10 अगस्त 2022, समय दोपहर 3 बजे। इंडिया स्पीक्स डेली पर संदीप देव जी के साथ मीनाक्षी शरण जी का संवाद देखा। विषय था ‘भारत विभाजन, हिंदुओं की अतृप्त आत्मा और अधूरी स्वतंत्रता!‘ इस संवाद में मेरा एक लेख भी दिखाया गया, जो मैंने पिछले वर्ष मिनाक्षी शरण जी के ‘श्राद्ध तर्पण’ कार्यक्रम की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से लिखा था। मीनाक्षी जी के भगीरथी प्रयास पर आधारित वह छोटा सा लेख 83 हजार से अधिक लोग पढ़ चुके हैं।
आजकल आज़ादी का अमृतमहोत्स्व कार्यक्रम जोरों पर है और हर जगह देशभक्ति का माहौल बना हुआ है। ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम तो सबसे ज्यादा गति पकड़े हुए है। जहाँ देखो वहीं भारत का राष्ट्र ध्वज तिरंगा दिख रहा है। 15 अगस्त 2022 को देश का तिरंगामय वातावरण कैसा होगा उसकी कल्पना करना अभी मुश्किल है। भारत के लोग अपनी हर पीड़ा को भूलाकर अभी देशभक्ति के रंग में रंगे हुए हैं। देशभक्ति का रंग ऐसा चढ़ा हुआ है कि भारत विभाजन की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पाकिस्तानी अल्लामा इक़बाल तक के पोस्टर भारत में छाए हुए हैं। ऐसा होना स्वाभाविक भी है, क्योंकि जिनके कारण यह देश अभी तक ‘भारत’ नाम से जीवंत है वह हिन्दू सदियों से भूलने की बीमारी से ग्रसित है। भारत विभाजन के समय लाखों हिन्दू मारे गए थे, बेघर हुए थे। बहन बेटियों के साथ मुस्लिम पिशाचों ने दुर्व्यवहार किया था। शवों से भरी हुई ट्रेने भारत आयीं थी। और वो सब के सब हिन्दू थे। कुछ लोग कहेंगे उनमें सिख भी थे। उनके लिए केवल इतना ही कहूंगा ‘मैं सिखों को हिन्दुओं से भिन्न नहीं मानता।’ इतना कुछ हुआ और भारत माता के मज़हब के आधार पर टुकड़े कर दिए गए। सुप्रसिद्ध लेखक श्री प्रशांत पोल जी की पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है हर हिन्दू को पढ़नी चाहिए। जिससे उनको अनुमान होगा कि 15 अगस्त 1947 को देश में तथाकथित कितनी ख़ुशी का माहौल था? या फिर कुछ और ही दृश्य था। हिन्दुओं के भूलने की बीमारी का उपचार प्रशांत जी की पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ है, ऐसा कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
सनातन परंपरा का अनुगामी हिन्दू समाज आज भी विस्मृति में है। हमारे पूर्वजों ने बताया था कि सभी प्रकार के ऋणों से महत्वपूर्ण ऋण ‘पितृ ऋण’ होता है। और साथ ही इस ऋण मुक्ति का सरल सा उपाय बताया गया था कि श्रद्धाभाव के साथ श्राद्ध तर्पण करने से इस ऋण से मुक्ति मिल सकती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। लेकिन हमेशा से भूलने की बीमारी से ग्रसित हिन्दू कदाचित ही इस ऋण की तरफ सोचता है। और यदि सोचता भी है तो केवल अपने परिवार के पूर्वजों के बारे में।
क्या भारत का हिन्दू समाज इस बात को नकार सकता है कि हिन्दू होने के नाते भारत विभाजन के समय मुस्लिम पिशाचों के हाथों मारे गए लाखों हिन्दू केवल इसलिए मार दिए गए थे कि वे हिन्दू थे? क्या भारत के हिन्दुओं में से कोई भी एक ये दावे के साथ बता सकता है कि यदि वह स्वयं और उसका परिवार उन दिनों विभाजन की भयानक विभीषिका के समय उस परिस्थिति में होता तो सकुशल भारत आ पाता या जीवित रहता? क्या भारत का हिन्दू इस बात को नकार सकता है कि देश को जो आज़ादी (स्वतंत्रता) मिली है उसका मार्ग लाखों हिन्दुओं के रक्त से सींचा गया था? क्या भारत का हिन्दू इस बात को नकार सकता है कि भारत की स्वतंत्रता को लेकर न जाने कितनी हिन्दू बहन बेटियों की गरिमा को तार तार किया गया था? क्या भारत का हिन्दू इस बात को भूल सकता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले लाखों हिन्दू परिवार बेघर हो गए थे, उनके व्यवसाय लूट लिए गए थे, वो भी इसलिए क्योंकि वे सभी हिन्दू थे?
अपने परिवार के प्रति हमारे दायित्व निर्वहन अपनी जगह हैं और हमें हर परिस्थिति में उनका पालन और निर्वहन करना चाहिए। लेकिन क्या हिन्दू होने के नाते हमारे कुछ और दायित्व नहीं है? क्या भारत विभाजन के समय अकाल, असमय मारे गए लाखों हिन्दू हमारे पूर्वज नहीं है? क्या हिन्दू होने के नाते उनके प्रति हमारा कोई दायित्व नहीं है? आखिर आज हम हिन्दू होने के नाते उनके लिए कर क्या सकते हैं?
जो तिरंगा आज सरकारें लोगों के घरों में फहरा रहीं हैं उस तिरंगे के लिए अपना बलिदान देने वाले हुतात्मा क्रांतिकारियों के साथ-साथ लाखों हिन्दुओं का रक्त भी बहा है। और हिन्दू होने के नाते उन असमय मारे गए हिन्दुओं के प्रति मेरा भी कोई दायित्व बनता है। यही आभास मुझे दो वर्ष पूर्व हुआ था जब मीनाक्षी शरण जी के उन हिन्दुओं की आत्मा की शांति के लिए 15 अगस्त को लिए जाने वाले ‘श्राद्ध संकल्प’ के बारे में पता चला था। मीनाक्षी शरण ने कोविड काल में वर्ष 2020 में प्रतिवर्ष 15 अगस्त को ‘श्राद्ध संकल्प दिवस’ के रूप में मनाने का संकल्प लिया था और दुनिया भर के लोगों ने इसमें अपना समर्थन और सहयोग दिया था। 15 अगस्त का स्वतंत्रता दिवस और यह ‘श्राद्ध संकल्प दिवस’ एक साथ मनाना ही उन लाखों हिन्दुओं के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है जो भारत विभाजन के समय मारे गए थे। यह संकल्प लेने से किसी के भी स्वतंत्रता दिवस के उल्लास में कोई विघ्न नहीं पड़ता है, ऐसा मेरा मत है, क्योंकि विगत दो वर्षों से मैं ये दोनों कार्य एक साथ सपरिवार करता आ रहा हूँ और लोगों से भी करवा रहा हूँ। बाकी तर्क, कुतर्क करना कुछ जगह छोड़ देना चाहिए। जो बात सरलता से हो सकती है और समझ आ सकती है, वहाँ बुद्धि के व्यायाम की आवश्यकता नहीं होती, ऐसा भी मेरा मत है।
मीनाक्षी शरण जी ने 15 अगस्त 2020 को ‘श्राद्ध संकल्प दिवस’ की शुरुआत की और 17 सितम्बर 2020 को ‘सर्व पितृ अमावस्या’ के दिन कोविड लॉकडाउन के दौरान सभी नियमों का पालन करते हुए विधिवत रूप से माता नर्मदा के तट पर भारत विभाजन के समय अकाल मारे गए लाखों हिन्दुओं की आत्मा की शांति के लिए ‘प्रथम सामूहिक श्राद्ध तर्पण’ का कार्यक्रम किया। उस समय भारत और देश के बाहर रहने वाले अनेक हिन्दुओं ने मीनाक्षी जी के इस हिन्दू भाव से प्रेरित भगीरथी प्रयास का पूर्ण मनोयोग से साथ दिया। लोगों ने अपने घरों में अपनी सुगमता के हिसाब से ये कार्यक्रम किया। लोगों ने सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो भी पोस्ट किये। ऐसा ही वातावरण पिछले वर्ष 2021 में भी रहा। 2021 में ही भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 14 अगस्त के दिन ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थीं। कदाचित यह मीनाक्षी शरण जी के हिन्दू भाव जागरण के प्रयास पर एक मोहर की तरह देखना चाहिए। 2020 में मीनाक्षी जी के इस प्रकल्प में अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के पौत्र अमित आज़ाद सहित अनेक बड़ी हस्तियों ने समर्थन और सहयोग किया जिनमें बॉलीवुड से लेकर मीडिया जगत के लोग भी सम्मिलित थे। 15 अगस्त 2021 को श्राद्ध संकल्प लिया गया और 6 अक्टूबर 2021 को सर्व पितृ अमवस्या के दिन मोक्षदायिनी माँ गंगा के तट हर की पौड़ी हरिद्वार में सामूहिक तर्पण का कार्यक्रम किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया था।

इस वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव के इस वातावरण में पुनः 15 अगस्त को ‘श्राद्ध संकल्प दिवस’ मनाया जा रहा है। और 25 सितंबर को आने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन सामूहिक तर्पण का कार्यक्रम किया जाने वाला है। आईये हिन्दू होने के नाते हम सभी मीनाक्षी जी के इस पावन प्रयास में बढ़ चढ़कर सहयोग करें और 15 अगस्त के दिन हाथ में जल और पुष्प लेकर यह संकल्प लें,“हम संकल्प लेते हैं कि आने वाली सर्व पितृ अमवस्या के दिन भारत विभाजन के समय हिन्दू होने के कारण मारे गए लाखों हिन्दुओं की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण करेंगे।” और 25 सितंबर को श्राद्ध तर्पण करें।
ऐसे कार्यक्रम हमारे हिन्दू भाव को जागृत रखने में सहायता करेंगे ऐसा मेरा विचार। ये हिन्दू भाव ही है जो भारत को भारत बनाकर रखेगा। सेक्युलेरिज्म के ढोंग से पर्दा उठाने का यह अंतिम अवसर है। नहीं तो पीएफआई के विजन 2047 के बारे में समाचार हमने पढ़े ही हैं। यदि हिन्दू भाव बना रहेगा तो फिर किसी कवि को यह कहने की आवश्यकता नहीं होगी:
“हिन्दू भाव को जब जब भूले आई विपद महान,
भाई टूटे, धरती खोई, मिटे धर्म संस्थान।”