
लगता है सुप्रीम कोर्ट को पसंद है शरीयत का फतवा…
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फतवा पर रोक क्या लगाई सुप्रीम कोर्ट ने उसके आदेश पर ही स्टे लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट आखिर चाहता क्या है? क्या सुप्रीम कोर्ट देश में कोई ऐसी व्यवस्था चाहता है जो भारत के संविधान से भी ऊपर हो? खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने ही विश्व लोचन मदान बनाम केंद्र सरकार के मामले में फतवा या फरमान पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था ।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के उसी संदर्भ को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार की एक पंचायत के तुगलकी फरमान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए फतवा पर बैन लगाने का आदेश दिया था। सवाल उठता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट अपने ही आदेश के उलट फिर फतवा को जारी कैसे कर सकता है? इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तामन जजों को शरियत का फतवा पसंद है। जबकि कानून विशेषज्ञों के मुताबिक कोई फतवा या फरमान संविधान से ऊपर नहीं हो सकता।
मुख्य बिंदु
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फतवा पर रोक क्या लगाई सुप्रीम कोर्ट को रास न आई, जारी कर दिया नोटिस
मजहवी संगठन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से संविधान की अवहेलना हुई है
इस संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने भी ट्वीट कर उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि फतवा पर पाबंदी प्रगतिशील आदेश है जो संविधान को आस्था से ऊपर रखता है। लेकिन जमाती मुल्लाओं ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देते हुए उसे शरियत के खिलाफ बताया। वे लोग किसी भी कीमत पर संविधान के अंदर शरियत को नहीं देखना चाहते। वे लोग इसलाम को सबसे ऊपर मानते हैं। और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार फिर मुसलमानों को तुष्ट करने वाला ही फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के हरिद्वार में एक पंचायत ने बलात्कार पीड़िता से सहानुभूति जताने की बजाय उनके ही परिवार को प्रताड़ित करने वाला फैसला सुना दिया। इस संदर्भ की रिपोर्ट जब अमर उजाला अखबार में प्रकाशित हुई तो, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर इसकी सुनवाई की और फिर हर प्रकार के फतवे पर बैन लगा दिया। लेकिन मुसलिम संगठन जमियत-उलमा- आई- हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। बाद में इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज बी लोकूर तथा दीपक गुप्ता की बेंच ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
मालूम हो कि दारुल ऊलूम देवबंद के कार्यकारी वाइस चांसलर मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी के बयान को कोट करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फरमान पर आदेश दिया न कि फतवा पर। मुसलिम संगठनों ने किसी मजहब विशेष के फतवे पर बैन लगाने को गलत बताया।
URL: Me lords… fatwa cannot be above the Indian Constitution.
Keywords: supreme court, indian constitution, fatwa, sharia law, jamiat-ulama-i-hind, fatwa ban, high court judgment, सर्वोच्च न्यायालय, भारत का संविधान, शरिया कानून, जमियत-उलमा- आई- हिंद, फतवा बेन, उच्च न्यायालय के फैसले
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment
Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 9540911078