पिछले दो साल में अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी झूठ का पर्याय बनकर उभरी है। हर बात में बहाना, बात-बात में झूठ! अभी पंजाब और गोवा में हारे तो अरविंद केजरीवाल ने भारत के चुनाव आयोग पर ही हमला करना शुरु कर दिया। सड़कछाप भाषा का उपयोग करते हुए चुनाव आयोग को धृतराष्ट्र और भाजपा को उनका बेटा दुर्योधन बता डाला! अपनी हार के कारणों को तलाशने की जगह केजरीवाल ईवीएम मशीन को हटाकर मतपेटी की मांग करने लगे!
दिल्ली में उनकी सरकार है और केवल दो साल के भीतर जिस तरह से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार, महिलाओं का यौन शोषण, हवाला मनी, मनी लाउंडरिंग, दिल्ली के कार दाताओं के धन की दूसरो राज्यों में बर्बादी, अपनी गलत बयानी के लिए जनता की जेब पर डाका लाकर महंगे वकील की फीस भरना, 16 हजार रुपए का भोजन करना आदि का मामला सामने है, उससे उनकी उल्टी गिनती शुरु हो गई दिखती है! इस कारण दिल्ली नगर निगम में भी उनकी हार तय लग रही है। इस हार का ठीकरा भी पहले से उन्होंने चुनाव आयोग पर फोड़ने की तैयारी कर ली है, लेकिन आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईवीएम मामले में केजरीवाल को भगा दिया! इसके बाद भी उम्मीद नहीं है कि केजरीवाल अपनी आदतों से बाज आएंगे। देश की विधायिका, चुनाव आयोग, कैग-सबको गाली देने वाले केजरीवाल, अब न्यायपालिका के लिए भी ‘सब मिले हुए हैं जी’ जुमले का इस्तेमाल शुरु कर दें तो किसी को शक नहीं होगा!
दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी चुनाव में VVPAT को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि एक दिन के बाद चुनाव है और इतने कम समय मे 13 हजार मशीनों को बदलना संभव नहीं है, इसलिए चुनाव M-1 EVM मशीनों से ही कराए जाएं। ज्ञात हो कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने गुरुवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर VVPAT से एमसीडी चुनाव कराने की मांग की थी।
दिल्ली चुनाव आयोग ने साफ कहा कि इस मशीन में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। इसे परीक्षण कर आजमाया जा सकता है। आयोग ने दलील दी कि मशीन की विश्वनीयता पर सवाल कैसे उठाए जा सकता हैं, जबकि मशीन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली आम आदमी पार्टी के पास इस बाबत एक भी सबूत नहीं है? M-1 मशीनों से चुनाव कराना भी उतना ही सुरक्षित है, जितना VVPAT से कराना। आयोग ने तो यह तक कह दिया कि हाल ही में दिल्ली के राजौरी गार्डन में VVPAT में से ही उप चुनाव कराए गए थे, जिसमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई। दिल्ली चुनाव आयोग ने कहा, इस उप चुनाव में आम आदमी पार्टी की जमानत भी जब्त हो गई। ऐसे में AAP के आरोपों की सच्चाई का अंदाजा लगाया जा सकता है? इस वक्त VVPAT का इस्तेमाल संभव ही नही है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया के लिएनोटिफिकेशन लागू हो चुका है, अगर इसमें कोई बदलाव किए जाते हैं, तो चुनाव मे विलंब होगा।
चुनाव आयोग ने VVPAT मशीन को लेकर हाईकोर्ट में साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT को चुनावों में इस्तेमाल करने के लिए कहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहीं नहीं कहा है कि जनरेशन वन M-1 मशीन के इस्तेमाल पर रोक है. M-1 non hackable मशीन है। ज्ञात हो कि VVPAT व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पिर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है।