सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार सागर कुमार का एक ट्वीट देखा, जिसमें राजस्थान में लम्पी रोग से मरी हुई गायों के ढेर देखे। ऐसी गायें देखी जिनको कीड़े पड़े हुए हैं। हृदय व्याकुल, मन व्यथित हो गया। और कोई काम करने का मन नही कर रहा है। श्रीकृष्ण के देश में गौमाता की ये दुर्दशा? गौहत्या अलग समस्या है लेकिन इतनी भयानक बीमारी से गौमाता मर रही है और सरकारों की ऐसी संवेदन हीनता को केवल विनाश का ही सूचक कहा जा सकता है। अपनी भावनाओं को वश में रखते हुए ये लेख लम्बा नही कर रहा हूँ। क्योंकि ये ज्ञान देने या भाषण लिखने का नहीं कुछ करने का समय है।
पत्रकार सागर का ट्वीट देखने के बाद मैंने ऋषितुल्य वैद्यराज राजेश कपूर जी को फोन किया। उन्होंने मुझे इस लम्पी रोग के उपचार के कुछ उपाय बताये हैं। वही इस लेख में साझा कर रहा हूँ।
उपचार 1.
जिन गायों को लम्पी रोग है उन्हें Merc Sol.30 की 5-6 बूंदे 4-5 चम्मच पानी में मिलाकर गाय की जिव्हा पर डालें।
होम्य दवा जिव्हा पर डालने की सरल तकनीक यह है कि गाय की गर्दन 45 डिग्री ऊपर उठाकर 2-3 चम्मच दवा नाक में डाल देना है। गर्दन 45 डिग्री उठाने से दवाई का घोल सीधा गाय की जिव्हा पर गिरेगा। मर्कसोल-30 दिन में 3 बार देना है। इससे बहुत लाभ होगा।
यदि Merc Sol 30 से पहले 2 दिन में थोडा लाभ हो तो वह दवा देनी बंद करके उसके स्थान पर आप Merc Sol 200 दे दें। इसके बाद अगले 6 दिन तक Merc Sol दवा का प्रयोग नही करना, यदि लगे की रोग में लाभ है और दवा की जरूरत है तो 7वें दिन Merc Sol 200 दे दे ।
स्वास्थ तथा रोगी सभी गऊओं को Variolinum 1M की 5-6 बूंदे 4-5 चम्मच पानी में मिलाकर केवल एक बार देना है। आवश्यकता होने पर 15 दिन बाद इसे दोहराया जा सकता है। सभी स्वस्थ गायों को बचाव के लिए Variolinum 1 M और दुसरे दिन Merc Sol 1 M दे देना चाहिए । आशा है अच्छा प्रभाव होगा ।
ध्यान रखें कि जिस दिन Variolinum 1M की डोज दें उस दिन Merc Sol न दें, दूसरे दिन दें। मतलब यदि आज गाय को Merc Sol 200 की डोज दी है तो Variolinum 1M अगले दिन दे सकते हैं।
उपचार 2.
जिन गायों को रोग है और घाव तथा टांगों में सूजन है उनके लिए 1 लिटर पानी में 2 चम्मच फिटकरी तथा 2 चम्मच शुद्ध हल्दी मिलाकर यह घोल को गाय के खुरों, सूजन पर लगाएं। इससे सूजन व घावों में आराम मिलेगा।
उपचार 3 .
1 किलोग्राम ग्वार पाठा अर्थात एलोवेरा के गूदे में लगभग 400 ग्राम हल्दी मिलाकर घावों तथा गाँठों पर लगाएं। इसी के लड्डू बनाकर सुबह शाम 2-2 लड्डू गाय को खिलाने भी हैं।
उपचार 4.
गूलर (उदुम्बर) के पत्ते जिन पर चेचक के दाने बने हों, वटवृक्ष, पीपल, पुठकंडा यानी चिरचिटा। इन सभी के 5-5 पत्ते तथा एक पत्ता एरंड का लेकर इन सबको एक साथ कूट पीसकर लड्डू बनाकर रोज दो बार खिलाना है। गीली सामग्री होने पर लड्डू बनाने में कठिनाई हो तो उसमें थोड़ा चूरी, चोकर इत्यादि मिला सकते हैं।
•ध्यान रखें कि गाय के शरीर पर जिस प्रकार गाँठें और घाव बनते हैं, उसी प्रकार उसके गले तथा आंतों में भी अनेक घाव बने हो सकते हैं। उसके फेफड़ों में भी वायरस के कारण निमोनिया का प्रभाव हो सकता है। ऐसे में किसी भी प्रकार का कठोर शीतल प्रभाव वाला आहार देना उचित नहीं है। उसे कोमल आहार ही दें जिसमें सबसे अच्छा दलिया अथवा बारीक कटी हुई सानी हो सकती है।
उपचार 4.
फेफड़ों का कष्ट होने या श्वास की रुकावट होने पर पर 5-7 कलियाँ लहसुन की कूटकर गुड़ में लपेटकर खिलाने से तुरंत लाभ मिलेगा। आवश्यकतानुसार दिन में दो या तीन बार यह लहसुन दिया जा सकता है।
• एक विशेष बात यह है कि यदि हो सके तो गौशाला में अग्निहोत्र यज्ञ करें। अग्निहोत्र यज्ञ जहाँ हो रहा है वहां ये लम्पी रोग नही हो रहा है।
• एक विचित्र बात देखने में यह आ रही है कि जहां पर एफएमडी वैक्सीनेशन हुई है वहां पर यह रोग भयानक रूप से फैला है। लम्पी रोग के लिये गऊओं को एलोपैथिक चिकित्सा देने से तथा टीके लगवाने से गऊओं की मृत्यु दर भयानक रूप से बढ़ी है। इसलिए यथासंभव देसी इलाज अथवा होम्योपैथिक इलाज करवाना चाहिए। एफएमडी वैक्सीनेशन करवाने से पहले उसके प्रभावों के बारे में ठीक से सूचनाएं प्राप्त कर लेनी चाहिए। पर यह सूचनाएं सरकारी तंत्र से नहीं गौशालाओं के अनुभवी लोगों से प्राप्त करनी चाहिएं। तब समझ आएगा कि हो सकता है यह वैक्सीनेशन ही इस भयानक रोग का मूल कारण हो।