मथुरा जवाहर बाग कांड की सीबीआई जांच की मांग पर याचिका कर्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से बहस करते हुये अधिवक्ता राजीव लोचन शुक्ल ने आज कोर्ट में उत्तरप्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाया और कहा कि “एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य सभा सदस्य को बचाने के लिये ही पुलिस ने जानबूझकर गैरकानूनी ढंग से इस मामले की जाँच की तथा पुलिस ने अपने विभागीय दिशा निर्देशो का भी पालन नहीं किया!
शुक्ला ने कहा कि “बिना नेताओं के मिलीभगत के उपद्रवियों का राशन कार्ड, आधार कार्ड और चुनाव पहचान पत्र बन ही नहीं सकता है! आखिर 3000 लोगों को तीन वक्त का भोजन कौन उपलब्ध करा रहा था? रामवृक्ष यादव के खिलाफ प्रदेश में तीन दर्जन से अधिक FIR दर्ज है लेकिन किसी भी मामले में उसके खिलाफ चार्जशीट क्यों दाखिल नहीं की गयी? आखिर क्या कारण था कि रामवृक्ष के खिलाफ पुलिस कार्यवाही करने से डरती थी जबकि उसने तहसील के कर्मचारियों, उद्यान विभाग के कर्मचारियों और यहाँ तक की थाने में घुसकर पुलिस वालों को भी मारा था! रामवृक्ष के साथियों ने जवाहर बाग के 3000 से अधिक पेड़ काट दिये और जिला प्रशासन आंखें बंद कर बैठा रहा!” उपाध्याय ने कहा कि शहीद मुकुल द्विवेदी और रामवृक्ष के कॉल डिटेल की भी अभी तक जाँच क्यों नहीं की गयी! सरकार रामवृक्ष के खिलाफ प्रदेश में अलग-2 जिलों में दाखिल 3 दर्जन से अधिक FIR की जानकारी कोर्ट को क्यों नहीं दे रही है?
मुख्य न्यायाधीश ने प्रदेश के महाधिवक्ता से पूछा कि “अदालत के 17 जुलाई के आदेश का अभी तक अनुपालन क्यों नहीं किया गया?” इस पर महाधिवक्ता कोई जबाब नहीं दे पाए! कल सरकार को इन सभी सवालों का जबाब देना है! संभव है कि कल शाम तक तक इस पर अंतिम फैसला आ जाये!