NIT Srinagar में ‘भारत माता की जय’ और तिरंगा फहराने वाले छात्रों पर भले ही लाठी चार्ज हुआ हो, लेकिन अपनी पीठ पर लाठी खाकर भी उन्होंने सीआईए के षड्यंत्र को बेनकाब कर दिया! भारत के विपक्षी नेताओं-मीडिया-एनजीओ गठबंधन की मंशा देश के विश्वविद्यालयों के जरिए देश की चुनी हुई मोदी सरकार के तख्ता पलट की है!
जेएनयू, हैदराबाद, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया, यादवपुर, चित्तौड़ के मेवाड़ विश्वविद्यालय में छात्रों के कृत्रिम आक्रोश का जो वातावरण तैयार किया गया था, उसे NIT Srinagar के छात्रों ने लाठी खाकर फुस्स कर दिया! NIT Srinagar को छोड़ दीजिए तो अन्य सभी विश्वविद्यालयों में आतंकवादी याकूब मेनन व अफजल गुरु के समर्थन एवं बीफ पार्टी जैसे घोर सांप्रदायिक मुद्दों व चुनिंदा छात्रों के जरिए कृत्रिम आक्रोश पैदा करने के षड्यंत्र को अंजाम दिया गया!
उन षड्यंत्रकारी छात्रों पर कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार कह कर विपक्षी नेता-मीडिया-एनजीओ ने यह दर्शाने की कोशिश की कि भारत में मोदी के रूप में तानाशाह शासक आ गया है! NDTV ने तो जेएनयू मसले पर अपने टीवी का स्क्रीन तक काला कर यह जतलाने का प्रयास किया कि देश में आपातकाल लागू है! आपको ज्ञात ही होगा कि कांग्रेस के यूपीए सरकार में 2G घोटाले से लेकर काले धन शोधन मामले तक में एनडीटीवी भ्रष्टाचारी साझीदार के रूप में सामने आ चुका है!
ज्योंही NIT Srinagar में भारत जिंदाबाद के नारे के साथ छात्रों ने तिरंगा फहराया, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, सीताराम येचुरी, एनडीटीवी, एबीपी न्यूज, अंग्रेजी मीडिया, विदेशी फंडेड एनजीओ आदि को जैसे सांप सूंघ गया! इनमें से कोई भी कश्मीर नहीं गया! एनआईटी के अंदर मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी है, लेकिन क्या बाहर आपमें से किसी ने रवीश कुमार या बरखा दत्त का मार्च देखा या सेल्फी देखी, जैसा कि उन्होंने जेएनयू मामले से ध्यान बंटाने के लिए अदालत तक पैदम मार्च किया था और कन्हैया के साथ खड़े होकर सेल्फी-सेल्फी का खेल किया था? जेएनयू के देशद्रोह के आरोपी छात्र कन्हैया कुमार को तिहाड़ जेल तक लेने एनडीटीवी की एक संपादक बरखा दत्त पहुंच गई थी!
NIT Srinagar के देशभक्त छात्रों ने अपने शरीर पर लाठी खाकर सरकार को अस्थिर करने में लगे ऐसे नेताओं, पत्रकारों और एनजीओकर्मियों को तो बेनकाब किया ही, कश्मीर की घाटी में पहली बार तिरंगे को इस बहादुरी से फहरा कर नर्क बन चुके उस जन्नत को फिर से जन्नत की राह पर लाने की कोशिश किया है!
हैदराबाद विवि के रोहित वेमुला मामले के बाद देश के 18 विवि में मोदी सरकार के खिलाफ छात्र आक्रोश का रिहर्सल होना था, जिसका ट्रेलर आप जेएनयू, जादवपुर, एएमयू और अभी-अभी चितौडगढ के मेवाड़ विवि में बीफ पार्टी के रूप में देख चुके हैं। हैदराबाद में आतंकी याकूब मेनन, जेएनयू व जादवपुर में आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में और मेवाड़ विश्वविद्यालय में बीफ पार्टी करने वालों में अधिकांशत: कश्मीर के छात्र ही शामिल हैं, जिससे यह साबित हो रहा है कि यह सब कोई बहुत ही सुनियोजित व संगठित तरीके से पूरे देश के विश्वविद्यालयों में चलाने की कोशिश कर रहा है! ताकि भारत की चुनी हुई केंद्र सरकार को गिराया जा सके!
क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए देश के विश्वविद्यालयों के जरिए मोदी सरकार के खिलाफ मिश्र व रूस की तरह असंतोष पैदा करने के बड़े षड्यंत्र पर काम कर रही है? देश तोड़ने और धर्मांतरण में जिस अमेरिकी फंड एजेंसी फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन आदि का उपयोग हो रहा था और मोदी सरकार ने उस पर रोक लगा दिया है, उससे तो यही लगता है!
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Tension at NIT Srinagar: Here is all you need to know