संदीप देव। ‘स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी रिपोर्ट 2020-21’ कहती है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ‘हलाल मीट’ निर्यातक देश है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020-21 में भारत ने 14.2 अरब डॉलर (2021 में क़रीब 1,057.9 अरब रुपये) का ‘हलाल मीट’ निर्यात किया था। ज्ञात हो कि भारत दुनिया के 70 से ज़्यादा देशों में मीट और एनिमल प्रोडक्ट्स का निर्यात करता है।
उधर सरकारी आँकड़े बताते हैं कि भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में केवल भैंसों (नर और मादा) का 10.86 लाख मीट्रिक टन मीट दुनिया भर में निर्यात किया, जिसकी कुल क़ीमत 23,460 करोड़ रुपये थी। वहीं बीफ (इसमें गाय, बैल, बछड़े जैसे गोवंश के साथ भैंस भी शामिल है) निर्यात 16 लाख टन से ज़्यादा किया है। माना जा रहा है कि यदि यही रफ्तार रही तो साल 2026 तक भारत 19.30 लाख टन बीफ का निर्यात करते हुए अव्वल नंबर पर बना रहेगा।
गौ माँस exporter सारी टॉप सिटी में #bjp की सरकार है… pic.twitter.com/UolFuZ92Hw
— Divakar Dixit (@dkdixit444) July 6, 2023
बता दें कि ‘यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर’ (USDA) बैल और भैंसे के मांस को भी बीफ की श्रेणी में रखता है।
USDA की 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार भारत प्रतिवर्ष 18,50,000 मीट्रिक टन बीफ का निर्यात करता है, जो बीफ निर्यातक देशों में उसे अग्रणी बनाता है। वर्ष 2017 में भारत के केवल बीफ का कुल कारोबार 3 अरब डॉलर से अधिक का था।
मांस निर्यात पर सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि (भाजपा की सरकार केंद्र में आने के बाद) 2014 के बाद मांस का निर्यात बढ़ा है। सन् 2017 में मांस निर्यात को लेकर लोकसभा में सरकार की ओर से कहा गया था कि मांस निर्यात में 17,000 टन की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यही नहीं, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014-2017 के बीच तीन सालों में बूचड़खानों के लिए लगभग 68 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी । यह खुलासा एक आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी से सामने आया था।
2006 यानी सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार के समय से भारत से मांस के निर्यात में बढ़ोत्तरी आने का जो सिलसिला आरंभ हुआ, वह नं-1 बीफ निर्यातक तक भारत को पहुंचा चुका है। ‘वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन’ की फरवरी, 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार बीफ निर्यात के क्षेत्र में वर्ष 2006 से 2016 के बीच भारत में जबरदस्त बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वर्ष 2006 में बीफ के विश्व व्यापार में भारत का योगदान महज 2 प्रतिशत था, जबकि 2016 में भारत 20 प्रतिशत से अधिक का भागीदार हो गया! 2022-23 में तो यह और भी बढ़ गया है।
वर्तमान में भारत मांस निर्यात में जहां पांचवें नं पर है, वहीं बीफ निर्यात में वह ब्राजील से होड़ करते हुए कभी पहले नंबर पर तो कभी दूसरे नंबर पर होता है।
एक सच और भी है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बीफ़ निर्यातक देश है, परंतु यहां बूचड़खाने से केवल भैंस के मांस के निर्यात की अनुमति है गाय का मांस पूरी तरह से प्रतिबंधित है, इसके बावजूद गाय का मांस निर्यात किया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण देश में बड़ी संख्या में धड़ल्ले से चल रहे अवैध बूचड़खाने हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 111 बूचड़ख़ाने ही ऐसे हैं, जहाँ पशुओं को काटने के लिए तय मानकों का पालन किया जाता है, जबकि पूरे देश में केवल 1,707 बूचड़ख़ाने ही पंजीकृत हैं। वहीं अवैध बूचड़खाने को लेकर ‘पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा)’ की रिपोर्ट कहती है कि भारत में अवैध बूचड़ख़ानों की संख्या 30,000 से भी ज़्यादा है। इसके अलावा लाखों की संख्या में पशु काटकर उनका मांस बेचने वाली अवैध दुकानें भी भारत में धड़ल्ले से चल रही हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के डाटा के मुताबिक (जो कि वाणिज्य मंत्रालय के अधीन है।) 2014 से (मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से) बीफ निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2014-15 में बीफ का निर्यात 14,75,540 मीट्रिक टन था, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक था, वहीं इससे एक साल पहले 2013-14 में यह निर्यात 13,65,643 मीट्रिक टन था
हालांकि, यह आंकड़ा मोदी सरकार के कार्यकाल में इन्हीं वित्तीय वर्षों में (2014-15) कम भी हुआ और इसमें करीब 11 फीसदी की अचानक से गिरावट देखी गई। इस दौरान निर्यात 13,14,161 मीट्रिक टन तक गिर गया था। इसके पीछे का कारण देते हुए ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में गौरक्षा समूहों द्वारा किए गए हमलों (गो तस्करों पर) से भारत के बीफ निर्यात में गिरावट देखी गई थी।
ज्ञात हो कि सितंबर 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी जिले के बिसारा गांव में गोहत्या के आरोपी मोहम्मद अखलाक की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गो रक्षकों को गुंडा कहते हुए उनका डोजियर राज्यों को तैयार करने को कहा गया। इसका असर यह हुआ कि गो तस्करों के हौसले पुनः बुलंद हो गये और भारत पुनः मांस और बीफ निर्यात में अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा हो गया। आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं।

https://twitter.com/KumarTyrion/status/1663482131308515329?t=r5YQoYRMOeCk74-lBLhedg&s=08
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बीफ निर्यात में जो कमी आई वह प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद पुनः बढ़ने लगी। 2015-16 में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, 2016-17 में 1.3 प्रतिशत वृद्धि हुई और 2017-18 में यह आंकड़ा फिर से बढ़कर 13,48,225 मीट्रिक टन हो गया। अर्थात् गौ तस्करों के अंदर गौ रक्षकों के भय के कारण बीफ निर्यात का जो आंकड़ा 2015 में गिरकर 13,14,161 मीट्रिक टन तक आ गया था, वह प्रधानमंत्री द्वारा गौ रक्षकों को गुंडा कहते ही अगले दो सालों में ही बढ़ने लगा। उसके बाद से इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है।