भारतीय मीडिया और आतंकवाद
ड्राइंग रूम से बाहर निकलिए तो हर तरफ शांति महसूस होती है, लेकिन ज्योंही अपने ड्राइंग रूम में आप प्रवेश करते हैं तो पाते हैं कि पूरे देश में आग लगी है, हिंदू-मुसलमान लड़ रहे हैं, देश में असहिष्णुता फैली है, सरकार का रवैया तानाशाही से भरा है- और यह सब कर रहा है आपके ड्राइंग रूम में रखा वह ‘बुद्धु बक्सा’, जिसमें न्यूज चैनल के एंकर लगातार चिल्लाते हुए दिखते हैं!
सन् 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। पहले तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न बन पाएं, इसलिए न्यूज चैनल आम जनता को डरा रही थी और जब मोदी प्रधानमंत्री बन गए हैं तो वह असहिष्णुता, इनटॉलरेंस, बीफ बैन, अल्पसंख्यक खतरे में, अभिव्यक्ति की आजादी का हनन- जैसे भारी-भरकम शब्दों के जरिए हमें डराने में जुटी हुई है।
यूपीए सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में जिन मीडिया हाउसों का नाम 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला खदान आवंटन घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, इसरो-देवास घोटाला, आईपीएल घोटाला, हवाला के जरिए काले धन को सफेद करने आदि में जो-जो मीडिया हाउस या पत्रकार फंसे हुए हैं, या जिन पर आरोप लग चुका है- वे सभी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से कुछ ज्यादा ही चीख-चीख कर देश में अशांति फैलाने में जुटे हैं!
यह मीडिया का आतंकवाद है! india speaks daily पाठकों के लिए एक ऐसा शो लेकर आया है, जिसमें मीडिया का पोस्टमार्टम होगा कि आखिर क्यों भारतीय मीडिया देश को अशांत करने में जुटी हुई है। इसी पर पेश है, ‘मीडिया का आतंक’ की पहली कड़ी–
Web Title: media terrorism presstitutes-1
Keywords: media biased| media campaign against modi| media conspiracy| media terrorism| presstitutes| नरेद्र मोदी| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी| बाबा रामदेव| अन्ना हजारे| मीडिया का मोदी विरोध| media exposed by isd| media exposed by india speaks daily|