रामराज्य कहते है उसको , कोई न अन्याय करे ;
कहीं नहीं शोषण हो सकता , न्यायालय सच्चा न्याय करे।
सबको जीने की आजादी , चाहे कोई मजहब हो ;
सच्ची शिक्षा की आजादी , चाहे कोई मकतब हो।
तुष्टीकरण कहीं न होगा और न होगा आरक्षण ;
ऊंच-नीच का भेद न होगा , सबका होगा संरक्षण ।
रिश्वतखोरी कहीं न होगी , कहीं न होगी कोई किल्लत ;
सम्मानपूर्ण जीवन हो सबका,कहीं न होगी कोई जिल्लत।
रोजगार सब पा जायेंगे , राज्य की जिम्मेदारी शिक्षा;
कहीं न कोई भूखा सोये और न कोई मांगे भिक्षा ।
कट्टरपन की जगह न होगी , कहीं नहीं फिर होगा दंगा ;
कठमुल्ले सब सुधर जायेंगे , वरना शासन करेगा नंगा।
सच्चा मानव धर्म यही है , सारे एक बराबर हैं ;
कोई छोटा बड़ा नहीं है , सारे पंथ बराबर हैं।
एक यही है सबकी मंजिल , परमशांति को पा जाना ;
सारे बंधन टूट जायेंगे , फिर न होगा आना-जाना ।
जब भी बूंद मिले सागर में , वही तो परमानंद है ;
सही राह पर चल कर देखो ; सुख, शांति व आनंद है।
ये सारा सब कुछ हो सकता , बिल्कुल नहीं असंभव है ;
केवल भ्रष्टाचार हटाओ , तभी ये सारा संभव है ।
कितना सस्ता सौदा है ये , दुनिया वालो इसे न छोड़ो ;
सारे शासन धूल बराबर , रामराज्य से नाता जोड़ो ।
दाढ़ी वाले बाबा सोचो , तुम्हें भी अंतिम मौका है ;
सारा भ्रष्टाचार हटाओ , वरना सब कुछ धोखा है।
राह में जितनी भी बाधा हैं , बेदर्दी से उन्हें हटाओ ;
लोकतंत्र भी बाधा हो तो , साहस करके इसे हटाओं ।
सैनिक शासन लेकर आओ , अनुशासन का पर्व मनाओ ;
चाहे जो भी करना पड़े पर , सारा भ्रष्टाचार हटाओ ।
यही तो है सच्ची आजादी, कानून का शासन लेकर आओ;
सदियां जिसकी राह तक रहीं, रामराज्य को लेकर आओ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचयिता: बृजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”