी तो बिल्कुल आसार नहीं है , राजनीति है इतनी गंदी ;
इतने गंदे नेता-अफसर हैं , पूरी-मानवता ही कर दी गंदी ।
वर्तमान है कितना गंदा ? भविष्य बहुत ही गंदा होगा ;
पर जितने धर्मनिष्ठ-हिंदू हैं , उन सबका जीवन सुंदर होगा ।